गौर फरमाएं अर्ज किया है....!
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
रिश्ते सम्भालन् राखियो, रिश्तें काँची डोर समान।
रोजाना आता नई , खबरें ले अखबार (कुंडलिया)
दौर कागजी था पर देर तक खतों में जज्बात महफूज रहते थे, आज उम्
💐Prodigy Love-46💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जीवन के बुझे हुए चिराग़...!!!
हमको तू ऐसे नहीं भूला, बसकर तू परदेश में
आप और हम जीवन के सच....…...एक कल्पना विचार
स्त्री ने कभी जीत चाही ही नही
हम जानते हैं - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
कवनो गाड़ी तरे ई चले जिंदगी
23/196. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
कुछ काम करो , कुछ काम करो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'