अखिलेश 'अखिल' 121 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अखिलेश 'अखिल' 16 May 2021 · 1 min read बरसात बारिशों ने जगाया दिलों में चाह होना, आप आसान समझते हैं बरसात होना, है आसमां की छाती और तड़पती बूंदें, तूने देखा नहीं नदियों का समंदर होना, खेत लहलहाते ज़मीं... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · मुक्तक 7 18 371 Share अखिलेश 'अखिल' 8 Jun 2020 · 1 min read वफ़ादारी, मोहब्बत मिली जो दाग़दार रही, निशानी उसकी और यादगार रही, दोस्ती ऐसी की अदावत न हुई, दुश्मनी हुई भी तो वफ़ादार रही, Hindi · कविता 5 2 373 Share अखिलेश 'अखिल' 2 Jun 2020 · 1 min read मुक्तक निशानी लेकर फिर निशाना बनता है, गरीब को हटा के आशियाना बनता है, तूँ ख़ैर क्या मांगता है बेखैरख्वाहों से, जो अनजान बना के अनजाना बनता है, परिन्दें चाहते हैं... Hindi · मुक्तक 4 4 272 Share अखिलेश 'अखिल' 3 Jun 2020 · 1 min read ग़ज़ल/गीतिका तख़्त-ओ-ताज अमीरों को मिला करता है, ग़रीब फ़टी चादर हर वक्त सिला करता है, हम हैं परिन्दें इस कौम के असली वारिस, तस्वीर बनाने में तो हर हाथ घिसा करता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 4 223 Share अखिलेश 'अखिल' 3 Jun 2020 · 1 min read जिंदगी के मरहले, जिंदगी तेरी चौखट पर जूझ रहा हूँ, ग़म इतने की ग़म से ही पूछ रहा हूँ, इतना नहीं मयस्सर इफ़रात कर सकूं, टूटा हूँ और टूट के महफ़ूज रहा हूँ।... Hindi · मुक्तक 4 4 375 Share अखिलेश 'अखिल' 10 Jun 2020 · 1 min read हसरतें आज मेरा जन्मदिन है।इस महत्त्वपूर्ण दिन के उपलक्ष्य में कविता/मुक्तक से बड़ी कोई सौगात नहीं हो सकती।कविता से ही जिंदा हूँ।जिंदादिली कविता में सादगी,असलियत व जोश पैदा करती है।सादर! हमारे... Hindi · मुक्तक 4 8 373 Share अखिलेश 'अखिल' 10 Jun 2020 · 1 min read तराना, प्यार की रात है पर बात नहीं होती है, क्या इस मौसम में बरसात नहीं होती है, मेरा मसीहा मुझे कितना तूँ बर्बाद करे, दिन गुजरते हैं पर रात नहीं... Hindi · मुक्तक 4 2 211 Share अखिलेश 'अखिल' 11 Jun 2020 · 1 min read वफ़ादारी तूँ किसी के संग रहना या की मेरे साथ, जब भी रहना प्यार से बड़ी वफ़ा के साथ, जिंदगी तक़सीम है इबादत के सिवा क्या, मर भी जायँ पर होना... Hindi · मुक्तक 4 6 236 Share अखिलेश 'अखिल' 13 Jun 2020 · 1 min read कविता की ताकत, लिखने का अंदाज़ बदल क्यों जाता है, कवि तो कवि है उसे और क्या भाता है, जल रही धरती है तो आग बुझाएं कैसे, क़लम के जोर से क्या नहीं... Hindi · कविता 4 8 505 Share अखिलेश 'अखिल' 13 Jun 2020 · 1 min read सच और झूठ, झूठ फैलता है तो सच दरकिनार हुआ, बोलिये पर झूठ कितना गुलज़ार हुआ, उम्र कितनी होती है इस फरेबानी की, सच उभरा सच में तो झूठ परेशान हुआ, कितने धरती... Hindi · कविता 4 3 436 Share अखिलेश 'अखिल' 14 Jun 2020 · 1 min read माँ, नींद में न जाने कितने अज़ाब देखा हूँ, माँ की आंखों में मेरे लिए ख्वाब देखा हूँ, मेरा लाल एक दिन तूँ बड़ा जरूर बनेगा, मैं महकता हुआ आंख में... Hindi · मुक्तक 4 4 536 Share अखिलेश 'अखिल' 16 May 2021 · 1 min read बरसात दिल मेरा जब अधीर से हो जाते हैं, बरसते बादल दहलीज़ पर आते हैं, मैं सन्नाटे से निकलता हूँ आंगन में, ज़ख्म किस क़दर ख़त्म हो जाते हैं, घटा दिल... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · मुक्तक 4 5 353 Share अखिलेश 'अखिल' 17 May 2021 · 1 min read बरसात, बादल उमड़ते बुलाते हैं किसको, फ़िज़ा की हवाएं लुभाती है सबको, दिलों में सभी के हुयी हलचलें हैं, कैसे रिझाती है बरसात मुझको, रिमझिम है बारिश जहां तो भीगे, अंकुर... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · मुक्तक 4 11 548 Share अखिलेश 'अखिल' 25 May 2021 · 1 min read मुफ़लिसी मुफ़लिसी में जीते और मुस्कुराते हुए, ऐसे क़िरदार मेरे दिल से टकराते हुए, तुम पूछते हो हाल मुझसे क्या उनका, एक ही चादर में कई पावँ फैलाते हुए, कफ़स से... Hindi · मुक्तक 4 8 313 Share अखिलेश 'अखिल' 3 Jun 2020 · 1 min read मुक्तक क़िरदार हुआ हल्का जो सनासाई में, अज़ाब है इतना दुश्वारी है बिनाई में, दुनिया तेरे क़दमों में और गिरूं कितना, उबर नहीं पाता हूँ दर्द-ए-तन्हाई में, सनासाई-परिचय अज़ाब-समस्या,कष्ट बिनाई-चुनना Hindi · मुक्तक 3 2 195 Share अखिलेश 'अखिल' 4 Jun 2020 · 1 min read सफ़ाई सफ़ाई देता है जो सफ़ाई देता है, मुझे तो सब कुछ दिखाई देता है, तूँ चाहता है मैं न सुनू कुछ भी, मग़र मुझे तो ऊंचा सुनाई देता है, तूँ... Hindi · मुक्तक 3 397 Share अखिलेश 'अखिल' 11 Jun 2020 · 1 min read इंसानियत, मैंने कितने चरागों को आफताब किया, रहा दुनिया के साथ और लाजबाब किया, हाथ बढेगा सदा जगत कि रहनुमाई में, मिट्टी के हाथों को मैंने तो किताब किया, Hindi · मुक्तक 3 2 426 Share अखिलेश 'अखिल' 12 Jun 2020 · 1 min read कवि का धर्म, कविता में आंसू हो या मस्ती की शाम हो, जिंदगी किसकी रहे भाव किसके नाम हो, अब तो दीवार इस बात पर उठ जाती है, जैसे किसी दुश्मन से दुश्मनी... Hindi · मुक्तक 3 10 286 Share अखिलेश 'अखिल' 13 Jun 2020 · 1 min read प्रगतिशील कवि, कवि हूँ तो पतन को स्वीकार करता हूँ, यथार्थ की जुबां पे अधिकार करता हूँ, गा तो सकता हूँ पर दिल नहीं करता, काव्य में पैबोस को इंकार करता हूँ,... Hindi · मुक्तक 3 6 353 Share अखिलेश 'अखिल' 15 Jun 2020 · 1 min read मौत का यथार्थ हम जिंदा हैं, मग़र हिस्सों में, धर्म,जाति, सम्प्रदाय में करते हैं हम फ़क्र, मनुष्य स्वतंत्र मानता है इन्हीं बटी हुई रेखाओं में, बदबू सिर्फ जुबान या तन की नहीं भाषा... Hindi · कविता 3 3 453 Share अखिलेश 'अखिल' 13 May 2021 · 1 min read सत्ताधीश @मैं मसाइल भरी लब्जों पर बोलता गया, उन्हें प्यार के गीत से फुर्सत कहाँ मिली@ ***************सत्ता************* जब भी आलाकमान बोलेगा, तो फ़र्श पे आसमान बोलेगा, बेबस जुबां में कोई जोश... Hindi · मुक्तक 3 4 321 Share अखिलेश 'अखिल' 24 May 2021 · 1 min read वतन 'तेरी मिट्टी में मिल जावा' की तर्ज पर गुनगुना कर देंखें,,,,,,,, तेरी है ज़मीं मेरी है ज़मीं, इंकार कहाँ कोई करता है, बलिदान वतन पे सबका है, जब वार कोई... Hindi · गीत 3 8 572 Share अखिलेश 'अखिल' 9 Jun 2021 · 1 min read बरसात की बूंदें देखता हसीन हूँ जब आंख को मूँदें, ठहरती पलकों में नहीं रात की नीदें, होंठ पे आती है रौनक भरी सिहरन, गिर रहीं दहलीज़ पे बरसात की बूंदें, चिड़ियां चहक... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · मुक्तक 3 11 438 Share अखिलेश 'अखिल' 2 Jun 2020 · 1 min read मुक्तक जो मुझे भूल जाना नहीं चाहता, मैं भी उसको भुलाना नहीं चाहता, खुद ही आये अकल वही ठीक है, बेअकल के मैं गाना नहीं चाहता, चांद सूरज जमीं पे तो... Hindi · मुक्तक 2 2 293 Share अखिलेश 'अखिल' 2 Jun 2020 · 1 min read ग़ज़ल/गीतिका उम्मीद को आंखों से बिखरते देखा, हौसलें टूटे हैं और टूट के गिरते देखा, हुनर कैसे कोई चांद पे जाने का रखे, मैंने इंसान को इंसान से मिटते देखा। कहाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 6 293 Share अखिलेश 'अखिल' 3 Jun 2020 · 1 min read जिंदगीनामा फ़ैसला करिये अब कोई तत्काल नहीं, मेरा क़त्ल हुआ है कोई इंतक़ाल नहीं, दुनिया भरम में है वो आदिल रहा मेरा, बात मुक़म्मल हो ऐसे तो अल्फ़ाज़ नहीं। कामिले दुनिया... Hindi · मुक्तक 2 4 228 Share अखिलेश 'अखिल' 4 Jun 2020 · 1 min read मिट्टी है अनमोल! जगह किसी की नहीं जो चाहे जहां बैठ गया, अब इसमें क्या लेना वो शख्स वहां बैठ गया, अमीरे शहर का निज़ाम तो कुछ ऐसा हुआ, बैठना था नहीं जिसे... Hindi · मुक्तक 2 252 Share अखिलेश 'अखिल' 5 Jun 2020 · 1 min read प्यार बांटें स्याह के पत्थर को हटा क्यों नहीं देते, प्यार मोहब्बत का बढ़ा क्यों नहीं देते, दरिया की बेचैनी से घायल हुआ साहिल, आग जमाने भर की बुझा क्यों नहीं देते, Hindi · कविता 2 4 247 Share अखिलेश 'अखिल' 6 Jun 2020 · 1 min read कविता के मयख़ाने मेरी जवानी तेरी जवानी की मोहताज़ नहीं, शोर तो बहुत है पर तूँ कोई आफताब नहीं, फट चुके हों सारे पन्ने,कवर का क्या करें, जो मयख़ाने में मिट जाय वो... Hindi · मुक्तक 2 2 380 Share अखिलेश 'अखिल' 7 Jun 2020 · 1 min read इंसानियत, सब कुछ मुझे मिला पर औकात में रहा, ये जिंदगी तुझे समझा तेरी बात में रहा, कितने को मिल जाती है फ़न की दौलत, फ़न भूला जो इंसान तो किस... Hindi · मुक्तक 2 2 419 Share अखिलेश 'अखिल' 7 Jun 2020 · 1 min read मोहब्बत, जो सोचता है सब कुछ हमारा होता, वह मेरे लिए हरगिज़ नागवारा होता, जान लुटा देता उसके एक इशारे पे, वो शख़्स दिल से अगर प्यारा होता, Hindi · मुक्तक 2 2 438 Share अखिलेश 'अखिल' 7 Jun 2020 · 1 min read प्रगतिशील कविता आइए अब चर्चा करें कुछ दलित के घाव पर, जकड़ी हुई हैं बेड़ियां आज भी उस पावँ पर, मेज़ पर अंगूर है व्हिस्की रखी गिलास में, चर्चा के लिए आ... Hindi · कविता 2 2 252 Share अखिलेश 'अखिल' 11 Jun 2020 · 1 min read फ़रेब, वह मुझ पर एहसान जताना चाहता है, अब इस तरह से कुछ बताना चाहता है, मैं अगर क़दम बढ़ाता हूँ खुद मेहनत से, उस रस्ते से मुझको हटाना चाहता है, Hindi · मुक्तक 2 2 222 Share अखिलेश 'अखिल' 12 Jun 2020 · 1 min read नसीहत, शक़्ल-ओ-नाज़ को मर जाने दो, खुद की पहचान अब बनाने दो, वह मुझे कितना भी बर्बाद करे, करो सब्र मुनासिब समय आने दो, शेर टकरा के गिरा नहीं करते हैं,... Hindi · मुक्तक 2 2 562 Share अखिलेश 'अखिल' 13 Jun 2020 · 1 min read क़लम की ताकत क़लम तो झुकने को तनिक तैयार नहीं, रोको तुम कितना पर रुकूँगा यार नहीं, धुन का पक्का हूँ बात खरी करता हूँ, कोई भी आ जाये पर मानूंगा हार नहीं, Hindi · मुक्तक 2 281 Share अखिलेश 'अखिल' 13 Jun 2020 · 1 min read जुबान,, जुबां ऐसी भी न खराब करो, प्यार से बोलो और राब करो, सारी दुआ इसी से तस्लीम है, पत्थर के दिल को आब करो, अच्छी जुबां से जन्नत अता हुई,... Hindi · मुक्तक 2 308 Share अखिलेश 'अखिल' 13 Jun 2020 · 1 min read उनके नाम, कुछ अर्थ कुछ भाव उनके भी नाम करें, जिनके सपने दुनिया के लिए काम करें, थक कर चूर और जिस्म तो बेजान हुए, उनकी जिंदगी में हसीन जरा शाम करें, Hindi · मुक्तक 2 467 Share अखिलेश 'अखिल' 11 May 2021 · 1 min read ग़ुरूर वह आदमी जो मुस्कुरा रहा है, किसलिए मेरे घर से जा रहा है, अभी तो सूरज नहीं था निकला, तूँ जुगनू फिर क्यों बुझा रहा है, हुयी बारिशों से कमजोर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 353 Share अखिलेश 'अखिल' 16 Jun 2021 · 1 min read हौसलें चलते-चलते थक पावँ मेरे जाते हैं, हम उसी मोड़ पे क्यों ठहर जाते हैं, यूं तो वक्त से है हर कोई बोल उठा, चाहते बहुत पर हौसलें मर जाते हैं,... Hindi · मुक्तक 2 337 Share अखिलेश 'अखिल' 4 Mar 2022 · 1 min read लश्कर लश्कर हमारे साथ और डर रहे हैं हम, लेकर लश्कर साथ क्यों चल रहे हैं हम, जब नेकियाँ हैं तो फिर साथ भी होंगी, लश्कर की नेकियों से घबरा रहे... Hindi · मुक्तक 2 183 Share अखिलेश 'अखिल' 4 Jun 2020 · 1 min read कोरोना और बचाव सोचा था किसने एक दिन देश में ऐसे आयेंगे, थम जायेगी रफ़्तार हमारी हम बेबस हो जाएंगे, प्रकृति हमारे हाथों में है कुछ भी कर सकते हैं, पूंजीवाद के दम्भ... Hindi · गीत 1 2 189 Share अखिलेश 'अखिल' 5 Jun 2020 · 1 min read ज़िगर में जो रही,,, वो इस तरह अब तो रुख़सत हो गयी, मैं टूटा और उसकी ख़िदमत हो गयी, ज़िगर में जो रही क़त्ल उसी ने किया, यह सुनकर मुझे तो दहशत हो गयी,... Hindi · मुक्तक 1 2 222 Share अखिलेश 'अखिल' 5 Jun 2020 · 1 min read फलसफा, जहां भी गया वहीं पर किनारा हुआ, अफसोस यह है कोई न हमारा हुआ, इंतज़ार जिसका था मुझे दिलों जा में, वो शख़्स किसी और का सहारा हुआ, यह सच... Hindi · मुक्तक 1 2 423 Share अखिलेश 'अखिल' 5 Jun 2020 · 1 min read शहीद की आत्मा शहीद हुआ तो बदनाम किया, ये वतन बदन तेरे नाम किया, खून इस बात से खौला नहीं, जमीं के नाम से कुर्बान किया, मज़म्मत जो भी कोई गम नहीं, कफ़न... Hindi · कविता 1 4 426 Share अखिलेश 'अखिल' 6 Jun 2020 · 1 min read "'मैं लोकतंत्र से बोल रहा हूँ'" मैं लोकतंत्र से बोल रहा हूँ,सबकी आंखें खोल रहा हूँ, बाहर कितनी लूट मची है,खुली आंख से देख रहा हूँ, व्यापारी हों,अधिकारी हों,निज़ी और सरकारी हों, चाहे सत्ता के व्यभिचारी... Hindi · कविता 1 5 229 Share अखिलेश 'अखिल' 7 Jun 2020 · 1 min read मेरी कविता, लिख न सका जो कह न सका, कविता जिसका मैं हो न सका, शब्दों अर्थों तक पहुंच कठिन, और भाव भी अंतिम हो न सका, दुख दर्द की क्या परिभाषा... Hindi · कविता 1 2 385 Share अखिलेश 'अखिल' 8 Jun 2020 · 1 min read सच बयानी, हर हाथ मेरे लिए ही उठे ये आसान नहीं, क़लन्दर हूँ कद का कोई अरमान नहीं, मरने पे आ जाऊं तो दिल बेखौफ मरे, जमीं जज्बात की है कोई आसमान... Hindi · मुक्तक 1 2 371 Share अखिलेश 'अखिल' 11 Jun 2020 · 1 min read दग़ाबाज़ी, इस तरह बात वो बनाने लगा, बात कुछ खास वो छुपाने लगा, कड़ककर पेश जब आया उससे, कुछ देर में फिर सब बताने लगा, जिसे अपना समझा दुश्मन निकला, खैर... Hindi · मुक्तक 1 4 247 Share अखिलेश 'अखिल' 10 May 2021 · 1 min read बदलती दुनिया जहां तो हुआ ऐसा मक़तल है दोस्तों, लहज़ा नहीं नरम तल्खियत है दोस्तों, लंका में भला राम तो महफूज़ मिलेंगे, राम की अयोध्या में आफ़त है दोस्तों, शीशागर जुबां है... Hindi · मुक्तक 1 508 Share अखिलेश 'अखिल' 10 May 2021 · 1 min read मंज़र सीखना चाहते हैं सब दांव मेरा, खींचना चाहते हैं बस पावँ मेरा, इस मंज़र से वह घबड़ा ही गया, पेड़ मांग रहा था जब छांव मेरा, मैंने रौशनी तक उसको... Hindi · मुक्तक 1 2 294 Share Page 1 Next