Comments (10)
12 Jun 2020 06:37 PM
अनैतिकता जहां भी हो कवि की कविता उसे ध्वस्त करने को तैयार रहती है ।
धन्यवाद !
अखिलेश 'अखिल'
Author
12 Jun 2020 07:35 PM
Bilkul
12 Jun 2020 12:20 PM
कवि सबकी प्रेरणा होता है,वह कभी जाति धर्म में नहीं बंटता बंधु!वो तो सबको एकता के सूत्र में बाँधना चाहता है
अखिलेश 'अखिल'
Author
12 Jun 2020 01:00 PM
हिन्दी साहित्य का सूक्ष्म पर्यवेक्षण करिये।अगर ऐसा नहीं होता तो दलित साहित्य व स्त्री विमर्श के साथ पिछड़े वर्ग के साहित्य की जरूरत पर बात नहीं होती।कुछ तो बात होगी।
अखिलेश 'अखिल'
Author
12 Jun 2020 01:03 PM
बौद्धिक बईमानी से सबको बचना होगा।
12 Jun 2020 12:18 PM
बहुत बढ़िया जी
अखिलेश 'अखिल'
Author
12 Jun 2020 01:00 PM
शुक्रिया।
12 Jun 2020 10:48 AM
सच्चे कवि हो तो ह्रदय में भाव जगाओ।
यथार्थ की लेखनी से प्रस्तुत करो वैमनस्य भूल जाओ।
धन्यवाद !
अखिलेश 'अखिल'
Author
12 Jun 2020 01:01 PM
बिल्कुल चेतना सर्वसम्पन्नता की होनी चाहिए।
इसे सिर्फ कवियों तक ही नहीं शायरों तक को शामिल समझें।उदाहरण के रूप में मुन्नवर राणा की वर्तमान टिपण्णी से समझ सकते हैं।