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27 Jan 2017 · 1 min read

हाथ धर दो

मौन मन में बात कुछ आती नहीं
बस तुम मेरे हाथों में अपना हाथ धर दो।

मौन बेला ना खलेगी ज़िन्दगी की
प्रगति के शिखर पर कदम यूँ बढ़ते रहेंगे
कड़वी दवा सा सर्द भी मीठा लगेगा
बस तुम मेरे हाथों में अपना हाथ धर दो।

ज़िन्दगी आसान सी हो जाएगी
गम के बादल झट यूँ ही छँट जाएँगे
साँस लेना सीख लूँगा मैं और हाँ वो धड़कनें भी
बस तुम मेरे हाथों में अपना हाथ धर दो।

दुःख के बढ़ते मित्र सब जाने लगे
बेवजह बस यूँ ही समझाने लगे
मन समझना चाहता कुछ भी नहीं
बस तुम मेरे हाथों में अपना हाथ धर दो।

मौन मन को बात कुछ भाती नहीं
बस तुम मेरे हाथों में अपना हाथ धर दो।
~~~अनिल कुमार मिश्र

Language: Hindi
442 Views
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