Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Comments (10)

You must be logged in to post comments.

Login Create Account

इसे सिर्फ कवियों तक ही नहीं शायरों तक को शामिल समझें।उदाहरण के रूप में मुन्नवर राणा की वर्तमान टिपण्णी से समझ सकते हैं।

12 Jun 2020 06:37 PM

अनैतिकता जहां भी हो कवि की कविता उसे ध्वस्त करने को तैयार रहती है ।
धन्यवाद !

कवि सबकी प्रेरणा होता है,वह कभी जाति धर्म में नहीं बंटता बंधु!वो तो सबको एकता के सूत्र में बाँधना चाहता है

हिन्दी साहित्य का सूक्ष्म पर्यवेक्षण करिये।अगर ऐसा नहीं होता तो दलित साहित्य व स्त्री विमर्श के साथ पिछड़े वर्ग के साहित्य की जरूरत पर बात नहीं होती।कुछ तो बात होगी।

बौद्धिक बईमानी से सबको बचना होगा।

12 Jun 2020 12:18 PM

बहुत बढ़िया जी

शुक्रिया।

सच्चे कवि हो तो ह्रदय में भाव जगाओ।
यथार्थ की लेखनी से प्रस्तुत करो वैमनस्य भूल जाओ।

धन्यवाद !

बिल्कुल चेतना सर्वसम्पन्नता की होनी चाहिए।

Loading...