दीपक चौबे 'अंजान' 68 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid दीपक चौबे 'अंजान' 9 Mar 2018 · 1 min read सब कोस रहे निज भागन को बदरा घिरते उड़ते नभ में धरनी पर छाई' मुसीबत है। हिम के टुकड़े गिरते-फिरते लगते तन पै मन खीजत है। बरसै पुरजोर हिया धड़कै श्रम की अब होत फ़ज़ीहत है।... Hindi · घनाक्षरी 1 2 395 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Mar 2018 · 1 min read गाल गुलाल गुलाब लगैं खेलत टेरत आय गयीं सखि पीत हरे रँग डारि दए, गाल गुलाल गुलाब लगैं रँग नैनन के रतनार भए। बैरन रात डसै बलमा बिनु साजन तौ परदेस गए, याद करै... Hindi · घनाक्षरी 1 2 253 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Mar 2018 · 1 min read ग़मगीन ग़रीब किसान रहें बिजली चमकै बदरा गरजै अब का हुइयै भगवान कहें, उखड़ै जब छाजन झोपड़ियाँ बच हाड़ रहें अरु प्रान बहें। बटरी बगरी सब सेल धरी कितनौं कबलौ नुकसान सहें। करपा बिखरे... Hindi · घनाक्षरी 202 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Mar 2018 · 1 min read देती उपदेश औ'चलाती सरकार है रण में गरजती है नभ से बरसती है, मौत बन दोनों हाथ लेती तलवार है। विदुषी बने कभी वो तपसी बने कभी वो, देवों को बचाने लेती देवी अवतार है।... Hindi · घनाक्षरी 254 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Mar 2018 · 1 min read चलो बुनियाद हम रख दें चलो बुनियाद हम रख दें अभी दिल के उसूलों की । करें न बात अब गुजरे हुए सावन के झूलों की । जड़ों को भूलकर पत्ते जुटाने में लगे बच्चे,... Hindi · मुक्तक 474 Share दीपक चौबे 'अंजान' 21 Feb 2018 · 1 min read भारत के लाल बचाना है इन शतरंजी घोड़ों से अब, अपनी चाल बचाना है, संप्रदाय के ज़हरीले भालों से भाल बचाना है । देखो झुलस न जाए तुलसी, पश्चिम के तूफानों में, रिपु के नापाक... Hindi · मुक्तक 262 Share दीपक चौबे 'अंजान' 21 Feb 2018 · 1 min read लगे चिमाने काग अब, लगे चिमाने काग अब, सुन कोयल के गीत । भारी है ऋतुराज की, सब ऋतुओं पर जीत ।। सब ऋतुओ पर जीत, प्रीत की तान निराली । रँग फागुनिया डाल,... Hindi · कुण्डलिया 282 Share दीपक चौबे 'अंजान' 21 Feb 2018 · 1 min read यूँ जीवन में प्यार बहुत है, यूँ जीवन में प्यार बहुत है, मिले जो थोड़ा यार बहुत है । प्यास हमारी मिट जाएगी, मन सरिता की धार बहुत है । एक तुम्हारे बिन ही साथी, रहता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 383 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read यहाँ कोई नहीं अपना किसी से क्या गिला यारो, यहाँ कोई नहीं अपना । अग़र कोई तो बस इक है, मेरा रूठा हुआ सपना । निगाहों में बसाया था, बड़ा सुंदर सज़ाया था ।... Hindi · गीत 215 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read स्वयं ही अभिव्यंजना है संसार की हर गतिविधि, स्वयं ही अभिव्यंजना है । तुम भले कुछ भी कहो, याकि चुप रूठे रहो । वातावरण में घोल दी, साँसो ने ख़द व्यजंना है । सृष्टि... Hindi · कविता 241 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read हर क्षण कृतार्थ हो । जीवन का, हर क्षण कृतार्थ हो । हृदय-कर्म, भावना-परमार्थ हो । पग-पग पर, जब सफ़र करें तो, दृष्टि में बस यथार्थ हो । रिश्तों से, खिल उठेगा जीवन । पुष्पों... Hindi · कविता 448 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read रुकना तेरा धर्म नहीं रे ! तुम हो इक बहती धारा, बाँध तोड़ सब बहना है । रुकना तेरा धर्म नहीं रे ! बस इतना ही कहना है । सुख-दुख दो जीवन के किनारे, हानि-लाभ परिणाम... Hindi · गीत 385 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read यही बस कामना मेरी करें पूजा सदा तेरी, चरणरत भावना मेरी । सज़े हर छंद भावों से, रहे निष्वासना मेरी । मिटें सब बैर अब दिल के, रहें आपस में' हिल-मिल के । अलंकृत... Hindi · मुक्तक 218 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read फिर से बचपन आ जाए । कभी-कभी लगता है कुछ यूँ, फिर से बचपन आ जाए । चले थाम उँगली मेरी, तेरे घर तक ले जाए ।.... भूल भेद, रीति समाज की, हँसना सबको सिखाने ।... Hindi · गीत 424 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read हार बनती जा रही है । माँ कलेजे से लगा बन,लोरियाँ सद्भाव पाकर, लाड़ले को प्रेम का उपहार बनती जा रही है । प्रीत दिल में है जगाए, नेह दीपक यूँ जगाकर, प्रेम का सुंदर सुघड़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 369 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read चेहरे गाँव के...... चेहरे गाँव के ऐसे हैं लगने लगे, जैसे सेहरे दुल्हन बिन उतरने लगे ।... अब कहाँ सभ्यता की दरक़ार है, नैया गाँव की देखो मझधार है । जबसे भोले मुखौटे... Hindi · गीत 201 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read धीरे-धीरे......... धीरे-धीरे पूरी तरह, बेक़ार हो रहा हूँ । एक कचरे के डिब्बे-सा, पड़ा रहता हूँ कोने में । सारी प्रतिभाएँ/कलाएँ, जूठी पत्तलों-सी भरी हैं । दुर्दैव के कौए, अपना भोजन... Hindi · कविता 372 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read हाँ ! सक्षम हूँ हाँ ! सक्षम हूँ तब से अब तक, महाप्रलय के आ-जाने तक । अथक परिश्रम करती देखो, शिशु भारत के परिपोषण को, नित जीती नित मरती देखो, मैं अपना ख़ुद... Hindi · कविता 1 1 408 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read मन आतुर है जाने क्यों । सपने नये सजाने को, मन आतुर है जाने क्यों । तुम सँग गुनगुनाने को, मन आतुर है जाने क्यों । थक गया मैं यूँ अकेले, अब चला जाता नहीं ।... Hindi · गीत 194 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read कोहरा अति घना है कोहरा अति घना है । काँपते किसान संग, झोपड़ी से देखा, तो खेत में खड़ा हुआ, ठिठुरता चना है । कोहरा अति घना है । नर्मदा के तट पर, बाँस... Hindi · गीत 227 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read धूल से शृंगार कर लो आज पैसों के बिना ही प्रीत का व्यापार कर लो, शबनमीं इन तितलियों को फूल से अंगार कर लो । रौंद डालीं जो तुम्हीं ने पग तले कर धूल डालीं,... Hindi · मुक्तक 400 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read मिलन की शाम आयी है । बड़ी रौनक सज़ायी है, मिलन की शाम आयी है । सुबह से आस सविता ने, घड़ी हर पल जगायी है । यही इक पल बिताने को, मिलें जब यार दीवाने... Hindi · मुक्तक 366 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read कभी जो पी नहीं होती वफ़ा की ज़ुस्तज़ू हमने जो उनसे की नहीं होती, जो थी उम्मीद छोटी सी, वो यूँ ही जी नहीं होती । हमें मालूम था दौलत में सब कुछ आज बिकता... Hindi · मुक्तक 200 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read मेरी ज़िन्दगी मेरी ज़िन्दगी मुझसे ऐसे ख़फ़ा है, करूँ मैं वफ़ा पर वहाँ पर ज़फ़ा है । कहें वो ही मुझसे ख़ता क्या हुई जो, दिखती मासूम सी पर बड़ी बेवफ़ा है... Hindi · मुक्तक 365 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read जज़्बात समझ लेते, क़ाश कि तुम मिरे जज़्बात समझ लेते, रूठने से पहले मिरे हालात समझ लेते । इतने दिवाने न थे मुहब्बत से पहले हम, लवों पे रुके हुए मिरे ख़्यालात समझ... Hindi · मुक्तक 313 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read सदा वंदन किया करना । झुकाकर शीश चरणों में, सदा वंदन किया करना । दया करती सभी पर माँ, कभी चिंतन किया करना । लुटातीं नेह की दौलत, सजल ममता भरी आँखें, सज़ाकर भाव की... Hindi · मुक्तक 342 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read रखे गिरवी हैं' आभूषण, रखे गिरवी हैं' आभूषण, छपाई भी अधूरी है, अभी बच्चों की' भी देखो, पढ़ाई भी अधूरी है । अभावों से भरा जीवन, हुआ है काल भी निष्ठुर, उमंगें हो गईं... Hindi · मुक्तक 1 2 419 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read नहाकर ओस में सिमटी नहाकर ओस में सिमटी, मुझे कर याद शरमाई, चुनर झीनी कुहासे की, निखर कुछ धूप से आई । सुनहरे केश प्रियतम के, अधर लाली दिवाकर की । सुबह अभिसार के... Hindi · मुक्तक 167 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read पीड़ा का गायक हूँ, मैं अपने अंतर्मन की, पीड़ा का गायक हूँ, रंगमंच पर थिरक रहा, जन-मन का नायक हूँ । तुम्हें वेदना से क्या लेना, नशा है दौलत का, मन रंजन को देने... Hindi · मुक्तक 500 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read किरण महबूब सी आयी बदलती कुछ फ़िज़ां ऐसी,सुहानी भोर लगती है । चमन की हर कली देखो,सँवरती आज लगती है । उतरती पाँव ज़मीं पर रख,किरण महबूब सी आयी । समा 'अंजान' बाँहों में,बिखरती... Hindi · मुक्तक 336 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read कहाँ तक गीत गाऊँ मैं, कहाँ तक गीत गाऊँ मैं, ग़रीबी के अमीरी के । मुझे मालूम है कटते, नहीं दिन अब फ़कीरी के । करूँ क्या पर बताओ तो, तमन्ना क्यों अधूरी है ?... Hindi · मुक्तक 555 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read हो गयी हद मौन की हो गयी हद मौन की सब ग्रंथियों को खोल दो, रक्त-स्याही को बना अब लेखनी को बोल दो । छंद गढ़ते हो बहुत ग़र वेदना के घाव के, आ गया... Hindi · मुक्तक 415 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read साँस चलती रहे साथ तुम जो रहो आस पलती रहे, हाथ दिल पर रखो साँस चलती रहे । छोड़ देना नहीं तुम कभी राह में, दूर से ही सही चाह फलती रहे ।... Hindi · मुक्तक 421 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read प्यार से बोल दो आज दिल के सभी द्वार तुम खोल दो, बोल मीठे कभी प्यार से बोल दो । रूठने से नहीं काम बनते सनम, रंग उल्फ़त अभी संग तुम घोल दो ।... Hindi · मुक्तक 327 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read अकेला ही मुसाफ़िर हूँ । फिसलते संगमरमर पर सभी के पैर देखे हैं, उमर छोटी सी है लेकिन अपने-ग़ैर देखे हैं । मैं इक उजड़े हुए दिल का अकेला ही मुसाफ़िर हूँ । दिलों में... Hindi · मुक्तक 271 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read जियें कैसे कहो खिल के सज़ी महफ़िल मज़े लूटे,सभी ने यार हैं मिलके । हमीं निकले अभागे बस, कहें क्या हाल अब दिल के । शराफ़त पाँव की बेड़ी, उसूलों ने हमें रोका । तरसते... Hindi · मुक्तक 209 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read हमें अब छोड़ती दुनिया लगा दी आग अब दिल में,तमाशा देखती दुनिया, मज़ा तुम भी कभी लूटो,है' जैसे लूटती दुनिया । हमारा क्या तुम्हारा क्या,बराबर हो नहीं सकते, हमें दिल हारना तुम पर,तुम्हें है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 351 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read नदी अश्क़ों के' धारे हैं । अज़ब इंसाफ़ क़ुदरत का, बने हम दो किनारे हैं, इधर हम हैं उधर तुम हो, नदी अश्क़ों के' धारे हैं । इबादत में झुके हम हुस्न की रोया जहां छोड़ा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 174 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read नदी अश्क़ों के' धारे हैं । अज़ब इंसाफ़ क़ुदरत का, बने हम दो किनारे हैं, इधर हम हैं उधर तुम हो, नदी अश्क़ों के' धारे हैं । इबादत में झुके हम हुस्न की रोया जहां छोड़ा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 224 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read ऐसी कोई लहर नहीं ऐसी कोई लहर नहीं जो गिरती-उठती न हो, तूफानों से उलझ-सुलझकर आगे बढ़ती न हो । साजन सोने चले गये हैं सौतन की बाँहों में, चट्टानों सी खड़ी मुसीबत जीवन... Hindi · गीत 281 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read रुको तो न जाओ अभी तो बुलाया । गगन इस तरह से लगे झिलमिलाया, दियों को दिलों में किसी ने जलाया । लगी आज कहने झड़ी आँसुओं की, रुको तो न जाओ अभी तो बुलाया । हमें दुख... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 442 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read हमारी प्रेरणा बनकर हमें ज़िंदा किया तुमने, हमारी प्रेरणा बनकर हमें ज़िंदा किया तुमने, बड़ा अहसान है मुझ पर चलो अच्छा किया तुमने । तरसते ही रहे हम तो नज़र भर प्यार को देखो, ख़ुशी से मर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 239 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read दिलों की पीर नयन को सजल ही लिख दो । लिखो तो गीत कोई एक ग़ज़ल ही लिख दो, दिलों की पीर नयन को सजल ही लिख दो । ग़रीबों के वो सितारे चमकते झोपड़ियों में, तरसते नींद को ऊँचे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 204 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read ग़ुलिश्तां में नये पौधे, लगाना भी ज़रूरी है । दरिन्दों से परिन्दों को, बचाना भी ज़रूरी है, ग़ुलिश्तां में नये पौधे, लगाना भी ज़रूरी है । दिखे मंज़र भयानक ही, लगे अब आइना झूठा, लुटेरों के नक़ाबों को ,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 195 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read बदलती करवटें देखो बदलती करवटें देखो, सुलगती सलवटें देखो । उनींदी आँख, तकिये सँग, उलझती हैं लटें देखो । बरसते नैन के मेघो ! तरसते चैन को दिलबर । तुम्हारी याद में रातें,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 336 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read ये'जीवन यूँ ग़ुजरता है, नशा जैसे उतरता है । ये'जीवन यूँ ग़ुजरता है, नशा जैसे उतरता है । हमारा हुस्न अब हमसे,सँवारे ना सँवरता है । नशीली आँख का जादू, रसीले होंठ बेक़ाबू, पड़े ख़ाली हैं' पैमाने,भरे से अब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 189 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read चलो हर गली एक मंदिर बना दें, चलो हर गली एक मंदिर बना दें, ख़ुदा का बसेरा हो' मस्ज़िद बना दें । उठीं जो दिवारें जहाँ मज़हबों की, चलो आओ' मिलकर उन्हें हम गिरा दें कभी जान... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 188 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read जूड़ौ-जूड़ौ सब लगे जूड़ौ-जूड़ौ सब लगे, चित्त ठिकानों नायँ । घूँट एक पानी पियें, लगैं दाँत ठन्नायँ ।। लगैं दाँत ठन्नायँ, सपरवै जी नैं होवै । घर कै सब खिसयात, घमौंरी टैम न... Hindi · कुण्डलिया 229 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read यही आपका प्यार आता-जाता है बहुत, तुमको मेरे यार । यही बड़प्पन आपका, यही आपका प्यार ।। यही आपका प्यार, आपका बनता संबल । मन जब खिले बहार, जीतता है फिर निर्बल ।।... Hindi · कुण्डलिया 216 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read चलो फ़रियाद करते हैं, चलो फ़रियाद करते हैं, ख़ुदा को याद करते हैं । सफल हो जाएँ' मनसूबे, करम नाबाद करते हैं । बहुत शोषण किया तूने, तुझे बरबाद करते हैं । सभी हक़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 201 Share Page 1 Next