लक्ष्मी सिंह 1022 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next लक्ष्मी सिंह 8 Feb 2020 · 1 min read चपले तोटक छंद ११२-११२-११२-११२ चमके दमके नभ में चपले। दिखला कर रूप छटा मचले। यह बादल में छिपती रहती। बतियाँ उससे कितना करती। डरता रहता मन चंचल है। नभ से करती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीतिका · तोटक छंद · प्रेम 4 1 323 Share लक्ष्मी सिंह 21 Mar 2020 · 1 min read कोरोना विधा श्रृंगार छंद विकट है कोरोना का ज्वार| मचा है जग में हाहाकार|| सभी के संकट में है प्राण| नहीं मिलता है इससे त्राण| वाइरस का ऐसा संचार| मचा है... Hindi · गीत · श्रृंगार छंद 4 367 Share लक्ष्मी सिंह 23 Oct 2020 · 1 min read काले रंग मेरे काले रंग पर, तरकस कसते रोज़ । ये लो दर्पण देख लो, तुम में कितना ओज़।। १ काले गोरे रंग में, क्यों करते हो भेद । अंतर मन से... Hindi · दोहा 4 287 Share लक्ष्मी सिंह 3 Dec 2020 · 1 min read कभी चाहो मुझे भी तुम विधाता छंद 1222 1222 1222 1222 कभी चाहो मुझे भी तुम, कभी मेरे लिए सोचो । हमारा दिल बड़ा नाजुक ,इसे ऐसे नहीं नोचो। बिखर कर टूट जाती हूँ, सँभल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीतिका · प्रेम · विधाता छंद 4 4 232 Share लक्ष्मी सिंह 5 Feb 2021 · 1 min read किया वादा किया वादा कसम खाई हमारे साथ रहने की कसक बढती रही दिल में नहीं है बात कहने की न जाने किस वहम ने आँख पर परदा लगाया था- वफ़ा के... Hindi · मुक्तक 4 2 246 Share लक्ष्मी सिंह 14 Feb 2021 · 1 min read सिन्धु सबसे ज्यादा सिन्धु को,खुद पर है अभिमान । कश्ती को ले चल उधर, जहाँ अधिक तूफान। जहाँ अधिक तूफान,धैर्य साहस से रहना। लहरों की है घात,थाम के कश्ती रखना। बचपन... Hindi · कुण्डलिया 4 262 Share लक्ष्मी सिंह 21 Feb 2021 · 1 min read नशे में फिजा इस कदर हो गई। 122 122 122 12 नशे में फिजा इस कदर हो गई। नजर देख लो खुद नजर हो गई। बड़ा खुशनुमा हर नजारा लगे, किया इश्क़ जब से असर हो गई।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 2 254 Share लक्ष्मी सिंह 23 Feb 2021 · 1 min read प्रात काल की शुद्ध हवा प्रात काल की शुद्ध हवा ******************* प्रात काल की शुद्ध हवा है। सबसे अच्छी एक दवा है। बलवर्धक सबसे हितकारी। सेहतमंद सदा गुणकारी। साँस-उसाँसे होती ताजा। रग-रग में तब बजता... Hindi · कविता · बाल कविता · हवा 4 1 597 Share लक्ष्मी सिंह 27 Feb 2021 · 1 min read दे कलम कटार माँ आधार छंद-शिव 21 21 21 2 दे कलम कटार माँ। तीक्ष्ण तेज धार माँ। दीप्त ज्योति ज्ञान की, दे हमें अपार माँ। दिव्य छंद ताल दे, भाव बेशुमार माँ। शब्द... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · भजन · वंदना · शिव छंद · स्तुति 4 270 Share लक्ष्मी सिंह 15 Mar 2022 · 1 min read दूर क्षितिज के पार माँ! चल ले चल तू मुझे,दूर क्षितिज के पार। जहाँ हृदय हो पुष्प सा, स्वार्थ हीन हो प्यार ।। इंसा में इंसानियत,हो निर्मल व्यवहार। सत्य सुर्य सा हो प्रखर,करे झूठ... Hindi · गीत · दोहा · दोहा गीत · बाल कविता · माँ 4 3 261 Share लक्ष्मी सिंह 16 Aug 2022 · 1 min read पावस की ऐसी रैन सखी पावस की ऐसी रैन सखी। डसती बूँदों की बैन सखी। तन-मन बेसुध उर व्याकुल है- चातक चित चाहे चैन सखी। -लक्ष्मी सिंह नई दिल्ली Hindi · Quote Writer · मुक्तक 4 1 206 Share लक्ष्मी सिंह 18 Aug 2022 · 1 min read पावस रिमझिम पावस की धारा है । अंतर आकुल अंगारा है। सुख सरिता सौरभ सुरत सरस- चित- चिंतन- चित्र तुम्हारा है। -लक्ष्मी सिंह नई दिल्ली Hindi · Quote Writer · मुक्तक 4 1 200 Share लक्ष्मी सिंह 31 May 2023 · 4 min read सोशलमीडिया की दोस्ती विद्या नाम की एक लड़की सातवीं कक्षा में पढ़ती थी। वह बहुत प्रतिभाशाली होने के साथ-साथ बुद्धिमान भी थी। लॉकडाउन के दौरान उसको ऑनलाइन क्लास के लिए एक मोबाइल फोन... दोस्ती- कहानी प्रतियोगिता 4 6 182 Share लक्ष्मी सिंह 20 Jun 2023 · 1 min read चश्मा धीरे-धीरे आ गई,जीवन की वो शाम। बिन चश्मा होता नहीं,मुझ से कोई काम।। मुझ से कोई काम,न होता लिखना पढ़ना। उमर नजर का दोष,धुंधला सब कुछ दिखना। हर्ष और संघर्ष,चले... Hindi · कुण्डलिया 4 271 Share लक्ष्मी सिंह 21 Jun 2023 · 1 min read योग आज विश्व को चाहिए,ऐसा एक विज्ञान। हितकारी सबके लिए,योग शक्ति संधान।। सामाजिक कल्याण की,एक विधा है योग। भौतिकवादी दौड़ में,जिससे रहे निरोग।। योग एक तकनीक है, मन को करे ससक्त।... Hindi · दोहा 4 4 160 Share लक्ष्मी सिंह 9 Jul 2023 · 1 min read बच्चों के साथ बच्चा बन जाना, बच्चों के साथ बच्चा बन जाना, और बड़ों के साथ बड़ा। इतना आसान नहीं है, हर किरदार में उतरना खड़ा।। -लक्ष्मी सिंह Hindi · Quote Writer · कोटेशन 4 4 487 Share लक्ष्मी सिंह 14 Jul 2023 · 1 min read अति वृष्टि अति वृष्टि में सृष्टि फँसी,जग में हाहाकार। आई विपदा की घड़ी,पड़ी प्राकृतिक मार।। पहले प्यासी मृत धरा,थी सूखे की मार। अब बरसी है क्रोध में,करने लगी प्रहार।। होती रहती रात... Hindi · दोहा · बरसात 4 1 453 Share लक्ष्मी सिंह 19 Jul 2023 · 1 min read पंचतत्व धूमकेतु,धनरस,धरा,अंबर और बयार। पंचतत्व के रूप में, ईश्वर का उपहार।। पंचतत्व से है बना,जग के सकल पदार्थ। भव बंधन को खोलता,परम पूण्य परमार्थ।। पंचतत्व मिलकर बना,मनुज तूम्हारा देह। पंचतत्व में... Hindi · दोहा 4 1 489 Share लक्ष्मी सिंह 1 Aug 2023 · 1 min read महादेव का भक्त हूँ महादेव का भक्त हूँ,पिया हलाहल रोज। नयनों में आँसू भरा,मुख मंडल पर ओज। दुख ताण्डव करता रहा,रही मुसीबत साथ। मगर शीश पर रख दिया, महादेव ने हाथ।। भोले भाले हैं... Hindi · दोहा 4 1 343 Share लक्ष्मी सिंह 30 Oct 2023 · 1 min read ऊपर से मुस्कान है,अंदर जख्म हजार। ऊपर से मुस्कान है,अंदर जख्म हजार। फिर भी जालिम ज़िन्दगी, नहीं मानती हार।। नहीं मानती हार,खेल है सब किस्मत का। किसने पाया पार,खुदा तेरी रहमत का। खुशी मिले या दर्द,ज़िन्दगी... Hindi · Quote Writer · कुण्डलिया · कोटेशन 4 329 Share लक्ष्मी सिंह 29 Mar 2024 · 1 min read सत्य की खोज सत्य खोजने चला फकीरा, फिरता मारा-मारा। मकड़जाल में फँसा हुआ वह, घूम रहा जग सारा। स्वयं न अंतर्मन में झाँके,न स्वयं को पहचाने। सच की पगड़ंडी पर घूमे, मगर न... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 4 1 57 Share लक्ष्मी सिंह 20 Mar 2017 · 1 min read बाल कविता —टेडी बेयर बाल कविता—टेडी बेयर ??????? टेडी बेयर, टेडी बेयर, लगता हमको प्यारा। नर्म मुलायम,कोमल -कोमल, मोहक रूप तुम्हारा। ?? मम्मी-पापा ऑफिस जाते, घर में तुम ही रहते। एक अकेलेपन का साथी,... Hindi · कविता · बाल कविता 3 1k Share लक्ष्मी सिंह 3 May 2017 · 1 min read उठो सैनिकों वार करो ????? ????? उठो सैनिकों वार करो, स्वयं युद्ध की रणनीति तैयार करो। दिल्ली के आदेशों का, अब ना वीरों तुम इन्तज़ार करो। थाम बागडोर हाथों में, स्वयं युद्ध का अब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 12k Share लक्ष्मी सिंह 15 Jul 2017 · 1 min read भक्ति रस ???? भक्ति रस से भरे हृदय में सदा ईश्वर रहें समाई। है कल्याण उसी का जिसने ये ज्योति जलाई। भक्ति रस से निकले वाणी कर्णप्रिय सुखदाई। भक्ति रस का प्याला... Hindi · कविता 3 1 1k Share लक्ष्मी सिंह 30 Aug 2017 · 1 min read रिश्ते ???? अब रिश्ते बस नाम के रह गये हैं, अब रिश्ते हाय-हेलो में सिमट गये हैं, ये नया जमाना है, अब तो लोग रिश्ते सिर्फ फोन पर निभाते। कौन टूट... Hindi · कविता 3 1 532 Share लक्ष्मी सिंह 4 Sep 2018 · 1 min read झूठ बोलना पड़ा ? ? ? ? आज फिर मुझे झूठ बोलना पड़ा। अर्थात् सच्चाई की मार्ग को छोड़ना पड़ा। परआत्मा पर बोझ सा बन गया। क्यों? इतनी छोटी बात पर झूठ बोल... Hindi · कविता 3 3 627 Share लक्ष्मी सिंह 1 Apr 2019 · 1 min read अच्छा लगता है बारिश में भीगना, बूंदों को चूमना, गीले जुल्फों को झटकना, नैनों को मटकाना, कितना अच्छा लगता है। कोयल के संग कूकना, मोर के संग नाचना, सरसों के खेतों में दौड़ना,... Hindi · कविता 3 316 Share लक्ष्मी सिंह 18 Aug 2019 · 1 min read जिंदगी ढ़लती जाती जिन्दगी, करे उम्र की जिक्र। उलझन अब बढने लगीं, मुखरे पर है फिक्र।। मुखरे पर है फिक्र, सभी साथी अब छूटे। पकड़ लिये हैं खाट, घरौंदे सारे टूटे।... Hindi · कुण्डलिया 3 162 Share लक्ष्मी सिंह 7 Sep 2019 · 1 min read रोटी रूप माला छंद मापनी-21222122. 212221 एक रोटी फूल-सी, फूली हुई जो आग। आग में जिसको पकाने, से लगे कुछ दाग। एक रोटी गोल, थाली से रही है झाँक। चाँद-सी सूरत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीतिका · रूपमाला छंद 3 3 209 Share लक्ष्मी सिंह 9 Sep 2019 · 1 min read खेल/मेल/तेल.... हाड़ माँस केवल बचा, बंद हुआ सब खेल। दीपक जलता है तभी, जब उसमें हो तेल।। जिजीविषा में है फसा, इस जीवन का रेल। ममता माया मोह से, प्रीत किये... Hindi · दोहा 3 243 Share लक्ष्मी सिंह 21 Sep 2019 · 1 min read कर्म गीतिका छन्द 2122,2122,2122,212 कर्म दैविक रूप है, तो कर्म ही आकार है। कर्म दैविक संपदा है ,मुक्तियों का द्वार है। कर्म जो भी श्रेष्ठ करता, ईश का अवतार है। कर्म... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीतिका · गीतिका छंद 3 1 348 Share लक्ष्मी सिंह 25 Sep 2019 · 1 min read शोख- चंचल-सी हवा _गीतिका छंद_सृजन मापनी-2122 2122 2122 212 शोख- चंचल-सी हवा ये छेड़ जाती है मुझे। है बड़ी बदमाश-सी कितनी सताती है मुझे। अंग से ऐसे लिपट जाती बदन को चूमती। बावली... Hindi · गीत · गीतिका छंद · हवा 3 377 Share लक्ष्मी सिंह 29 Sep 2019 · 1 min read कृष्ण वंदना तोटक छंद आधारित गीत) 112 112 112 112 ००००००००००००००★००००००००००० नित ,केशव,माधव ,श्याम जपो। हरि कृष्ण ,सुरेशम नाम जपो बलि,देव दयानिधि जेष्ठ कहो। रविलोचन, शंतह श्रेष्ठ कहो। मनमोहन, विष्णु विशेष्ठ कहो।... Hindi · गीत · तोटक छंद · भजन 3 2 960 Share लक्ष्मी सिंह 29 Sep 2019 · 1 min read प्रकृति ताटंक छंद आधारित गीत ००००००००००००★०००००००००००००० प्रकृति अद्भुत अति मनोहारी, लगती कितनी प्यारी है। मोहित मन को करती है तू, तेरी लीला न्यारी है। कभी गगन में दिखते तारे, घिरती बदरा... Hindi · गीत · लावणी /ताटंक छंद 3 1 371 Share लक्ष्मी सिंह 26 Dec 2019 · 1 min read नेह गंध मादक दे रही प्रिय रातरानी नेह में। लग रही ज्यों घोलती रति गंध चंदन देह में। चाँदनी बरसे गगन से राग कितने झर रहे - पूर्ण जग को भूल... Hindi · मुक्तक 3 171 Share लक्ष्मी सिंह 30 Dec 2019 · 1 min read घायल यादों की ओढ़ी चुनर, पहन याद की पायल। जिसने की जख्मी जिगर, दिल उनका है कायल। नहीं बदन पर चोट का, दिखता कोई निशान- आँखों से रिसता लहू,पोर-पोर है घायल।... Hindi · मुक्तक 3 208 Share लक्ष्मी सिंह 31 Dec 2019 · 1 min read शीत # -आनंद वर्धक छंद_ -------------------------------------- 2122 2122 212 सनसनाती है हवाएँ शीत की। ये कहानी कह रही है प्रीत की। राह सूनी शांत-सी है चुप खड़ी। पेड़ की भी आखिरी... Hindi · आनंद वर्धक छंद · गीत · शीत 3 237 Share लक्ष्मी सिंह 18 Jan 2020 · 1 min read भीख उम्र पढ़ने खेलने की माँगते हैं भीख क्यों? देश के भावी धरोहर पा रहें ये सीख क्यों? बेबसी से हो विकल ये बाल मन कुत्सित हुआ, मुख खुले आँखें फटी... Hindi · मुक्तक 3 2 156 Share लक्ष्मी सिंह 23 Jan 2020 · 1 min read बोलो कृष्ण कन्हैया। नमन छन्दप्रवाह विधा-मद लेखा छन्द(वर्णिक) (२२२ ११२ २) ********************************** बोलो कृष्ण कन्हैया। श्री बृंदावन छैया। ग्वाला धेनु चरैया। दाऊ के छुट भैया बंसी मुग्ध बजैया। हे !गोवर्धन धारी।बांके कुंज बिहारी।... Hindi · गीत · भजन · मद लेखा छन्द 3 2 316 Share लक्ष्मी सिंह 27 Jan 2020 · 1 min read सोलह दूनी आठ। प्यारे प्रियतम प्रेममय, पढ़ो प्रेम का पाठ। मुझे समझ आता नहीं,सोलह दूनी आठ।। कौन पढ़ाये आपको,सोलह दूनी आठ। उम्र साठ की हो गई, रहा नहीं वो ठाठ।। प्रेम पढाता है... Hindi · दोहा 3 1 301 Share लक्ष्मी सिंह 28 Jan 2020 · 1 min read आ चले गाँव में _विमोहा_छंद_ मापिनी 212 212 ******************* आ चले गाँव में, प्रीत की ठाँव में। पेड़ पौधे वहाँ, शांति हैं छाँव में। पायलें डालती, गोरियां पाँव में। घूम आये वहाँ बैठ के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 167 Share लक्ष्मी सिंह 1 Feb 2020 · 1 min read नहीं है पूर्ण आजादी #विधा - विधाता छंद अरे भारत! उठो आँखें, ज़रा तुम खोल कर देखो। यही है वक्त जगने का, हृदय को तोल कर देखो। हुए आज़ाद कहने को, नहीं है पूर्ण... Hindi · गीत · विधाता छंद 3 308 Share लक्ष्मी सिंह 2 Feb 2020 · 1 min read राम का नाम लो विमोहा छंद मापिनी 212 - 212 राम का नाम लो। भोर लो शाम लो। जिंदगी में सदा, धैर्य से काम लो। बात मीठी करो, शील को थाम लो। भीख मांगो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 256 Share लक्ष्मी सिंह 2 Feb 2020 · 1 min read बसंत विधा-दिगपाल छंद मापिनी-221 2122 221 2122 देखो वसंत आया,देखो वसंत आया। आनंद संग लाया,शोभा अनंत लाया। जब बैठ आम डाली,कोयल चकोर बोले। हर एक चेतना में, वो प्रेम राग घोले।... Hindi · गीत · बसंत · मृदुगति /दिगपाल छंद 3 375 Share लक्ष्मी सिंह 3 Feb 2020 · 1 min read मधुमास विधा-मृदुगति /दिगपाल छंद 221 2122 221 2122 ********************* अनुपम मिठास लेकर, मधुमास आ गया है। सब राग रंग छलके, उल्लास आ गया है। बहती हुई हवाएँ, संवाद छेड़ती है। नित... Hindi · गीत · मृदुगति /दिगपाल छंद 3 1 200 Share लक्ष्मी सिंह 6 Feb 2020 · 1 min read विहान तोटक छंद मापिनी 112112 112112 जब सूरज नित्य विहान करे। चहके चिड़िया मधु गान करें। यह कोमल ,मंजुल-सी कलियाँ। खिलती तरु की सुमनावलियाँ। अवसाद मिटें भ्रम जाल कटे। नव सूर्य... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीतिका · तोटक छंद 3 1 360 Share लक्ष्मी सिंह 19 Feb 2020 · 1 min read विरह गीत _वीर_छंद आधारित विरह गीत लिखा हुआ है क्यों किस्मत में,इतना लंबा विरह-वियोग। लगा गये हो जाते-जाते, बड़ा-भयानक दिल का रोग। सुबक रही हूँ अबोध शिशु-सी, मन को समझाएगा कौन। नित... Hindi · गीत · विरह · विरह गीत · वीर छंद 3 2 502 Share लक्ष्मी सिंह 21 Dec 2020 · 1 min read धरना धरना देकर राह में, बैठे सभी किसान। फिर बोलो कैसे कहे, भारत देश महान।। भारत देश महान,धरा से उगता सोना। राजनीति की शोर,दबा हलधर का रोना।। रहे शिशिर में काँप,पड़े... Hindi · कुण्डलिया 3 2 143 Share लक्ष्मी सिंह 7 Jan 2021 · 1 min read फूल खिलकर फूल सदा उपवन में,भू की गोद सजाता है। फैला कर सुगंध समीर में, तन मन को महकाता है। सफल अल्प जीवन को करता,देकर यह सबकुछ अपना- टूटे बिखरे डाली... Hindi · मुक्तक 3 2 143 Share लक्ष्मी सिंह 8 Jan 2021 · 1 min read नियति खेल नियति का कहाँ सरल है। कभी सुधा तो कभी गरल है। मुश्किल पदचिन्हों पर चलना- काल चक्र चलता अविरल है । -लक्ष्मी सिंह नई दिल्ली Hindi · मुक्तक 3 3 145 Share Previous Page 2 Next