Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Apr 2021 · 1 min read

दुश्मन न डाले तिरछी नजर

NOV
11
दुश्मन न डाले तिरछी नज़र , मुझको ऐसा दमन चाहिए।
भूखा न हो कोई नागरिक, मुझको ऐसा वतन चाहिए।

फूल खिलते रहें हर तरफ बाग में प्यार के ही सतत अब,
खुशबू से महके ये सारा ,मुझको ऐसा चमन चाहिए।

उड़ सकूँ पॅख बिन उन्मुक्त हो ,मुझको ऐसा गगन चाहिए।

सर झुककर करूँ मैं निवेदन ,मुझको ऐसा नमन चाहिए।

हो न कोई रोग उसमें कभी ,मुझको ऐसा बदन चाहिए।

मुक्त हो जाऊँ दुनिया कीझंझटसे मै,मुझको ऐसा जतन चाहिए।

मरकर भी मैं , हो हो जाऊँअमर ,मुझको ऐसा कफ़न चाहिए।

1 Like · 382 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"अगर"
Dr. Kishan tandon kranti
चोरबत्ति (मैथिली हायकू)
चोरबत्ति (मैथिली हायकू)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
तपाक से लगने वाले गले , अब तो हाथ भी ख़ौफ़ से मिलाते हैं
तपाक से लगने वाले गले , अब तो हाथ भी ख़ौफ़ से मिलाते हैं
Atul "Krishn"
#मुक्तक
#मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
3123.*पूर्णिका*
3123.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भाई घर की शान है, बहनों का अभिमान।
भाई घर की शान है, बहनों का अभिमान।
डॉ.सीमा अग्रवाल
याद कितनी खूबसूरत होती हैं ना,ना लड़ती हैं ना झगड़ती हैं,
याद कितनी खूबसूरत होती हैं ना,ना लड़ती हैं ना झगड़ती हैं,
शेखर सिंह
बुंदेली लघुकथा - कछु तुम समजे, कछु हम
बुंदेली लघुकथा - कछु तुम समजे, कछु हम
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
उदघोष
उदघोष
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रिश्ते
रिश्ते
Sanjay ' शून्य'
गए थे दिल हल्का करने,
गए थे दिल हल्का करने,
ओसमणी साहू 'ओश'
मरना कोई नहीं चाहता पर मर जाना पड़ता है
मरना कोई नहीं चाहता पर मर जाना पड़ता है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
किसी की प्रशंसा एक हद में ही करो ताकि प्रशंसा एवं 'खुजाने' म
किसी की प्रशंसा एक हद में ही करो ताकि प्रशंसा एवं 'खुजाने' म
Dr MusafiR BaithA
उपकार माईया का
उपकार माईया का
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
परिणति
परिणति
Shyam Sundar Subramanian
प्रकृति
प्रकृति
Monika Verma
यदि आप सकारात्मक नजरिया रखते हैं और हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प
यदि आप सकारात्मक नजरिया रखते हैं और हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प
पूर्वार्थ
*नौकरपेशा लोग रिटायर, होकर मस्ती करते हैं (हिंदी गजल)*
*नौकरपेशा लोग रिटायर, होकर मस्ती करते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
जिंदगी एक चादर है
जिंदगी एक चादर है
Ram Krishan Rastogi
मन सोचता है...
मन सोचता है...
Harminder Kaur
उसे देख खिल गयीं थीं कलियांँ
उसे देख खिल गयीं थीं कलियांँ
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
दर्शक की दृष्टि जिस पर गड़ जाती है या हम यूं कहे कि भारी ताद
दर्शक की दृष्टि जिस पर गड़ जाती है या हम यूं कहे कि भारी ताद
Rj Anand Prajapati
“मृदुलता”
“मृदुलता”
DrLakshman Jha Parimal
क्यूँ इतना झूठ बोलते हैं लोग
क्यूँ इतना झूठ बोलते हैं लोग
shabina. Naaz
मेरी इबादत
मेरी इबादत
umesh mehra
फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है
फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वक़्त के साथ
वक़्त के साथ
Dr fauzia Naseem shad
जाने कैसे आँख की,
जाने कैसे आँख की,
sushil sarna
Loading...