डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 578 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 21 Sep 2017 · 1 min read माँ दुर्गा के दोहे माँ दुर्गा के दोहे *********** रक्तिम साड़ी तन सजे,गुड़हल हार सुहाय। मस्तक मुकुट बिराजता, शोभा भक्त लुभाय।। सवा रुपैया नारियल, रोली अक्षत हाथ। हलुआ पूड़ी भोग ले, माँ को पूजें... Hindi · दोहा 15 10 22k Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 16 Nov 2018 · 1 min read "माँ" "माँ" ------ बारिश की बूदों में माँ तू, प्रेम सरस बरसाती है। तेज धूप के आतप में तू ,छाँव बनी दुलराती है। तुझसे मेरा जीवन है माँ, मैं तेरी ही... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 35 742 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 21 May 2020 · 1 min read कविता 'जीवन का सच समझ न पाऊँ' ________________________ जीवन का सच समझ न पाऊँ कुसुमित इच्छाएँ मुरझातीं। सावन पतझड़ बन जाएगा ऋतुएँ आ संदेश सुनातीं।। दर्द छुपाकर संघर्षों का कंटक पथ... Hindi · कविता 6 1 477 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 18 Jun 2017 · 4 min read "परिवार का आधार स्तंभ पिता" "परिवार का आधार स्तंभ पिता" ********************** माता-पिता यानि जन्मदाता। जिस पिता ने संस्कार के बीज बोकर ,नैतिकता की खाद डालकर अपने उपवन की पौध को लहू देकर सींचा आज उसे... Hindi · लेख 5 6 4k Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 11 May 2020 · 1 min read गीत "उर्मिल की विरह-वेदना' छा गयी वीरानगी उर देख लक्ष्मण का गमन, आज उर्मिल घात निष्ठुर सह रही पीड़ा सघन। टूट अंतर्मन गया सुख कामना अब खो गयी, भोर के बुझते... Hindi · गीत 5 2 491 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 26 Nov 2021 · 1 min read छप्पय छंद विधा-छप्पय छंद (रोला-उल्लाला) देवलोक की देन, सृष्टि अनुपम कहलाती। करुण सौम्य रख भाव, छटा कमनीय दिखाती।। सूर्य लालिमा आज, धरा की माँग सजाती। ललित लहर सम तान, मोद से भू... Hindi · कुण्डलिया 5 5 369 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 29 Nov 2018 · 1 min read ग़ज़ल 1222 1222 1222 1222 काफ़िया- आर रदीफ़- हो जाना बहुत महँगा पड़ा मुुझको सनम से प्यार हो जाना। मुहब्बत में खुला व्यापार -औ-अख़बार हो जाना। निगाहें जब मिलीं उनसे नज़र... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 2 272 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Apr 2020 · 1 min read मदिरा सवैया छंद छंद- मदिरा सवैया (वर्णिक) विधान-7 भगण +एक गुरु गोकुल में प्रभु रास रचा, अब मोर शिरोमणि श्याम रमे। होठ धरी मुरली हरि के, जन चैन चुरा कहुँ रूप जमे। साँवरि... Hindi · कविता 4 1 620 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 21 Jun 2020 · 7 min read गजल "बेबसी" दिलदार की मुहब्बत बेज़ार लग रही थी। हर हार आशिक़ी में स्वीकार लग रही थी। उजड़े हुए चमन की काँटों भरी कहानी हालात से मुझे भी लाचार लग रही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 2 305 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 30 May 2023 · 4 min read दोस्ती "दोस्ती" आज मौसम की खुशनुमा समीर के मद्धिम झोकों की छुअन से लहलहाते खेतों के बीच दो पीतवर्णी पुष्पगुच्छ ऐसे प्रतीत हो रहे हैं जैसे रूप, रस, गंध की समानता... दोस्ती- कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 9 274 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Mar 2017 · 1 min read "नारी की महत्ता"दोहे "*नारी की महत्ता पर दोहे* *************** नारी जग का मूल है, नारी से संसार। नारी जीवन दाायिनी,पूजो बारंबार।। नारी घर की आन है, नारी घर की शान। नारी बिन घर... Hindi · दोहा 3 2 14k Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 23 Mar 2018 · 1 min read घनाक्षरी छंद मनहरण घनाक्षरी छंद विधान- कुल 31 मात्राएँ। 16, 15 पर यति। अंत में लघु गुरु। ******************************* "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी" ?सहमा सा कश्मीर है? **************** झेलता आतंकी गाज,सहमा कश्मीर आज... Hindi · घनाक्षरी 3 2 663 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 12 Nov 2018 · 1 min read मुक्तक "तिरंगे की कसम" ************** #तिरंगे की कसम खाकर महकती छोड़ आया मैं। पहन #राखी हथेली में चहकती छोड़ आया मैं। लगा #सिंदूर माथे पर दिए आँसू चला आया- कलेजा चीरती... Hindi · मुक्तक 3 1 382 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 12 Nov 2018 · 4 min read ग़ज़ल ग़ज़ल काफ़िया-आर रदीफ़-बिकते हैं अजब मालिक की दुनिया है यहाँ किरदार बिकते हैं। कहीं सत्ता कहीं ईमान औ व्यापार बिकते हैं। पड़ी हैं बेचनी सांसें कभी खुशियाँ नहीं देखीं निवाले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 268 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 13 Nov 2018 · 1 min read ग़ज़ल "दास्ताने इश्क" वक्त नासूर बन कर ठहर जायेगा। दर्दे-ग़म आँसुओं में उतर जायेगा। दास्ताँ हाले दिल की कभी तो सुनो दर्द उठ-उठ के देखो सिहर जायेगा। आप खुदगर्ज़ निकले न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 375 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 16 Nov 2018 · 1 min read कविता "माँ" ----- बारिश की बूदों में माँ तू, प्रेम सरस बरसाती है। तेज धूप के आतप में तू ,छाँव बनी दुलराती है। तुझसे मेरा जीवन है माँ, मैं तेरी ही... Hindi · कविता 3 269 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Nov 2018 · 1 min read ग़ज़ल "दास्ताने इश्क" इश्क नासूर बन कर उभर जायेगा। दर्दे-ग़म आँसुओं में उतर जायेगा। दास्ताँ हाले दिल की कभी तो सुनो दर्द उठ-उठ के देखो सिहर जायेगा। आप खुदगर्ज़ निकले न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 242 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Dec 2018 · 1 min read गीत "बेवफ़ा सनम" दिल में बसाके मुझे,हुई तू पराई रे बेवफ़ा सनम तुझसे मिली क्यों जुदाई रे? (1) वादा किया था तुमने,साथ तुम निभाओगी राह में अकेला मुझे ,छोड़के न जाओगी... Hindi · गीत 3 312 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Dec 2018 · 2 min read कविता "नूतन वर्ष" ********* सभी ये साल नूतन हैं सभी यादें पुरानी हैं, गुज़र जाएँ यहाँ जो पल कहें अपनी कहानी हैं। सितम हर रोज़ झेले हैं लगी हर रुत सुहानी... Hindi · कविता 3 274 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2019 · 2 min read गीत वीभत्सता का क्रूर नृत्य परिणाम था , संहार का । प्रण मौर्य के , विस्तार का ।। चहुँ ओर थीं , लाशें पड़ीं । बिन दाह के , जाती सड़ीं... Hindi · गीत 3 2 253 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 Feb 2020 · 1 min read 'बेरहम वक्त' (ग़ज़ल) 'बेरहम वक्त' याद मन को आज बहलाती नहीं दर्द की ग़ज़लें सनम भाती नहीं। बेरहम था वक्त छीना शहर भी लापता पहचान मुस्काती नहीं। प्रीत की मैं वेदना कैसे सहूँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 216 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Apr 2020 · 1 min read ग़ज़ल 'इश्क की होली' किनारा कर लिया जग से मगर मन पीर रखते हैं। जलाकर इश्क की होली जख़्म गंभीर रखते हैं। हवा का तेज़ झोंका ले उड़ा यादें जवानी की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 221 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 7 May 2020 · 1 min read मुक्तक 'चूड़ियाँ' आहटें सुन आपकी अब चहकती हैं चूड़ियाँ। लाल-पीली काँच की मिल खनकती हैं चूड़ियाँ। लौटकर आए मगर ओढ़े हुए खूनी कफ़न- टूटकर चीत्कार करती सिसकती हैं चूड़ियाँ। डॉ. रजनी... Hindi · मुक्तक 3 244 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 12 May 2020 · 3 min read लेख "माँ" शब्द को परिभाषित करना आसान नहीं है क्योंकि इस एक शब्द में समस्त सृष्टि समाहित है। माँ तो साक्षात् ईश्वर की छवि है। माँ के कदमों में ज़न्नत है।ऐसे... Hindi · लेख 3 1 232 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 26 May 2020 · 1 min read ग़ज़ल मचलती हसरतें 1222 1222 1222 1222 करें कातिल ज़माने को नज़र में धार होती है। अदावट ही मुहब्बत का यहाँ आधार होती है। सुनाने जब लगे जलसे में आकर वो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 239 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 25 Nov 2021 · 1 min read समझदार हैं आप विषय-"समझदार हैं आप" सत्य घिरा तम घेर में, न्याय करेगा कौन? समझदार हैं आप तो, तोड़ें अपना मौन।। दंभ भरे उर कर रहे, नित कलुषित व्यवहार। समझदार हैं आप तो,... Hindi · दोहा 3 2 566 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 26 Nov 2021 · 1 min read कृतज्ञता का मनोभाव कृतज्ञता का मनोभाव मन कृतज्ञता भाव रख, खुशियाँ मिलें अपार। भौतिकता की सोच तज, करें नित्य उपकार।। करें नित्य उपकार, स्वार्थ तज बनें सहारा। रखें नम्र व्यवहार, लगे जन-जन को... Hindi · कुण्डलिया 3 6 432 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 23 May 2023 · 1 min read बात आधार छंद- सूर मापनी युक्त वर्णिक सात वर्ण मापनी- गागाल गागागा ल ध्रुव शब्द-#बात पिंगल सूत्र- तमल (तगण मगण ल) कैसे मिलेगी ताल। साथी हुआ बेहाल।। बोलो न तीखी बात।... Hindi · कविता 3 419 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 29 Apr 2017 · 1 min read "परिंदे" "परिंदे" आँखों में परिंदे पाले थे उम्मीद लगा इंसानों की मतवाले दो खग झूम उठे भूले हस्ती दीवानों की। भाल लगा कर चंदन टीका मजहब सारे हार गए बेखौफ़ सरहद... Hindi · कविता 2 241 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 1 May 2017 · 3 min read "दरिंदगी के बढ़ते कदम और हम" "दरिंदगी के बढ़ते कदम और हम" आज दरिंदगी का चोला पहने इंसान इंसानियत का खून किए जा रहा है और पंगु बनी सरकार कड़ी निंदा का हथियार हाथ में लिए... Hindi · लेख 2 326 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 18 Jun 2017 · 1 min read "भोर' "भोर" (१)दिश प्राची सोहे गगन,सूरज तिलक लगाय। तज निद्रा जागे सकल,आलस दूर भगाय।। (२)दिनकर स्वर्णिम आभ ले, सरस नेह छितराय। लाली चूनर ओढ़ के, ऊषा मन हर्षाय।। (३)पर्वत उर राजत... Hindi · दोहा 2 388 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 30 Jun 2017 · 1 min read "बारिश में" "बारिश में" ******** बह्र-१२२२ १२२२ १२२२ २२ काफ़िया- आना रदीफ़-बारिश में गिराके चिलमनें मुखड़ा छिपाना बारिश में। बनाती आशिकों को ये निशाना बारिश में। अदा में शोखियाँ जुल्फ़ें लटकती नागिन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 748 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 10 Jul 2017 · 1 min read "वाणी का महत्त्व" दोहे "वाणी का महत्त्व" दोहे *************** मुख चंदा तन चाँदनी,रूप सजा इठलाय। कटु वाणी से वार कर,नारी गई लजाय।। धन दौलत का तोल नहिं,शब्द बढ़ावे मोल। पीर पराई हर लई,वाणी है... Hindi · दोहा 2 3k Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 19 Jul 2017 · 1 min read "मधुशाला" मुक्तक "मधुशाला" मुक्तक ********* छुआ दे आज अधरों से अधर का जाम मतवाला। बुझे ना प्यास महफ़िल में लगे फ़ीकी सरस बाला। भिगो कर जिस्म नूरानी फ़िज़ाओं में महक भर दूँ।... Hindi · मुक्तक 2 544 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 26 Jul 2017 · 1 min read कारगिल विजय दिवस कविता "कारगिल विजय दिवस" मापनी-१२२२×४ लगा कर धूल मस्तक पर बहा कर प्रेम की धारा। चला हस्ती मिटाने को भगत आज़ाद सा यारा। वतन पे जाँ फ़िदा कर दे यही ख़्वाहिश... Hindi · कविता 2 2 3k Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 7 Aug 2017 · 3 min read भाई -बहन का प्यारा बंधन : रक्षाबंधन (लेख) भाई-बहन का प्यारा बंधन : रक्षा बंधन ****************************** जी चाहे बारिश की स्याही,बनूँ कलम में भर जाऊँ। मन के भाव पिरो शब्दों में,तुझको पाती लिख पाऊँ।। नेह सरस हरियाली में... Hindi · लेख 2 553 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2017 · 1 min read "मुझे सावन रुलाता है" (गीत) विरह गीत *********** बरसता भीगता मौसम, अगन तन में लगाता है। करूँ क्या तुम बताओ मैं, मुझे सावन रुलाता है। दिवा जब अंक में जाता, निशा घूँघट उठाती है। रजत... Hindi · गीत 2 2 691 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 9 Oct 2018 · 1 min read गीत रक्षा बंधन (गीत) ******** तुम्हें नेह रोली तिलक लगाऊँ बढ़े प्रीत अपनी भैया ये चाहूँ तुम्हें बाँध राखी खुशियाँ मनाऊँ रक्षा कवच का उपहार पाऊँ। (१)बढ़े उम्र भैया की करूँ... Hindi · गीत 2 244 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 19 Oct 2018 · 1 min read ग़ज़ल *ज़माने बीत जाते हैं* कभी उल्फ़त निभाने में ज़माने बीत जाते हैं। कभी मिलने मिलाने में ज़माने बीत जाते हैं। कभी वो दर्द देते हैं कभी नासूर बनते हैं कभी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 272 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 6 Nov 2018 · 1 min read मुक्तक दीपावली मुक्तक नेह की बाती जले सद्भभाव की हो धारणा। जगमगाते दीप में उत्सर्ग की हो भावना। दीप माटी के जला रौशन करें हर द्वार को- द्वेष अंतस का जले... Hindi · मुक्तक 2 287 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 10 Nov 2018 · 1 min read ग़जल "आप गली भूल गए" --------------------------- गैर के साथ चले राह कई भूल गए। जो हमें याद रहे आज वही भूल गए। आपकी याद उदासी बनी इन आँखों की प्रेम का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 384 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 10 Nov 2018 · 1 min read मुक्तक 'बेवफाई' गैर के साथ चले राह कई भूल गए। आशिकी को न समझ पाए कभी भूल गए। है अजब इश्क जुदाई न सही जाए सनम- जो हमें याद रहे आज... Hindi · मुक्तक 2 2 351 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 12 Nov 2018 · 2 min read मुक्तक मुक्तक इश्क में इश्क ने हम पर रुआब रक्खा है। हरेक सवाल का हमने जवाब रक्खा है। जुबाँ ख़ामोश है लब मुस्कुरा रहे अपने- ढहाए जुल्मो सितम का हिसाब रक्खा... Hindi · मुक्तक 2 275 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Nov 2018 · 1 min read ग़ज़ल 1222 1222 1222 1222 काफ़िया- आर रदीफ़- हो जाना बहुत महँगा पड़ा मुुझको सनम से प्यार हो जाना। मुहब्बत में खुला व्यापार -औ-अख़बार हो जाना। निगाहें जब मिलीं उनसे नज़र... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 277 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 9 Dec 2018 · 2 min read गीत मुखड़ा- घटा घिरी घनघोर गगन में, गीत प्रेम के गाती है। चंचल काया नर्तन करती, राग-रंग बरसाती है। अंतरा-(1) लौट शहर से जब घर आता मेला बहुत लुभाता है, लाल-हरित... Hindi · गीत 2 524 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Dec 2018 · 1 min read कविता "सलामे इश्क अठरा साल" सभी ये साल सोलह हैं,सभी यादें पुरानी हैं। गुज़र जाएँ यहाँ जो पल,कहें अपनी कहानी हैं। सितम हर रोज़ झेले हैं,नहीं शिकवा शिकायत है। कहूँ क्या... Hindi · कविता 2 242 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 30 Dec 2018 · 1 min read मुक्तक प्रीत अधरों पर सजा मुस्कान बनना चाहिए। हसरतों के ख्वाब सा मेहमान बनना चाहिए। भूल कर मतभेद मजहब के जियो सब प्यार से- नेक कर्मों की सदा पहचान बनना चाहिए।... Hindi · मुक्तक 2 342 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 13 Jan 2019 · 1 min read ग़ज़ल 212 212 212 212 "देखते-देखते जल रहा है मकाँ देखते-देखते। मिट गया आशियाँ देखते-देखते। फ़ासले हो गए दूर हम से गए हो गया दिल धुआँ देखते-देखते। था भरोसा दगा वो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 295 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Jan 2019 · 1 min read ग़ज़ल "रस्म-उल्फ़त" रूँठना भी है अदा उनको मनाना चाहिए। फ़ासलों को दूर कर नज़दीक आना चाहिए। मानकर अधिकार अपना की शिकायत आपसे माफ़ कर उनकी ख़ता को मुस्कुराना चाहिए। तार वीणा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 264 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 15 Feb 2019 · 3 min read कहानी *एक बार फिर* मौसम की ठंडी फुहार और क्यारी में खिले पीले फूल आज फिर मन के दरीचों से अतीत की स्मृति ताज़ा करने पर आमादा हो गए हैं। गोधूलि... Hindi · कहानी 2 291 Share Page 1 Next