Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2023 · 1 min read

‘अकेलापन’

भ्रान्तियों की धूप मेँँ, था,
सत्य क्यों, कुम्हला गया।
हर कोई अपना लगा था,
दिल को जो, बहला गया।।

धूल जब, दर्पण से उतरी,
हो गया कुछ, चकित सा।
भ्रम सँजो रक्खे थे जो, उर,
सबको था, झुठला गया।।

तिमिर-पथ व्याकुल, व्यथित हो,
मुझको यूँ, देखे है क्यूँ।
जब उजाला मन का, नख-शिख,
मुझको था, नहला गया।।

खेल “आशा” और निराशा का,
निरन्तर यूँ चला,
याद वो आया बहुत, जो,
दिल को था, ठुकरा गया।।

दे गया अवसर स्वयं से,
बात का, पहचान का।
इक अकेलापन भी, उफ़,
क्या-क्या नहीं, सिखला गया..!

##———-##———-##——— -##

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 1 Comment · 205 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
View all
You may also like:
हर पिता को अपनी बेटी को,
हर पिता को अपनी बेटी को,
Shutisha Rajput
जिसप्रकार
जिसप्रकार
Dr.Rashmi Mishra
पुलवामा अटैक
पुलवामा अटैक
लक्ष्मी सिंह
kab miloge piya - Desert Fellow Rakesh Yadav ( कब मिलोगे पिया )
kab miloge piya - Desert Fellow Rakesh Yadav ( कब मिलोगे पिया )
Desert fellow Rakesh
"ना भूलें"
Dr. Kishan tandon kranti
सैलाब .....
सैलाब .....
sushil sarna
ड्यूटी और संतुष्टि
ड्यूटी और संतुष्टि
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मतिभ्रष्ट
मतिभ्रष्ट
Shyam Sundar Subramanian
*मन का समंदर*
*मन का समंदर*
Sûrëkhâ Rãthí
🪔सत् हंसवाहनी वर दे,
🪔सत् हंसवाहनी वर दे,
Pt. Brajesh Kumar Nayak
मैं और मेरी तन्हाई
मैं और मेरी तन्हाई
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
* नई दृष्टि-परिदृश्य आकलन, मेरा नित्य बदलता है【गीतिका】*
* नई दृष्टि-परिदृश्य आकलन, मेरा नित्य बदलता है【गीतिका】*
Ravi Prakash
"रंग भले ही स्याह हो" मेरी पंक्तियों का - अपने रंग तो तुम घोलते हो जब पढ़ते हो
Atul "Krishn"
आऊँगा कैसे मैं द्वार तुम्हारे
आऊँगा कैसे मैं द्वार तुम्हारे
gurudeenverma198
जब तक लहू बहे रग- रग में
जब तक लहू बहे रग- रग में
शायर देव मेहरानियां
तेरी सादगी को निहारने का दिल करता हैं ,
तेरी सादगी को निहारने का दिल करता हैं ,
Vishal babu (vishu)
You come in my life
You come in my life
Sakshi Tripathi
संवरना हमें भी आता है मगर,
संवरना हमें भी आता है मगर,
ओसमणी साहू 'ओश'
मुझे सहारा नहीं तुम्हारा साथी बनना है,
मुझे सहारा नहीं तुम्हारा साथी बनना है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
पेट भरता नहीं है बातों से
पेट भरता नहीं है बातों से
Dr fauzia Naseem shad
■ आज का मुक्तक
■ आज का मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
बाल बिखरे से,आखें धंस रहीं चेहरा मुरझाया सा हों गया !
बाल बिखरे से,आखें धंस रहीं चेहरा मुरझाया सा हों गया !
The_dk_poetry
गुस्सा सातवें आसमान पर था
गुस्सा सातवें आसमान पर था
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मैं इस कदर हो गया हूँ पागल,तेरे प्यार में ।
मैं इस कदर हो गया हूँ पागल,तेरे प्यार में ।
Dr. Man Mohan Krishna
थे कितने ख़ास मेरे,
थे कितने ख़ास मेरे,
Ashwini Jha
आकर फंस गया शहर-ए-मोहब्बत में
आकर फंस गया शहर-ए-मोहब्बत में
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
कहानी-
कहानी- "हाजरा का बुर्क़ा ढीला है"
Dr Tabassum Jahan
आदर्श शिक्षक
आदर्श शिक्षक
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Anxiety fucking sucks.
Anxiety fucking sucks.
पूर्वार्थ
जिस प्रकार लोहे को सांचे में ढालने पर उसका  आकार बदल  जाता ह
जिस प्रकार लोहे को सांचे में ढालने पर उसका आकार बदल जाता ह
Jitendra kumar
Loading...