Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2023 · 2 min read

शृंगार छंद

शृंगार छंद- यह एक लालित्यपूर्ण छंद है। इस छंद में भाव नदी की धारा के समान कल-कल निनादित होता हुआ प्रवाहित होता है। यह एक सोलह मात्रिक छंद है। इस छंद के आरंभ में त्रिकल और द्विकल तथा चरणांत में त्रिकल का प्रयोग अनिवार्य है। चार चरणों के इस छंद में दो चरण सम तुकांत होने चाहिए।अंतिम त्रिकल में दीर्घ लघु ( ऽ ।) अनिवार्य होता है।
उदाहरण
जहाँ पर निर्मल भाव प्रवाह,
निनादित होता उर का दाह।
वहीं है मधुरिम कविता कोश,
सभी को ले ले निज आगोश।।

भरे जब सत्य भाव हुंकार,
लेखनी चलती कर विस्तार।
जलधि सम उमड़ें नित्य विचार,
कल्पना करती तीखी धार।।

बहें कर कल – कल सारे छंद,
परिष्कृत भाषा भाव अमंद।
पिलाए सरस रूप मकरंद,
कामिनी सम देकर आनंद।।

लगे जो पतझड़ में मधुमास,
जगाए पिया मिलन की आस।
करे नित उर में नव उद्भास,
वही है कविता प्यारी खास।।

जहाँ पर वैभव वाग्विलास,
उष्ण कर दे हर उच्छ्वास।
सरलता मन को लेती मोह,
करे मन विगलित भाव बिछोह।।

वही है अच्छा सुन्दर काव्य,
बात जो करता है संभाव्य।
निराशा में भी करे प्रकाश,
उड़े मन पक्षी पढ़ आकाश।।

मर्मरित करती है परिवेश,
मिटाती उर का भावावेश।
संतुलित करती हर आचार,
सिखाती कविता जीवन सार।।

करें हम नित ऐसी अभिव्यक्ति,
मिटा जो द्वेष भरे अनुरक्ति।
सुखी हो ये जगमग संसार,
स्वप्न हर सबका हो साकार।।
-डाॅ बिपिन पाण्डेय

शृंगार छंद (गीतिका)
मचा है जग में हाहाकार।
राम जी आकर लो अवतार।।1

घूमते राक्षस हैं चहुँओर,
करें जो मिलकर पापाचार।।2

आस बस तुमसे मेरे राम,
हृदय का मेटो सब अँधियार।।3

शरण में ले लो अपना मान,
चाह हो जग से अब उद्धार।।4

करूँ मैं कैसे हे प्रभु ध्यान,
लुभाती माया बारंबार ।।5

सत्य से हुआ पूर्ण मैं भिज्ञ,
नहीं है जग में कोई सार।।6

अहर्निश करूँ आपकी भक्ति,
करा दो मुझको भव से पार।।7

बुला लो मुझको भी निज धाम,
नहीं तो ठानूँगा मैं रार।।8
– डाॅ. बिपिन पाण्डेय

डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 353 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
छायावाद के गीतिकाव्य (पुस्तक समीक्षा)
छायावाद के गीतिकाव्य (पुस्तक समीक्षा)
दुष्यन्त 'बाबा'
"सफर,रुकावटें,और हौसले"
Yogendra Chaturwedi
चमकते तारों में हमने आपको,
चमकते तारों में हमने आपको,
Ashu Sharma
*रंग पंचमी*
*रंग पंचमी*
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
💐प्रेम कौतुक-354💐
💐प्रेम कौतुक-354💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
औरत तेरी गाथा
औरत तेरी गाथा
विजय कुमार अग्रवाल
पुकार
पुकार
Manu Vashistha
तन्हा हूं,मुझे तन्हा रहने दो
तन्हा हूं,मुझे तन्हा रहने दो
Ram Krishan Rastogi
राम नाम
राम नाम
पंकज प्रियम
बात मेरी मान लो - कविता
बात मेरी मान लो - कविता
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
// कामयाबी के चार सूत्र //
// कामयाबी के चार सूत्र //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
तनख्वाह मिले जितनी,
तनख्वाह मिले जितनी,
Satish Srijan
कितना लिखता जाऊँ ?
कितना लिखता जाऊँ ?
The_dk_poetry
चंद्रशेखर आजाद (#कुंडलिया)
चंद्रशेखर आजाद (#कुंडलिया)
Ravi Prakash
लज्जा
लज्जा
Shekhar Chandra Mitra
वो खूबसूरत है
वो खूबसूरत है
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
I Have No Desire To Be Found At Any Cost
I Have No Desire To Be Found At Any Cost
Manisha Manjari
बड़े लोग क्रेडिट देते है
बड़े लोग क्रेडिट देते है
Amit Pandey
नववर्ष 2024 की अशेष हार्दिक शुभकामनाएँ(Happy New year 2024)
नववर्ष 2024 की अशेष हार्दिक शुभकामनाएँ(Happy New year 2024)
आर.एस. 'प्रीतम'
आज सर ढूंढ रहा है फिर कोई कांधा
आज सर ढूंढ रहा है फिर कोई कांधा
Vijay Nayak
बाल कविता: नानी की बिल्ली
बाल कविता: नानी की बिल्ली
Rajesh Kumar Arjun
*अगर आपको चिंता दूर करनी है तो इसका सबसे आसान तरीका है कि लो
*अगर आपको चिंता दूर करनी है तो इसका सबसे आसान तरीका है कि लो
Shashi kala vyas
■ नाम_ही_काफी_है...
■ नाम_ही_काफी_है...
*Author प्रणय प्रभात*
हिन्दी की दशा
हिन्दी की दशा
श्याम लाल धानिया
"रिश्ते की बुनियाद"
Dr. Kishan tandon kranti
🇮🇳 मेरी माटी मेरा देश 🇮🇳
🇮🇳 मेरी माटी मेरा देश 🇮🇳
Dr Manju Saini
दूर जाकर क्यों बना लीं दूरियां।
दूर जाकर क्यों बना लीं दूरियां।
सत्य कुमार प्रेमी
अपनी टोली
अपनी टोली
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
**मातृभूमि**
**मातृभूमि**
लक्ष्मण 'बिजनौरी'
पसरी यों तनहाई है
पसरी यों तनहाई है
Dr. Sunita Singh
Loading...