लक्ष्मी सिंह 1000 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid लक्ष्मी सिंह 20 Dec 2020 · 1 min read कोरोना विधा -मुक्तक एवं दोहा सर पर चढ़ कर नाच रहा है, चीन का जादू-टोना। पूरे जग में फैल रहा है,शुरू है रोना ढोना। कुछ सावधानियां अपनाना, धैर्य से नाता रखना-... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 45 74 1k Share लक्ष्मी सिंह 22 Jan 2017 · 1 min read बेटी को जन्मदिन की बधाई युग -युग जीये मेरी लाड़ली कदम चूमे तेरी हर कामयाबी ????????? ये चेहरा हर -पल मुस्कुराती रहे ओठों पर हँसी खिलखिलाती रहे ????????? ये शुभ घड़ी बार-बार आती रहे जमाने... Hindi · कविता · बेटी/बेटियां 18 16 60k Share लक्ष्मी सिंह 2 Jun 2020 · 1 min read भिखारी एक भिखारी जोड़ से, लगा रहा है टेर। बना निकम्मा आलसी, या किस्मत का फेर।। १ गली-गली में घूमता,फैलाता है हाथ। दर-दर ठोकर खा रहा, दो बच्चे भी साथ।। २... Hindi · दोहा 14 5 329 Share लक्ष्मी सिंह 30 Mar 2020 · 1 min read कोरोना विद्यमान है वायरस, व्याकुल विश्व विशाल| विपदा व्यापक है विकट, विफल वैद्य बेहाल||१ कण कण को कर्कश किया, कोरोना का काल। कठिन काल करुणा भरा, कहर किया कंकाल||२ भोजन खाना... Hindi · दोहा 13 3 312 Share लक्ष्मी सिंह 2 Feb 2021 · 1 min read विरह गीत _वीर_छंद आधारित विरह गीत लिखा हुआ है क्यों किस्मत में,इतना लंबा विरह-वियोग। लगा गये हो जाते-जाते, बड़ा-भयानक दिल का रोग। सुबक रही हूँ अबोध शिशु-सी, मन को समझाएगा कौन। नित... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · गीत · विरह · विरह गीत · वीर छंद 12 48 551 Share लक्ष्मी सिंह 30 Mar 2020 · 1 min read लेखनी विधा-विधाता छंद उठाकर लेखनी अपनी हृदय का प्यार लिखती हूँ| विरह की वेदना संवेदना श्रंगार लिखती हूँ| नहीं मैं पंत ,दिनकर ,कोकिला की बोल-सी प्यारी, मगर जो भावना उर में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 11 3 316 Share लक्ष्मी सिंह 30 Mar 2020 · 1 min read हँसो ठहाका मार है छोटी-सी ज़िन्दगी,खोना मत बेकार। पल-पल में जीवन भरा, खुशियों की भंडार। चुन-चुन कर मोती पिरो, अधरों पे मुस्कान- हो जाओ बिंदास तुम, हँसो ठहाका मार। -लक्ष्मी सिंह नई दिल्ली Hindi · मुक्तक 9 3 266 Share लक्ष्मी सिंह 5 Jul 2023 · 1 min read फितरत रही अच्छी बुरी दोनों,यहाँ इंसान की फितरत। मगर दम तोड़ देती है,हृदय में पल रही हसरत। मुनाफा देखकर बनते,कई रिश्तें जमाने में, अजब अंदाज़ लोगों का, जहाँ मतलब वहीं शिरकत।... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका · विधाता छंद 9 5 188 Share लक्ष्मी सिंह 9 Jul 2023 · 1 min read मैं और मेरी फितरत रही फितरत हमारी ये कि,मैं चुपचाप रहती हूँ। दिया जो ज़िन्दगी हँसकर,सितम संताप सहती हूँ। पचा लेती ज़हर सारे,सुधा में ढाल देती हूँ। अँधेरा हो जहाँ दीपक,जतन से डाल देती... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका · विधाता छंद 9 11 169 Share लक्ष्मी सिंह 31 May 2020 · 1 min read गीत अधरों पर घुलता रहा, जीवन का संगीत। अपनी परछाई मुझे, क्यों करती भयभीत।। १ है जीवन संगीत-सम,हँसते-गाते झूम। सुर छिड़ जाये कौन- सा,किसको है मालूम।। २ साँस-साँस सुर से सजी,जीवन... Hindi · दोहा 8 3 295 Share लक्ष्मी सिंह 2 Apr 2021 · 1 min read आस करे तमाशा जिन्दगी, होना नहीं निराश। ऐसे में धीरज धरो ,रखों आस विस्वास।। १ आस और विस्वास को, हरदम रखना पास। जिन्दा रहता है वही,जिसमें होती आस।। २ कच्ची मिट्टी... Hindi · दोहा 8 10 458 Share लक्ष्मी सिंह 11 Jun 2021 · 3 min read बरसात 1) गीत शुन्य हृदय में प्रेम की,गहन जलद बरसात। गहन अँधेरा कर गयी, पावस की यह रात।। झुलस रही हूँ अग्नि-सी, बढ़ा दिया संताप। मुझ विरहण को यूँ लगे, दिया... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत · बरसात 8 8 296 Share लक्ष्मी सिंह 20 Jun 2021 · 1 min read पिता आधार छंद-विधाता 1222 1222 ,1222 1222 पिता के रूप में सब देवता घर में तुम्हारे हैं । मनुज पहचान लो इनको प्रभु भू पर पधारे हैं। शिकन को देख माथे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · विधाता छंद 8 4 377 Share लक्ष्मी सिंह 30 Mar 2020 · 1 min read अतिथि विधा-महाशृंगार छंद अतिथि बनकर आये भगवान, करें हम अभिनंदन, गुणगान| सुमन भावों का करती दान, नहीं इससे बढ़कर अनुदान | पधारे हैं यहाँ मेहमान, बनाईं मीठा-सा पकवान| सभी मिलजुल करिये... Hindi · गीत · महाशृंगार छंद 7 1 391 Share लक्ष्मी सिंह 7 Jul 2023 · 1 min read फितरत सियासत की रही फितरत बदलने की,भरी छल से सियासत है। अदब से पेश आते हैं,कुशल कौशल नजाकत है। अजब फितरत सियासत की, हमेशा खेल खेले है। भरोसा क्या करें इन पर, झमेले... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · गीत · विधाता छंद 7 10 179 Share लक्ष्मी सिंह 4 Sep 2018 · 1 min read मन 1) पावस मन, बतास सा बदन, मग्न झूमता। 2) टेसू सा मन, रंग भरा जीवन, सदा मुस्काता। 3) इत्र सा मन, गुलाबों सा बदन, मुग्ध करता। 4) उन्मादी मन, मतवाला... Hindi · हाइकु 6 2 427 Share लक्ष्मी सिंह 30 Mar 2020 · 1 min read कुम्हार रचता है कुम्हार भी, नित माटी से लाल। माटी की मूरत बना,जीवन देता डाल।। १ दूर करे तम को सदा,काट निशा का जाल। जोत जले भगवान का, रौशन जग का... Hindi · दोहा 6 2 305 Share लक्ष्मी सिंह 30 Mar 2020 · 1 min read प्रेम पर्वत है ऊँचा मगर, छूँ न सका आकाश। प्रेम हृदय में है नहीं, कैसे करें विकास।।१ पुष्प प्रेम खुश्बू भरा, लुटा रही स्वच्छंद। रस का लोभी ये भ्रमर, छीन लिया... Hindi · दोहा · प्रेम 6 1 293 Share लक्ष्मी सिंह 30 Mar 2020 · 1 min read बंशी बजाये मोहना हरिगीतिका छंद बंशी बजाये मोहना नव रस सुरीली गीत रे। है बाँसुरी जादू भरी फैली जगत में प्रीत रे। सुन बावली होने लगी कितना मधुर संगीत रे। रसराज रसिया की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीतिका · भजन · स्तुति · हरिगीतिका छंद 6 1 406 Share लक्ष्मी सिंह 8 Nov 2020 · 1 min read बंद पड़ीं है लेखनी बंद पड़ीं है लेखनी, मूक हुए सब भाव। हर पल खलता है मुझे, केवल यही अभाव ।। १ दहक रही है ज़िन्दगी, जैसे जले अलाव। मेरे अंदर घुट रहे, मेरे... Hindi · दोहा 6 5 274 Share लक्ष्मी सिंह 15 Aug 2022 · 1 min read अमृत महोत्सव आजादी का अमृत महोत्सव आजादी का,खुशियों का बजे मृदंगा। आओ हर घर के आँगन में,फहराये राष्ट्र तिरंगा। बालकनी के मुंडेरों पर,देहली और दलान पर। सभी घरों के छत के ऊपर,छोटे बड़े मकान... Hindi · गीत · लावणी /ताटंक छंद 6 2 260 Share लक्ष्मी सिंह 31 Mar 2024 · 1 min read सत्य की खोज "सत्य की खोज” मनुज का,है अद्भुत प्रयास। अंधकार से निकलकर,पाता सुखद प्रकाश।। चिंतन-मंथन कीजिए , अन्तर्मन से रोज । दिव्य दृष्टि होगी प्रखर,सहज सत्य की खोज ।। पाप तिमिर सब... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · दोहा 6 39 Share लक्ष्मी सिंह 21 Jan 2017 · 2 min read मैं बेटी हूँ ???? मैं बेटी हूँ..... मैं गुड़िया मिट्टी की हूँ। खामोश सदा मैं रहती हूँ। मैं बेटी हूँ..... मैं धरती माँ की बेटी हूँ। निःश्वास साँस मैं ढोती हूँ। मैं बेटी... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 · बेटी/बेटियां 5 1 26k Share लक्ष्मी सिंह 4 Sep 2018 · 1 min read माँ का चुम्बन 1) चेहरे पर, अधरों की छुअन, माँ का चुम्बन। 2) चोट लगे तो, बनती मलहम, माँ का चुम्बन। 3)प्रथम स्पर्श, प्रथम आलिंगन, माँ का चुम्बन। 4) मधु सा मीठा, दुख-दर्द... Hindi · हाइकु 5 3 753 Share लक्ष्मी सिंह 10 Feb 2020 · 1 min read अखबार सुबह चाय के संग ही, पढ़ते हैं अखबार। सभी घरों में है अहम,इसका किरदार।। १ जानकारियों से भरा, रहता था अखबार। भरे हूए है अब मगर, केवल कलुष विचार। ।... Hindi · दोहा 5 4 427 Share लक्ष्मी सिंह 16 Feb 2020 · 1 min read आज खुशी भर जीवन में। कनक मंजरी छंद ----------------------------------- विधान- २३ वर्ण ,१३,१०पर यति वर्ण क्रम--११११+२११(भगण) की ६आवृति+गुरु दुखमय जीवन को बहला कर, आज खुशी भर जीवन में। क्षण भर आहत विश्व हँसा कर, पुष्प... Hindi · कनक मंजरी छंद · गीत 5 1 399 Share लक्ष्मी सिंह 19 Dec 2020 · 1 min read दिसंबर का ठंड माह दिसम्बर ठंड का, बहुत बुरा है हाल । गरम लबादा ओढ़ना,स्वेटर ,मफलर ,शाॉल।। १ दिवस दिसंबर दैत्य-से, बहुत अधिक है ठंड। जिस के सर पर छत नहीं,उसको लगता दंड।।... Hindi · दोहा 5 2 356 Share लक्ष्मी सिंह 20 Jul 2021 · 1 min read जिस घर में--- जिस घर के खाने का जायका लजीज़ नहीं होता है। तन-मन स्वस्थ रहता कोई भी मरीज़ नहीं होता है। जिस घर में संस्कृति संस्कारों का पाठ पढ़ाया जाता- उस घर... Hindi · Quote Writer · मुक्तक 5 3 461 Share लक्ष्मी सिंह 16 Sep 2022 · 1 min read बच्चे थिरक रहे हैं आँगन। छम छम छम छम बरसे सावन। बच्चे थिरक रहे हैं आँगन। पाँव पटक कर छप छप करते। अपनी अँजुरी में जल भरते। झूम-झूम मृदु मुस्कानों सें- मंत्र मुग्ध हो मन... Hindi · गीत · चौपाई · बचपन · बाल कविता · सावन 5 3 262 Share लक्ष्मी सिंह 27 May 2023 · 1 min read इश्क़ इश्क़ ही दर्द है, तो सहने में क्या हर्ज है। —लक्ष्मी सिंह Hindi · Quote Writer · कोटेशन 5 3 216 Share लक्ष्मी सिंह 29 May 2023 · 1 min read चूड़ियाँ आदि काल से चूड़ियाँ, संस्कृति का आघार। खुशहाली की चिन्ह यह, प्रमुख कर अलंकार।। खनके हाथों में सदा, चूड़ी वृत्ताकार। रिक्त कलाई हो नहीं, भरी रहे दो-चार।। पहने बेटी हाथ... Poetry Writing Challenge · दोहा 5 233 Share लक्ष्मी सिंह 30 May 2023 · 1 min read तुम से प्यार नहीं करती। बात समझ लो सच्ची झूठी, तुम से प्यार नहीं करती। दिल असमंजस में है अब भी,जा इजहार नहीं करती। प्रेम भरा इस निश्छल मन में,दर्द कशक दिल में कोई, मगर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · प्रेम गीत · लावणी /ताटंक छंद 5 4 349 Share लक्ष्मी सिंह 13 Jun 2023 · 1 min read लक्ष्य लक्ष्य हीन है जो मनुज, पड़े उसे क्या फर्क। रहा भटकता दर बदर, बेमतलब का तर्क।। यूँ ही अपनी जिंदगी, करो नहीं तुम व्यर्थ। उस मकसद को ढ़ूंढ़ लो, जिसका... Hindi · दोहा 5 6 255 Share लक्ष्मी सिंह 9 Jul 2023 · 1 min read बुरा वक्त आप बुरे हो नहीं,अभी तो बुरा वक्त है । धैर्य धारण कीजिये,ये वक्त यदि सख्त है। छोड़ दुनिया की फिकर, खुद से प्यार कीजिये- नारी रूप तो सदा,खुद में ही... Hindi · Quote Writer · मुक्तक 5 1 444 Share लक्ष्मी सिंह 3 Aug 2023 · 1 min read बादल काले काले प्यारे बादल। नीर भरे कजरारे बादल। श्वेत रुई की फाहे जैसी, धुँधला धूम-धुआँरे बादल। इंद्रनील की माला डाले , मृदुल मनोरम सारे बादल। नील फर्श पर धना-धना-सा, बैठा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · चौपाई · बाल कविता 5 5 424 Share लक्ष्मी सिंह 4 Aug 2023 · 1 min read बादल आओ बादल आओ बादल। आकर नभ में छाओ बादल। प्यासी धरती तुझे पुकारे, छम-छम जल बरसाओ बादल। जीव-जन्तु सब तड़प रहें हैं सबकी प्यास बुझाओ बादल। ताल तलैया सूख रहें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · चौपाई · बाल कविता 5 8 316 Share लक्ष्मी सिंह 23 Jan 2017 · 1 min read मेरी बेटी है, मेरा वारिस। ?????? क्यों? वारिस वारिस करते हो, बेटा ही क्यों वारिस है? मैंने बेटी को जन्म दिया, क्या मेरा घर लावारिस है? क्यों? सोच है ऐसी दुनिया की, निरवंश मेरा क्यों... Hindi · कविता · बेटी/बेटियां 4 3 12k Share लक्ष्मी सिंह 12 Mar 2018 · 1 min read अनुप्रास अलंकार युक्त दोहे ? ? ? ? मदमाती मनमोहनी, मनहर मोहक रूप। मृगनयनी मायावती, मुस्काती मुख धूप।। १ सुखद सुगंधित सुमन सम, सृष्टि सृजक श्रृंगार। सरल समर्पित स्नेह से, सुखद सुधा संसार।। २... Hindi · दोहा 4 4 2k Share लक्ष्मी सिंह 4 Sep 2018 · 1 min read मेरी तकदीर सब चले जाते हैं। मैं बंद कमरे में अकेली रह जाती हूँ। तन्हाईयों से लड़ती हूँ। उन्हीं से बातें करती हूँ। दरों-दिवार चिखती हैं, खड़ा-खड़ा मुझे घूरती हैं। छत भी... Hindi · कविता 4 2 479 Share लक्ष्मी सिंह 20 Jul 2019 · 1 min read कब मैंने चाहा सजन कब मैनें चाहा सजन, मिले नौलखा हार। देना है तो दिजिए, थोड़ा समय उधार।। समय तुझे मिलता नहीं,पल भर बैठे पास। कैसे समझोगे भला, मैं क्यों हुई उदास।। रूठी हूँ... Hindi · दोहा · प्रेम 4 2 340 Share लक्ष्मी सिंह 5 Aug 2019 · 1 min read मित्र बुरे वक्त में ही दिखे, सबके असली रंग। केवल सच्चा मित्र ही, रह जाते हैं संग।। टाँग खींचती दोस्ती, कुछ मीठी नमकीन। केवल खुशियाँ बाँटते, गम लेते हैं छीन।। राह... Hindi · दोहा 4 1 453 Share लक्ष्मी सिंह 25 Aug 2019 · 1 min read कृष्ण जन्म विधाता छंद सृजन १२२२-१२२२-१२२२-१२२२ महीना नेक भादो का, दिवस बुधवार शुभकारी। अँधेरी रात काली थी, लिए जब जन्म वनवारी। कड़क कर बिजलियों ने , दीप राहों में जलाया था। बरसकर... Hindi · गीतिका · भजन · विधाता छंद · स्तुति 4 2 413 Share लक्ष्मी सिंह 25 Aug 2019 · 1 min read कृष्ण भक्ति इन्द्रवज्रा छंद 221 221 121 22 आओ मुरारी दर पे पड़ा हूँ। साथी सुदामा बन के खड़ा हूँ।। क्या मैं बताऊँ कह के सुनाऊँ। कैसे कहो मैं दुख को छुपाऊँ।।... Hindi · इन्द्रवज्रा छंद · गीतिका · भजन · वंदना 4 1 479 Share लक्ष्मी सिंह 9 Sep 2019 · 1 min read मात खेल रहा है लालना, मात यशोदा गोद। हर्षित है घर आँगना, छाया मंगल मोद।। हाथ उठा कर मात जब, देती है आशीष। झुक जाते भगवान भी, रख चरणों में शीश।।... Hindi · दोहा 4 1 373 Share लक्ष्मी सिंह 24 Dec 2019 · 1 min read अरमान दिलों का तोड़ चला। जब उसने दुत्कारा मुझ को,अरमान दिलों का तोड़ चला। जीवन के सब रंगी मौसम,तब साथ हमारा छोड़ चला। नभ में सन्नाटा-सा छाया,बस दुख का बादल घेर लिया- जाने क्या उस... Hindi · मुक्तक 4 1 137 Share लक्ष्मी सिंह 18 Jan 2020 · 1 min read भिक्षा कड़कड़ाती ठंड में वो काँपते नंगे बदन। भूख से बेकल हुए क्यों आज ये मासूम मन। पात्र भिक्षा का लिए बचपन खड़ा है राह में- दृश्य ऐसा देख कर तो... Hindi · मुक्तक 4 1 174 Share लक्ष्मी सिंह 24 Jan 2020 · 1 min read अंधकार में मशाल वो नहीं डरते जो मौत का जश्न मनाते हैं। दुश्मनों को सदा दोस्ती करना सिखाते हैं। भूले-भटके हर किसी को जो राह पर लाते- अंधकार में मशाल की भूमिका निभाते... Hindi · मुक्तक 4 256 Share लक्ष्मी सिंह 29 Jan 2020 · 1 min read खुश्बू मेरी मित्र फूलों की खुश्बू बनी, जब से मेरी मित्र। रोम-रोम में घुल गया, जैसे कोई इत्र।। हर्फ-हर्फ महका गई, खुश्बू तेरी याद। किया कैद कुछ इस तरह, हो न सके आज़ाद।।... Hindi · दोहा 4 347 Share लक्ष्मी सिंह 1 Feb 2020 · 1 min read जन्म दिवस जन्म दिवस पर आपको, भेज रही उपहार। तुच्छ नहीं समझो इसे, भरा हुआ है प्यार।। १ करती हूँ शुभकामना, सदा रहो खुशहाल। चाँद सितारों की तरह,जीना लाखों साल।। २ फूलों... Hindi · दोहा 4 2 201 Share लक्ष्मी सिंह 2 Feb 2020 · 1 min read बसंत विधा- विधाता छंद मापिनी-1222-1222, 1222-1222 सुखद ऋतु राज आये हैं,प्रकृति यह झूम कर गाई । खिले हैं पुष्प आशा के, लहर आनंद की छाई। खिली है खेत में सरसों, मटर... Hindi · गीत · बसंत · विधाता छंद 4 418 Share Page 1 Next