अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि Tag: ग़ज़ल/गीतिका 127 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 14 Jun 2021 · 1 min read पीत चुनरिया पीत वसन है गीतिका ****** पीत चुनरिया पीत वसन हैं। फूलों से सज्जित उपवन हैं। फूलों पर मंडराते फिरते, मनमौजी भंवरों के मन है। पीली सरसों के महकाते, मन को भाते खेत सघन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 704 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 1 Aug 2021 · 1 min read मन के द्वेष मिटाने हों गे मन के द्वेष मिटाने होंगे विधा-गीतिका प्रदत्त समान्त -आने पदान्त -होंगे,अन्त में २गुरु सममात्रिक,मात्रा-१६ मन के द्वेष मिटाने होंगे। पग उस ओर बढ़ाने होंगे।।(१) जो भी रूठे हैं, होली में,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 505 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 18 Jun 2021 · 1 min read बेवफा बेवजह मत गिला कीजिए २१२ २१२ २१२ २१२ बेवफा बेवजह मत गिला कीजिए। एक कारण हमें भी बता दीजिए। हुश्न पाकर कभी मत करो तुम गुमां, प्यार का जज्ब थोड़ा सा पी लीजिए। हुश्न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 525 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 13 Mar 2021 · 1 min read नागों की क्या बात करें ???? देखें व्यंग एक गीतिका के माध्यम से ???? ????? नागों की क्या बात करें हम,जब इंसां ख़ुद बिषधर हो। पापों की क्या बात करें अब,जब पापी ही सहचर हो।।(१)... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 3 486 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 8 May 2021 · 1 min read मुखौटे पर मुखौटा है १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ छंद-विधाता विधा- गीतिका मुखौटे पर मुखौटा है, कहां ढूंढूं मैं' परछाईं। भरी है दिल में मक्कारी, कहां ढूंढूं मैं' सच्चाई।। फरेबी है जहां सारा,मनुज शैतान सा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 502 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 12 Aug 2020 · 1 min read कहां गायब हुए हो तुम कन्हैया लौट अब आओ। १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ कहां गायब हुए हो तुम कन्हैया लौट अब आओ। बिछाए आंख हम बैठै जरा हम पर तरस खाओ। बहुत सा खेल खेला है रचायी रास लीला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 439 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 24 Dec 2020 · 1 min read जिंदगी बहु काम की छंद-गीतिका विधा-गीतिका (मापनीयुक्त) २१२२ २१२२ २१२२ २१२ कीजिए सुंदर सफर यह जिंदगी बहु काम की। छोड़कर झगड़े सकल अब बात कर निष्काम की।(1) क्यों गंवाता वक्त को ये वक्त तो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 468 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 28 Jul 2020 · 1 min read तिरंगा झंडा ?????????????????????? तीन रॅग का ये तिरंगा ही हमारी शान है। इस तिरंगे की जगत में भी अलग पहचान है। झुक न पाया ये कभी भी दुश्मनों के बीच में, सरहदों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 533 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 29 May 2021 · 1 min read अपने पथ पर अटल जिंदगी छंद-सिंह विलोकित विधा -गीतिका मात्रिक ८,८या १०,६(१६ मात्रिक) उलझी उलझी बंधी जिंदगी। चक्रवात में, फंसी जिंदगी।।(१) पतझर सावन सबको सहकर, धूप-छांव में पली जिंदगी।(२) रिश्ते-नातों के मानक पर पूरी-पूरी कसी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 410 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 2 Jun 2021 · 1 min read है ये मौसम हंसी और मैं भी जवां विधा-गीतिका छंद-स्रग्विणी वाचिक (मापनी युक्त) मापनी २१२ २१२ २१२ २१२ समांत-आ पदांत-दो पिया मेरे केशों में गजरा सजा दो पिया। मेरे सीने में इक लौ जगा दो पिया।।(१) प्यार पाने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 417 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 3 Jun 2021 · 1 min read मझधार में कश्ती है ना ठोर ठिकाना है ग़ज़ल/गीतिका दिनांक ३/६/२१ *वाद्विभक्ती* 24 मात्रिक, मापनीयुक्त २२१ १२२२/२२१ १२२२ मझधार में कश्ती है ना ठोर ठिकाना है। मिलते थे मुहब्बत से गुज़रा वो ज़माना है।(१) अब लोग लगे खुद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 483 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 21 Mar 2021 · 1 min read आये जबहिं चुनाव आते जबहि चुनाव , लुभाते नेता जी। वादे करें नित रोज़ , रिझाते नेता जी। बीते यूँ ही साल,किया न पूरा' वादा। सपने फिर इस साल, दिखाते नेता जी। बदलें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 456 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 13 Mar 2021 · 1 min read वक्त गुजरा संवरने लगे आधार छंद - वाचिक महालक्ष्मी मापनी - 212 212 212 समांत - ' अरने ' , पदांत - ' लगे ' . ****गीतिका ****" ?? वक्त गुजरा संवरने लगे। वात... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 434 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 10 Jan 2021 · 1 min read द्रौपदी का हो रहा शोषण गीतिका- आधार छंद- मनोरमगा(मापनी युक्त मात्रिक) मापनी- गालगागा गालगागा गा 2122, 2122, 2 समांत- आनी, पदांत- है ~~~~~~~~~~~~~~ आज सबकी यह कहानी है। शुष्क मुखड़ा,आंख पानी है।(१) आब ठहरा नहिं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 412 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 7 Jul 2020 · 1 min read वर्तमान परिपेक्ष्य मेंं*चीनियों को है दिखानी धार अब* हो चुकीं बातें बहुत अब प्यार की। बात अब हम कुछ करें अंगार की। काम कुछ ऐसा स्वयं हम अब करें, आंख खुल जाये सकल संसार की। चीनियों को है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 453 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 10 Apr 2021 · 1 min read दुश्मन न डाले तिरछी नजर NOV 11 दुश्मन न डाले तिरछी नज़र , मुझको ऐसा दमन चाहिए। भूखा न हो कोई नागरिक, मुझको ऐसा वतन चाहिए। फूल खिलते रहें हर तरफ बाग में प्यार के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 385 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 13 Mar 2021 · 1 min read एक कहानी लगती है गीतिका ???????? लावणी छंदाधारित मात्रिक छंद,मात्रा -३०; १६/१४ पर यति समांत-आनी पदांत-लगती है। प्रेम भाव की भाषा तो अब, बहुत पुरानी लगती है। जो इस दिल की दीवानी थी,वो अनजानी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 401 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 13 Mar 2021 · 1 min read दिव्य सुशोभित भाल ,धरा को देखो ??? आधार छंद -हंसगति (मापनी मुक्त) मात्रिक ११;९ पर यति समान्त-शून्य पदान्त -धरा को देखो । गीतिका ***** छंद-हंसगति(मापनी मुक्त) ११,९ पर यति यति से पूर्व व पश्चात त्रिकल अनिवार्य... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 374 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 23 Jun 2021 · 1 min read झूठ के पाखंड से सत्य पथ हारा नहीं विधा-गीतिका आधार छन्द-गीतिका समान्त-आरा पदान्त-नहीं ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;; झूठ के पाखंड से ये सत्यपथ हारा नहीं। सत्य ही जीता हमेशा झूठ को चारा नहीं। हों जतन चाहें भी कितने झूठ नित टिकता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 404 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 13 Mar 2021 · 1 min read क्यों बुराई कर रहा है आदमी गीतिका :- आधार छंद - आनंदवर्धक मापनी- २१२२ २१२२ २१२ समांत-अर पदांत-रहा है आदमी क्यों बुराई कर रहा है आदमी। पाप गठरी भर रहा है आदमी।। घोलता खुद विष हवा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 398 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 19 Mar 2022 · 1 min read होली का हुड़दंग होली का हुड़दंग मचा है,देखो कितना होली में। मजनूं बनकर नाच रहे हैं,दीवाने सब टोली में।। छत पर खड़ी प्रेयसी सोचे, रंग लगाऊं कैसे मैं, अंगना में मम्मी पापा हैं,बोलूं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 356 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 13 Mar 2021 · 1 min read व्यंग अहंकार का रावण बैठा,सत्ता के गलियारों में। छंद-गीतिका समांत-ओं पदांत-में लावणी छंद आधारित (मात्रा १६,१४) एक गीतिका ??? अहंकार का रावण बैठा,सत्ता के गलियारों में। जब उनको कुर्सी मिल जाती,जा छुपते दीवारों में।। घूम रहे देखो व्यभिचारी,खुले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 404 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 8 May 2021 · 1 min read मीत आओ,साथ गाओ गीतिका छंद - सुगति छंद (मात्रिक ) मापनी - 2122 समांत - आओ गीतिका :- ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;; मीत आओ। साथ गाओ।। भोर निकला, जाग जाओ। बन उजाला, खुद दिखाओ। कुछ सुऩो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 396 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 6 May 2021 · 1 min read पप्पू भैया की नहीं, कहीं गल रही दाल। विधा- गीतिका छंद-दोहा रस-व्यंग सिर पर टोपी है रखी, मन में बहुत सवाल । पप्पू भैया की कहीं,नहीं गल रही दाल। मोदी जी पर नित नये,लगा रहे आरोप, झूठे अब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 362 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 18 Dec 2020 · 1 min read जिंदगी करती रही नित चाह है। छंद-पियूष पर्व २१२२ २१२२ २१२ जिंदगी करती रही नित चाह है। चाह ही तो एक मुश्किल राह है। राह में कांटे बहुत हैं जान लो, और मंजिल की यही बस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 365 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 8 May 2021 · 1 min read कनखियों से देखकर वह मुस्कुराती जा रही है। २१२२ २१२२ २१२२ २१२२ छंद-द्विमनोरम कनखिओं से देखकर वह मुस्कुराती जा रही है। और मादक गंध अपनी नित बहाती जा रही है। केश बादल से घनेरे हैं घटाएं छांव की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 359 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 13 Mar 2021 · 1 min read चल रही जिंदगी ************** एक गीतिका मात्रा भार-२० ,मात्रिक छंद(सम मांत्रिक) २१२ २१२ २१२ २१२ चल रही ज़िंदगी ढल रही ज़िंदगी। आज अपनी डगर बढ़ रही ज़िंदगी ।।(१) हमसफ़र तो मिले,छूटते ही गये,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 385 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 21 Mar 2021 · 1 min read हमारे देश की देखो विधा- गीतिका छंद- विधाता मापनी - 1222 1222 1222 1222 समान्त- अन, पदांत-की ----------------- हमारे देश की देखो ,दशा अब आम जन जन की। कहाँ है न्याय की धारा ,गयी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 342 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 17 May 2021 · 1 min read मौन को भी तोड़कर फिर एक स्वर फिर से उठेगा २१२२ २१२२ २१२२ २१२२ विधा -गीतिका मत कभी खोना भरोसा वक्त यह भी सब कटेगा। हो अंधेरा चाहे' जितना एक दिन हरगिज छॅटेगा।।(१) चांद भी डरता नहीं है देखकर काली... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 340 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 31 Dec 2021 · 1 min read सुन लो दिग्पाल छंद २२१ २१२२/ २२१ २१२२ सुन लो प्रभू हमारे,हम दास हैं तुम्हारे। किरपा सदा रही है ,सब काज ही संवारे।। तूने किया सतत ही, इस दास का भला है,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 332 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 13 Mar 2021 · 1 min read बेवजह मत बोलिए गीतिका आधार छन्द -मालिनी 2122 212 समान्त-ओ पदान्त-लिए ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;; बेवजह मत बोलिए। मुॅह न अपना खोलिए। लोग तो कहते बहुत, माप कर ही तोलिए। वायु में रज कण बहुत, अब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 335 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 23 Jun 2021 · 1 min read प्यार के गीत गाने लगे २१२ २१२ २१२ प्यार के गीत गाने लगे। स्वप्न में वो जगाने लगे।। वक्त ऐसा हुआ खुशनुमा, लफ्ज उनके तराने लगे। कट गयी रात काली सहज, बात वो जो सुनाने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 356 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 1 Jun 2021 · 1 min read उनकी युॅ बेरुखी से दिल बेकरार होता पटल को नमन! ११२१ २१२२ ११२१ २१२२ उनकी युॅ बेरुखी से दिल बेकरार होता। इस यार को ज़रा ना अब इंतजार होता।।(१) सुनसान रात में ये दिखती विरानगी है यदि... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 316 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 28 May 2021 · 1 min read हुश्न कब ठहरा किसी का बात सच्ची मानिए विधा-गीतिका छंद -गीतिका वाचिक (मापनी युक्त) २१२२ २१२२ २१२२ २१२ हुश्न कब ठहरा किसी का बात सच्ची मानिए। है किताबों में लिखा ये आप भी यह जानिए।(१) इश्क में पाकीज़गी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 356 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 20 Sep 2021 · 1 min read नाच रहे हैं कान्हा- दाऊ २०/९/२१ छंद-सार विधा-गीतिका १६+१२=२८ अंत में दो गुरु नाच रहे हैं कान्हा दाऊ,खेल रहे हैं होली। सॅग में राधा नाच रहीं हैं,नाच रही सॅग टोली।।(१) रॅग भर-भर पिचकारी मारें,सब हैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 315 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 21 Mar 2021 · 1 min read क्या और दूं तुमको प्रिये आधार छंद – मधुवल्लरी मापनी- 2212 2212 2212 पदांत – किया,समांत – अन क्या और दूं तुमको प्रिये,अर्पण किया। हर सांस तेरी मान कर, वंदन किया।।(१) तू तो अकेला चल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 313 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 3 Apr 2021 · 1 min read रिझाता है दिलों को छंद-सिन्धु विधा-गीतिका मापनी -१२२२ १२२२ १२२२ (वाचिक) पहला, आठवां तथा पंद्रहवां वर्ण लघु। रिझाता है दिलों को बांसुरी वाला। कहै नटवर उसे , कोई, उसे ग्वाला।। वशी, वो प्रेम -बंधन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 313 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 5 Jul 2021 · 1 min read दो सुकूं के ही पल अब दिला दीजिए 212 212 212 212 क्या खता है मिरी अब बता दीजिए। है खता गर मिरी तो सजा दीजिए।। प्यास बढती ही जाती है पल पल मिरी, अब तो आंखों से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 353 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 24 May 2021 · 1 min read नहीं आप उसको युॅ ठुकराइएगा १२२ १२२ १२२ १२२ छंद-वाचिक भुजंगप्रयात (मापनीयुक्त) विधा - गीतिका समांत-आइएगा अपदान्त। हुई भूल हमसे न अब गाइएगा । मिलो प्यार से मान अब जाइएगा ।।१। चलो भूल जाएं गिले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 317 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 28 May 2021 · 1 min read बिन थाह समुंदर का किस काम का पानी है। २२१ १२२२ २२१ १२२२ बिन थाह समुंदर का किस काम का पानी है। उस घाट से' क्या लेना जिस पाल विरानी है।।(१) कब कौन भरोसा है दुनिया की' बजरिया में।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 345 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 13 Mar 2021 · 1 min read मन को मैंने रंग डाला है,इस होली में। ???? गीतिका~ (छन्द- शक्तिपूजा ,मात्रिक - 16,8) मन को मैंने रॅग डाला है,इस होली में। तन को मैंने रॅग डाला है, इस होली में।। भस्म हुए सब गिले शिकायत,मन साफ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 335 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 18 Jun 2022 · 1 min read आग लगाकर हाथ सेंकते,उन लोगों से दूर रहो कविता लोक गीतिका समारोह- 364, दिनांक-१८/६/२०२२ आधार- लावणी(चौपाई+मानव छन्द) मापनीमुक्त मात्रिक विधान -30 मात्रा ,16 ,14 पर यति ,अंत में वाचिक गा समान्त-ओं, पदान्त-से दूर रहो ,================================== आग लगाकर हाथ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 302 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 5 Mar 2021 · 1 min read हमारा मान है नारी हमारी शान है नारी हमारा मान है नारी हमारी शान है नारी। लुटाती प्यार नित अपना वफा की खान है नारी।। भले सीधी सरल लेकिन, बहुत उलझी हुई है वो, धधकती आग का गोला,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 290 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 13 Mar 2021 · 1 min read आदमी ही आदमी से डरने लगा है समांत-० पदांत-लगा है। २१२२ २१२२ २ २१२२ ●● व्यङ्ग्य गीतिका ●● आदमी ही आदमी से डरने लगा है। आदमी ही आदमी को डसने लगा है।।१।। आदमी की शक्ल में ही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 292 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 13 Mar 2021 · 1 min read फाग की आहट हुई है गीतिका---- छंद-मनोरम समांत-ई पदांत-है। २१२२ २१२२ २१२२ २१२२ फाग की आहट हुई है,अब धरा दुल्हन बनी है। कौन सुन्दर है ज़मीं पर, प्रकृति में अब यह ठनी है।। सूर्य का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 309 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 29 May 2021 · 1 min read घुट रही है सांस पल -पल छंद-मनोरम (मात्रिक,मापनीयुक्त) २१२२ २१२२ घुट रही है सांस पल -पल । दिख रहा नहिं कोई' निश्छल।(१) हर जगह मेला लगा है, मिल रहा ना शुद्ध भी जल।(२) प्राण वायू की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 284 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 27 May 2021 · 1 min read दांव पाकर कर रहे हैं बदजुबानी आज फिर २१२२ २१२२ २१२२ २१२ छंद -गीतिका (मात्रिक मापनीयक्त) याद आता है वो बचपन शादमानी आज फिर। बन रही है खूबसूरत सी कहानी आज फिर।।(१) फूल बनकर खिल रही है ज़िंदगी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 276 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 19 Jun 2021 · 1 min read बोल अंधेरों पे आ गुनगुनाने लगे छंद-वाचिक स्रग्विणी २१२ २१२ २१२ २१२ बोल अधरों पे' आ गुनगुनाने लगे। प्यार की बोलियां ही सुनाने लगे।। खुल गईं खिड़कियां आज सब प्यार की, शब्द दिल की दशा ही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 314 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 3 Jun 2021 · 1 min read जफा मेरा बताओ(मजदूर की व्यथा) विषय: मजदूरों की व्यथा(एक यक्ष प्रश्न) विधा -गीतिका मापनी १२२२,१२२२,१२२२,१२२ समान्त -आओ ! पदान्त-० नहीं मुझ पर करो किरपा नहीं अहसां दिखाओ। गरीबी में पला हूं मैं जफा मेरा बताओ।(१)... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 276 Share अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि 14 Jun 2021 · 1 min read कहां गायब हुए हो तुम कन्हैया लौट अब आओ 'आयो नंदगोपाल सभी देशवासियों को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई व अशेष शुभकामनाएं। मंच को सादर निवेदित गीतिका ??? छंद:विधाता कहां गायब हुए हो तुम कन्हैया लौट अब आओ। बिछाए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 274 Share Page 1 Next