Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Apr 2020 · 1 min read

ग़ज़ल

‘इश्क की होली’

किनारा कर लिया जग से मगर मन पीर रखते हैं।
जलाकर इश्क की होली जख़्म गंभीर रखते हैं।

हवा का तेज़ झोंका ले उड़ा यादें जवानी की
ज़हर के घूँट पीने की अजी तासीर रखते हैं।

कँटीले तीर के खंज़र चलाकर देख ले दुनिया
जिगर में हौसले की हम सदा शमशीर रखते हैं।

मिटाया रंज़ो गम को ज़िंदगी की स्याह रातों से
इरादों में बुलंदी की यहाँ तासीर रखते हैं।

नहीं छोड़ा खुशी का ज़ाइका दिल ख़ार कर डाला
बना अंगार हसरत को जकड़ जंज़ीर रखते हैं।

नहीं शिकवा -शिकायत है नहीं मज़बूरियाँ ‘रजनी’
पुरानी दास्तां तजकर नई तहरीर रखते हैं।

डॉ. रजनी अग्रववाल ‘वाग्देवी रत्ना’

3 Likes · 2 Comments · 219 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
धर्मनिरपेक्ष मूल्य
धर्मनिरपेक्ष मूल्य
Shekhar Chandra Mitra
"मुरीद"
Dr. Kishan tandon kranti
बचपन
बचपन
Dr. Seema Varma
"The Deity in Red"
Manisha Manjari
सकारात्मक सोच अंधेरे में चमकते हुए जुगनू के समान है।
सकारात्मक सोच अंधेरे में चमकते हुए जुगनू के समान है।
Rj Anand Prajapati
दिलकश
दिलकश
Vandna Thakur
भ्रमन टोली ।
भ्रमन टोली ।
Nishant prakhar
कितना रोका था ख़ुद को
कितना रोका था ख़ुद को
हिमांशु Kulshrestha
💐प्रेम कौतुक-491💐
💐प्रेम कौतुक-491💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दोस्ती
दोस्ती
Shashi Dhar Kumar
प्राचीन दोस्त- निंब
प्राचीन दोस्त- निंब
दिनेश एल० "जैहिंद"
रूप का उसके कोई न सानी, प्यारा-सा अलवेला चाँद।
रूप का उसके कोई न सानी, प्यारा-सा अलवेला चाँद।
डॉ.सीमा अग्रवाल
सिन्धु घाटी की लिपि : क्यों अंग्रेज़ और कम्युनिस्ट इतिहासकार
सिन्धु घाटी की लिपि : क्यों अंग्रेज़ और कम्युनिस्ट इतिहासकार
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
जी करता है , बाबा बन जाऊं – व्यंग्य
जी करता है , बाबा बन जाऊं – व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
झरते फूल मोहब्ब्त के
झरते फूल मोहब्ब्त के
Arvina
*उम्र के पड़ाव पर रिश्तों व समाज की जरूरत*
*उम्र के पड़ाव पर रिश्तों व समाज की जरूरत*
Anil chobisa
बहना तू सबला बन 🙏🙏
बहना तू सबला बन 🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*जमानत : आठ दोहे*
*जमानत : आठ दोहे*
Ravi Prakash
महाकविः तुलसीदासः अवदत्, यशः, काव्यं, धनं च जीवने एव सार्थकं
महाकविः तुलसीदासः अवदत्, यशः, काव्यं, धनं च जीवने एव सार्थकं
AmanTv Editor In Chief
नए साल की नई सुबह पर,
नए साल की नई सुबह पर,
Anamika Singh
हमें याद आता  है वह मंज़र  जब हम पत्राचार करते थे ! कभी 'पोस्
हमें याद आता है वह मंज़र जब हम पत्राचार करते थे ! कभी 'पोस्
DrLakshman Jha Parimal
ज़माना
ज़माना
अखिलेश 'अखिल'
कौन कहता है की ,
कौन कहता है की ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
जीवन से ओझल हुए,
जीवन से ओझल हुए,
sushil sarna
आजकल स्याही से लिखा चीज भी,
आजकल स्याही से लिखा चीज भी,
Dr. Man Mohan Krishna
23/192. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/192. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Tujhe pane ki jung me khud ko fana kr diya,
Tujhe pane ki jung me khud ko fana kr diya,
Sakshi Tripathi
हर एक भाषण में दलीलें लाखों होती है
हर एक भाषण में दलीलें लाखों होती है
कवि दीपक बवेजा
मैं तो महज एक माँ हूँ
मैं तो महज एक माँ हूँ
VINOD CHAUHAN
छुप जाता है चाँद, जैसे बादलों की ओट में l
छुप जाता है चाँद, जैसे बादलों की ओट में l
सेजल गोस्वामी
Loading...