अनिल मिश्र Language: Hindi 98 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 अनिल मिश्र 14 Jun 2021 · 3 min read बच्चों में नकल की प्रवृत्ति रोकनी होगी बच्चों में नकल करने की प्रवृत्ति रोकनी होगी *********************************** किसी भी राष्ट्र के बच्चे,नौनिहाल,किशोर और युवा वर्ग उस राष्ट्र के भविष्य हैं इसमें कोई संशय नहीं।प्रत्येक विकसित और विकासशील राष्ट्र... Hindi · लेख 2 2 315 Share अनिल मिश्र 11 Jun 2021 · 1 min read रिश्ते अपने ही कंधों पर अपनी लाश लिए मैं चलता हूँ रिश्ते सारे मिथ्या हैं,मृत हैं,नित जलता हूँ,चलता हूँ। अग्नि कौन देगा यह चिंता,हे राम तुम्हारे कंधे पर जपकर प्रतिपल नाम... Hindi · कविता 1 2 280 Share अनिल मिश्र 29 May 2021 · 1 min read किसान किसान ***** सुबह-शाम,दिन-रात परिश्रम के पर्याय हैं वीर किसान कर्म-साधना के साधक हैं ये अपने भारत की शान। घनघोर हो बारिश,सर्दी,ठिठुरन जेठ की तपती दुपहरिया बढ़ें फसल खेतों में निशि... Hindi · कविता 322 Share अनिल मिश्र 9 May 2021 · 1 min read प्यार खुले संदूक में फरेबी रिश्तों का झूठा प्यार भर रखा है मैंने जो समय-असमय मिलते रहे थे ठगने के लिए पूरी तरह से ठगा गया था मैं इसलिए कि भावना... Hindi · कविता 345 Share अनिल मिश्र 28 Mar 2021 · 1 min read प्रह्लाद प्रह्लाद! बुआ से बचकर रहना तुम्हारी बुआ आज भी जिंदा है वो बार बार तुम्हें लेकर जलती चिता पर बैठेगी पर हर बार जलोगे तुम ही वो बचती रहेगी छल,छद्म... Hindi · कविता 3 475 Share अनिल मिश्र 11 Mar 2021 · 1 min read शब्द शायद थक गये हैं शब्द जो अक्षरों की भावनाओं में बहकर शब्द बन गये थे। कई अर्द्ध अक्षर भी राहों में आये अर्द्ध अक्षरों का साथ मिला पूर्णता मिली फिर... Hindi · कविता 442 Share अनिल मिश्र 23 Jan 2021 · 1 min read कोरोना जीवन ग़ज़ल सी सबकी धीमी कर गया सुना है अब कोरोना मर गया। आत्मीयता और रिश्ते सभी के खो गए कोरोना परिचय सभी का दे गया। मर गये कई लोग... Hindi · कविता 1 486 Share अनिल मिश्र 18 Jan 2021 · 1 min read बस यूँ ही बढ़ते चलो यह ज़िंदगी की जंग है तुम भाग भी सकते नही लड़ना पड़ेगा अनवरत मन कर्म में,संघर्षरत। प्रतिपल ही होंगी परीक्षाएँ धीरज अडिग है या नही टिक सको तो जीत लोगे... Hindi · कविता 1 473 Share अनिल मिश्र 17 Jan 2021 · 1 min read रिश्ते जीवनदान भी देकर कोई स्नेह-सुधा ना पाता है यह धरणी है कलियुग की रिश्तों का भ्रम छल जाता है। इसमें नही विशेष है कुछ भी चिंतन और मनन को आज... Hindi · कविता 1 249 Share अनिल मिश्र 6 Jan 2021 · 1 min read महल अट्टालिकाएँ यूं पडी रह जाएँगी खंभे उसमे सब गड़े रह जाएँगे बेईमानी हर पल तुझे तड़पाएगी ना चैन आएगा तुम्हें ना नींद आएगी। तेरे महल के पाषाण भी शिक्षक बने... Hindi · कविता 1 3 269 Share अनिल मिश्र 5 Jan 2021 · 1 min read फिर एक नया वर्ष आया है शीर्षक-फिर एक नया वर्ष आया है कितने ही संकल्प बचे हैं कई कसम पूरे करने हैं राह बड़ी अनजानी लगती लगता है सब माया है फिर एक नया वर्ष आया... Hindi · कविता 2 9 276 Share अनिल मिश्र 30 Dec 2020 · 1 min read अलविदा 2020 अलविदा 2020! तुम से बड़ा कोई विश्वगुरु नहीं।तुमने हमें विश्व का सारा विज्ञान पढ़ा दिया।रिश्तों का विज्ञान,अर्थ का विज्ञान,व्यवस्था का विज्ञान,वेतन का विज्ञान,डी ए का विज्ञान,आजीविका का विज्ञान,प्रवास का विज्ञान,स्वास्थ्य... Hindi · कविता 3 4 390 Share अनिल मिश्र 21 Dec 2020 · 1 min read क्या बोलूँ मैं तुम ही बोलो ना क्या बोलूँ मैं दिल के भाव सभी चोटिल हैं रक्तिम सब उद्गार कैसा कृत्रिम प्यार तुम्हारा रिश्तों का व्यापार सब नकली उपहार कहो ना क्या बोलूँ... Hindi · कविता 1 2 301 Share अनिल मिश्र 19 Dec 2020 · 2 min read पाठ्यक्रम का स्तर संरक्षित करें हम शिक्षा के निरंतर गिरते स्तर का एक प्रमुख कारण है-पाठ्यक्रम की निरर्थक चीड़फाड़।हिंदी से प्रसिद्ध कवियों,लेखकों की रचनाएँ धीरे धीरे गायब होती जा रही हैं।कबीर,रहीम,तुलसीदास,रसखान,हरिऔध,निराला,दिनकर,महादेवी,जयशंकर प्रसाद,सुमित्रानंदन पंत आदि पाठ्यक्रम राजनीति... Hindi · लेख 1 2 497 Share अनिल मिश्र 5 Dec 2020 · 1 min read गीत मैं खुद के साथ हूँ फिर भी अकेला गीत गाता हूँ नयन में आँसुओं की धार लेकर गुनगुनाता हूँ। समर बेचैन तो करता हृदय में हूक भी उठती ये रिश्ते... Hindi · कविता 1 2 268 Share अनिल मिश्र 2 Dec 2020 · 1 min read दोहे कोरोना है द्वार पर,दस्तक देता रोज संभल संभल घर मे रहें,बनकर राजा भोज। घर से बाहर निकलें नहीं,कोरोना को तड़पाएँ दास बनाकर कोरोना को,बर्त्तन हम धुलवाएँ। पियें चाय चालीस कप,अदरख... Hindi · कविता 268 Share अनिल मिश्र 30 Nov 2020 · 1 min read श्राद्ध रिश्तों ने मेरा श्राद्ध कर दिया पर लगता है मैं जिंदा हूँ यह कलयुग है मेरे भैया जिंदा होकर शर्मिंदा हूँ रिश्तों ने मेरा श्राद्ध कर दिया मेरे नाम की... Hindi · कविता 348 Share अनिल मिश्र 25 Jul 2020 · 1 min read आस्तीन के साँप ऐ आस्तीन के साँपों! बाहर आज तो आओ मैं पूजन की थाली लेकर व्याकुलता से ढूँढ रहा हूँ थाली है, सब पूजन सामग्री है आस्तीन भी नया सिलाकर लाया हूँ... Hindi · कविता 3 7 506 Share अनिल मिश्र 24 Jul 2020 · 1 min read श्रमिक पसीने से लथपथ एक श्रमिक का टूटता शरीर तलवे से आधा लटका मांस का लोथड़ा तपती सड़क पर हज़ारों किलोमीटर से गांव में बसे भारत की खोज में जब पल-पल... Hindi · कविता 4 6 237 Share अनिल मिश्र 2 Jul 2020 · 1 min read कोरोना कोरोना! तुम जाओ ना ***************** कोरोना!तुमने बहुत सताया अब तो घर को जाओ ना तेरी मम्मी ढूँढती तुझको दूध-भात तो खाओ ना। क्यूँ भूखे प्यासे दौड़ रहे हो देश-देश में... Hindi · कविता · बाल कविता 1 2 446 Share अनिल मिश्र 1 Jul 2020 · 1 min read अपने अपने ***** डरती है दुनिया शत्रुओं से ज्ञात और अज्ञात वे काफी शक्तिशाली होते हैं आखिर शत्रु जो हैं रिश्तों के अंतरतम विवेक से परे संवेदनहीन, रक्तपिपासु आत्मा को अंदर... Hindi · कविता 3 475 Share अनिल मिश्र 30 Jun 2020 · 1 min read ऐ बाबू बताना ऐ बाबू बताना *********** ना बरगद है कोई ना पीपल कहीं पर ये कैसा शहर है ऐ बाबू बताना। ना अमवा की डाली ना छोटे टिकोरे ना जामुन कहीं पर... Hindi · गीत 2 2 311 Share अनिल मिश्र 23 Jun 2020 · 1 min read दोहे दोहे *** कोरोना के दौर ने सब कुछ दिया मरोड़ टूट-टूट बिखरे सभी नही कहीं है ठौर। अपनों का परिचय दिया कोरोना गंभीर कौन भाई-भगिनी यहाँ रक्षा करें रघुवीर। भाई... Hindi · दोहा 2 2 486 Share अनिल मिश्र 15 Jun 2020 · 3 min read आत्महत्या : एक विश्लेषण आत्महत्या : आखिर क्यों ******************** 'आत्महत्या'एक ऐसा शब्द है जो निश्चित रूप से हमे विचलित कर अनेक अनुत्तरित प्रश्न हमारे मन के भीतर डाल देता है और हम उसे प्रतिपल... Hindi · लेख 1 2 514 Share अनिल मिश्र 8 Apr 2020 · 1 min read हे मानव भीड़ सड़क पर पशुओं की करती सिंहनाद प्रतिपल सुनते क्यों नहीं बात जगत की बचे नही क्या आज नयन-जल। आज भीड़ सड़कों पर अपनी अपनी मंज़िल अपना राग अपनी डफली... Hindi · कविता 570 Share अनिल मिश्र 6 Sep 2018 · 1 min read ऐ हरी कलम ऐ हरी कलम मतवाली!धीरे धीरे चल तेरी झट-झट लचक-लचक पर,जाने कितनी जानें अटकी संभल संभलकर,सोच समझकर ऐ मतवाली धीरे चल। राज दुलारी,सबकी प्यारी ऐ हरी कलम!तू धीरे चल किसी की... Hindi · कविता 1 448 Share अनिल मिश्र 2 Sep 2018 · 1 min read श्रृंगार मत निकालो मीन तुम और मत निकालो मेख ज़िंदगी कविता रही है क्यों लिखूँ मैं लेख भावना प्रतिपल जली है प्रेम को भी बाँटकर नेह में लिपटी हुई बत्ती जली... Hindi · कविता 248 Share अनिल मिश्र 28 Jan 2018 · 1 min read अंगुलियाँ तड़पती हैं एक पिता की सभी अंगुलियाँ एक छोटा,नन्हा बालक कब दौड़ता हुआ आए और झट से मुझे थाम ले तपस्या करती हैं दिन रात पिता की अंगुलियाँ इसी उद्देश्य... Hindi · कविता 438 Share अनिल मिश्र 16 Jan 2018 · 1 min read जिंदगी मत सुलझना ज़िंदगी उलझी रहो तुम तुम जो सुलझी लोग उलझन में उलझते जाएँगे प्रेम कृत्रिम सा बनाकर नेह पर भी सूद लेते जाएँगे ज़िंदगी खुद क़र्ज़ है किसी और... Hindi · कविता 1 1 516 Share अनिल मिश्र 13 Jan 2018 · 1 min read आशा आशाओं की डोर हो गयी काफी पतली बस टूटन की प्यास बसी है,अँखियन में। तिलकुट मधुर हो और कंकड़ भी मिले ना उसमें दही शुद्ध हो,दूध पाक,सब डूबें उसमें। जी... Hindi · कविता 547 Share अनिल मिश्र 1 Nov 2017 · 1 min read रिश्ते सारे रिश्ते टूट गए हैं,हम भी तुमसे रूठ गए हैं तुम जो हमसे दूर हुए हो हम भी भ्रम से दूर हुए हैं सिले-सिलाए रिश्ते लेकर क्या चलना है झिलमिल-झिलमिल... Hindi · कविता 403 Share अनिल मिश्र 30 May 2017 · 1 min read आवाज़ दिल की छोटी सी है सचमुच मगर यह बात दिल की है संभल जाओ ऐ हठधर्मियों आवाज़ दिल की है भारत लेता सदा है काम,दिल से,दिमागों से बचे हो इसलिए तुम भी,कि... Hindi · कविता 362 Share अनिल मिश्र 20 May 2017 · 1 min read मर्यादा अब कहाँ हैं बुद्ध गौतम तम ही तम सर्वत्र है अन्याय की बंशी सुनो यह यत्र है और तत्र है। नवजात की लाशें हैं बिखरी कूड़ों के ढेर में श्वान... Hindi · कविता 523 Share अनिल मिश्र 14 May 2017 · 2 min read माँ "मदर्स डे"-सुनने में अच्छा लगता है,आधुनिकता प्रमाणित होती है इससे,हाँ हम सब अंधे दौड़ में हैं,मदर्स डे मनाकर माँ को सम्मान देना चाहते हैं। हमारे देश की पुरानी माएँ जिनलोगों... Hindi · कविता 394 Share अनिल मिश्र 9 May 2017 · 1 min read साँस जी तो करता है बस चला जाऊँ छोड़कर सब कुछ इसी क्षण पर तेरे कारण,सिर्फ तेरे कारण हर साँस एक और साँस लेने को कह जाती है। Hindi · कविता 409 Share अनिल मिश्र 8 May 2017 · 1 min read नेह नेह *** मनुज!तेरे ह्रदय में नेह का दीपक नहीं जलता है क्यूँ अब? भाती नहीं है रागिनी अब कंठ की है वेदना उर में जग के जलन में नेह की... Hindi · कविता 498 Share अनिल मिश्र 20 Apr 2017 · 1 min read गिरगिट इस रंगीन जगत से गिरगिट तुम बाहर आ जाओ आज रंग बदलना बंद करो अब धोती-कुरता धारो आज। रंग बदलना तेरा प्रतिपल मानव को बहकाता है वस्त्रहीन होकर अब मानव... Hindi · कविता 544 Share अनिल मिश्र 12 Apr 2017 · 1 min read ज़िंदगी जब कभी यह ज़िन्दगी बेचैन सी होने लगे करुण रस में हास्य रस का बीज यह बोने लगे कल्पना के जगत् में भी बात सच कहने लगे मधुशाला में भी... Hindi · कविता 317 Share अनिल मिश्र 10 Apr 2017 · 1 min read आवाज़ इन साँसों की छटपट बेचैनी को जगत् में कौन समझा है,बताओ ह्रदय की आवाज़ सुनने पास आओ। राह दिल की सत्य से होकर गुज़रती है भावनाएँ बीच में झटका भी... Hindi · कविता 259 Share अनिल मिश्र 8 Apr 2017 · 1 min read बाजार महानगर के व्यस्त,बेचैन,छटपटाते बाजार में ज़िंदगी अपनापन ढूँढ़ते-ढूँढ़ते प्रतिपल बिकती रहती है कृत्रिमता की गहरी खाई हमें निगलती जाती है। प्रतिक्षण रंग-बिरंगे अंतहीन आकर्षण आतंरिक व्यवधानों के बाद भी पल-पल... Hindi · कविता 333 Share अनिल मिश्र 4 Apr 2017 · 1 min read प्रेम रेत सी बंज़र ज़मीं पर,प्रेम का पौधा कहो कैसे लगाऊँ ढूँढूँ कहाँ मैं उर्वरा,जो नेह को भाये सदा। संबंध के झन-झन झिंगोले ने मस्तिष्क में तूफ़ान सा पैदा किया है।... Hindi · कविता 316 Share अनिल मिश्र 2 Apr 2017 · 1 min read ज़िंदगी ज़िंदगी!तुम कब तक रहोगी बनकर पहेली इस ह्रदय में बोल भी दो बेचैन होती स्वांस में तुम प्रेम का रस घोल भी दो। आज उर के बंधनों नें झंकृत किया... Hindi · कविता 222 Share अनिल मिश्र 29 Mar 2017 · 1 min read माँ माँ!तेरा स्नेह मिले प्रतिपल जीवन को आलोकित कर दो मानव सच्चा बन पाऊँ मैं नीड़-नेह में रस भर दो। कृत्रिमता की होड़ लगी है मैं तेरा सुत,अन्जान बहुत मन,क्रम,वचन शुद्ध... Hindi · कविता 581 Share अनिल मिश्र 26 Mar 2017 · 1 min read मुक्तक लोग अपने ही मिले हर राह पर बन सके मेरे नहीं अपने कभी सब दूसरे मिलते रहे हर मोड़ पर साँस भी चलती रही और ज़िन्दगी बढ़ती रही। ***************************** तुम... Hindi · मुक्तक 498 Share अनिल मिश्र 26 Mar 2017 · 1 min read गीत मत ह्रदय से गीत गाओ आज तुम रहने भी दो मौन मन की बात मत दिल में जगाओ रहने भी दो उषा का साथ भी पल भर निशा के साथ... Hindi · कविता 311 Share अनिल मिश्र 28 Jan 2017 · 1 min read बेटी बेटी है आधार जगत का बेटी से है सार जगत का बेटी देवी,बेटी सीता बेटी बाइबल,कुरान और गीता। बेटी में संसार छिपा है जग का सारा सार छिपा है बेटी... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1 1 638 Share अनिल मिश्र 28 Jan 2017 · 1 min read दीप मुझको बना दो ना मुझको दीपक बना दो ना मैं तेरे अँधेरे कमरे में यूँ ही जलता रहूँ कुछ ना दिखे पर ताप से अपनें यूँ ही तपता रहूँ ज़िन्दगी के साँस को खोता... Hindi · कविता 267 Share अनिल मिश्र 27 Jan 2017 · 1 min read हाथ धर दो मौन मन में बात कुछ आती नहीं बस तुम मेरे हाथों में अपना हाथ धर दो। मौन बेला ना खलेगी ज़िन्दगी की प्रगति के शिखर पर कदम यूँ बढ़ते रहेंगे... Hindi · कविता 522 Share Previous Page 2