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9 Feb 2018 · 1 min read

धूल से शृंगार कर लो

आज पैसों के बिना ही प्रीत का व्यापार कर लो,
शबनमीं इन तितलियों को फूल से अंगार कर लो ।
रौंद डालीं जो तुम्हीं ने पग तले कर धूल डालीं,
वक़्त कहता धूल बनकर धूल से शृंगार कर लो ।

युग बदलते शत्रुओं का आज तुम संहार कर लो ।
वीरता को आज रण में निज गले का हार कर लो ।
देश की पावन धरा पर नेह का दीपक जलाकर ।
शूर का अवतार धर लो धूल से शृंगार कर लो ।

Language: Hindi
390 Views
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