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9 Feb 2018 · 1 min read

अकेला ही मुसाफ़िर हूँ ।

फिसलते संगमरमर पर सभी के पैर देखे हैं,
उमर छोटी सी है लेकिन अपने-ग़ैर देखे हैं ।
मैं इक उजड़े हुए दिल का अकेला ही मुसाफ़िर हूँ ।
दिलों में बस,निकलते लोग करते सैर देखे हैं ।

*अंजान

Language: Hindi
262 Views
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