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20 May 2017 · 1 min read

मर्यादा

अब कहाँ हैं बुद्ध गौतम
तम ही तम सर्वत्र है
अन्याय की बंशी सुनो
यह यत्र है और तत्र है।

नवजात की लाशें हैं बिखरी
कूड़ों के ढेर में
श्वान उनको है बचाता
क्या विधि का लेख है!

कितना गिरेगा यह मनुज
दुःख बड़ा है,पीर है।
क्या क्या करेंगे संत जग में
मर्यादा नहीं गंभीर है।

Language: Hindi
431 Views
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