दीपक चौबे 'अंजान' 68 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read रूठती वो रही हम मनाते रहे । ज़िंदगी में कई मोड़ आते रहे, हम मग़र हर समय गुनगुनाते रहे । गीत में ढल गई ज़िंदगी की तपन, ख़ुद को'लिखते रहे और सुनाते रहे । रेत से ढह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 411 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read वही अपना किनारा है समंदर का करें हम क्या हमें झरना ही' प्यारा है, जहाँ दिल प्यास मिट जाए वही अपना किनारा है । उठाकर हाथ छू लो तुम बुलंदी चढ़ शिखर चूमो, मे'री... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 205 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read भावों की सरिता बही, भावों की सरिता बही, भीगे आज कपोल । सिसकारी सब बोलती, नयना अधर न खोल ।। नयना अधर न खोल, घोल रही रंग विरह के । अँसुअन हैं अनमोल, जिए... Hindi · कुण्डलिया 463 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read कभी पत्थर भी पिघले पिघले पूरे हैं नहीं, अभी शेष पाषाण । बैठे इस विश्वास में, तड़प उठें कब प्राण ।। तड़प उठें कब प्राण, असर हो जाए शायद । फलीभूत मन तान, सफल... Hindi · कुण्डलिया 193 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read बनेगा जीवन सुंदर सुंदर दोहे मित्रवर, लिखते रहिए आप । बाण बनाओ लेखनी, अरु क़ागज़ को चाप ।। अरु क़ागज़ को चाप, जाप उर होय निरंतर । शब्दों से रच देव, नया फिर... Hindi · कुण्डलिया 530 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read ममता करुणा नयन में, ममता करुणा नयन में, उर में दया समाय । जननी तो पल में हरै, जो जीवन दुख आय ।। जो जीवन दुख आय, गाय लोरी लै अंकन । शिशु वत्सल... Hindi · कुण्डलिया 467 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read गोवर्धन कैसे करें गोवर्धन कैसे करें, गोबरधन के राज । ढपली शिव की बाजती, अरु बेढंगे साज़ ।। अरु बेढंगे साज़, काज सब पड़े अधूरे । कंसन के सिर ताज़, स्वप्न कब होंगे... Hindi · कुण्डलिया 400 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read राहू निगले सोम को राहू निगले सोम को, केतू आँख दिखाय । हालत अपनी इस तरह, रोज़ गहन लग जाय ।। रोज़ गहन लग जाय, हाय मन बेबस चंदा । अब तौ कछू न... Hindi · कुण्डलिया 242 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read हाला हम निशदिन पियें हाला हम निशदिन पियें, मथ स्वप्नों को मीत । देव पराजित हो चले, गये निशाचर जीत ।। गये निशाचर जीत, हुआ पापी का शासन । हाय सिसकती प्रीत, सभा में... Hindi · कुण्डलिया 184 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read अनुभव वय सै आय । ज्ञानी की होती नहीं, अनुभव वय सै आय । खेल-खेल में सीख लें, घटी न व्यर्थ गँवाय ।। घटी न व्यर्थ गँवाय, समय की क़ीमत जानौ । संवत नया बुलाय,... Hindi · कुण्डलिया 393 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read चौबे जी घर सोहरे चौबे जी घर सोहरे, ठुमक पड़ोसन गाय । टेर बुलौआ शाम सै, देत खबासन आय ।। देत खबासन आय, आँगना बजै ढुलकिया । मन फिरकैंया लेय, नचै फिर टेकत लठिया... Hindi · कुण्डलिया 190 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read कभी पत्थर भी पिघले पिघले पूरे हैं नहीं, अभी शेष पाषाण । बैठे इस विश्वास में, तड़प उठें कब प्राण ।। तड़प उठें कब प्राण, असर हो जाए शायद । फलीभूत मन तान, सफल... Hindi · कुण्डलिया 335 Share दीपक चौबे 'अंजान' 8 Feb 2018 · 1 min read कभी जलते हैं हम संध्या होते ही रोज़ सुलगते हैं हम चूल्हे के संग में। रोटियों की तरह कभी फूल जाते हैं कभी जलते हैं हम । उन्हें तो मैं खा लेता हूँ और... Hindi · कविता 385 Share दीपक चौबे 'अंजान' 8 Feb 2018 · 1 min read मुहब्बत इक इबादत है ज़रूरी दिल की चाहत है मुहब्बत इक इबादत है । मगर सदियों से दुनिया में ज़माने से बगावत है । तमन्ना आज भी दिल में कि दिलबर कोई मिल जाए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 187 Share दीपक चौबे 'अंजान' 8 Feb 2018 · 1 min read क्या तुम्हारा आदमी से अब रहा नाता नहीं । बढ़के' बेबस को सहारा क्यों दिया जाता नहीं, क्या तुम्हारा आदमी से अब रहा नाता नहीं । सर्द रातों में ठिठुरते जो पड़े फुटपाथ पर, जाके' सिगड़ी पास उनके कोई'... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 219 Share दीपक चौबे 'अंजान' 8 Feb 2018 · 1 min read दीवाली के दिये जले दीवाली के दिये जले पर, घर अपने अँधियारा है । कोई आख़िर मुझे बताये, हक़ ये किसने मारा है ।... शनै-शनै निगले है' ग़रीबी, आफ़त गला मरोड़ रही । हम... Hindi · गीत 203 Share दीपक चौबे 'अंजान' 8 Feb 2018 · 1 min read ओ ! मातु देवी, नर्मदा ओ ! मातु देवी, नर्मदा, करना कृपा तू, सर्वदा । हो न पायें तेरे चरणों, से कभी भी हम जुदा ।.... तट पे तप करने को तेरे, छोड़ के निज... Hindi · गीत 215 Share दीपक चौबे 'अंजान' 8 Feb 2018 · 1 min read vandna माँ शारदे अर्पण सदा ही, सुमन-मन स्वीकार हो । रस-छंद-भूषण-भाव-कविता, सहज अंगीकार हो । निर्मल-हृदय कर प्रेम-पूरित, वासना न विकार हो । कर लय अबाधित शब्द-साधित, शक्ति-गुण भंडार हो । Hindi · कविता 286 Share Previous Page 2