जब नयनों में उत्थान के प्रकाश की छटा साफ दर्शनीय हो, तो व्यर
जब नयनों में उत्थान के प्रकाश की छटा साफ दर्शनीय हो, तो व्यर्थ क्यों विधाता को दोष दूँ कि मुझे अंधकार से निकलने का राह क्यों नही दिखाया।
जब नयनों में उत्थान के प्रकाश की छटा साफ दर्शनीय हो, तो व्यर्थ क्यों विधाता को दोष दूँ कि मुझे अंधकार से निकलने का राह क्यों नही दिखाया।