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18 Dec 2020 · 1 min read

जिंदगी करती रही नित चाह है।

छंद-पियूष पर्व
२१२२ २१२२ २१२
जिंदगी करती रही नित चाह है।
चाह ही तो एक मुश्किल राह है।
राह में कांटे बहुत हैं जान लो,
और मंजिल की यही बस थाह है।
खुशबुओं का है बसेरा खार सॅग,
दर्प देते यदि असजग निगाह है।
जिंदगी को मत न समझो खार तुम,
जिंदगी रब की इनायत-गाह है।
जिंदगी को जी लिया जिसने’अटल’
इस ज़माने का वहीं तो शाह है।
अटल मुरादाबादी

1 Like · 362 Views
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