Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jan 2020 · 1 min read

खुश्बू मेरी मित्र

फूलों की खुश्बू बनी, जब से मेरी मित्र।
रोम-रोम में घुल गया, जैसे कोई इत्र।।

हर्फ-हर्फ महका गई, खुश्बू तेरी याद।
किया कैद कुछ इस तरह, हो न सके आज़ाद।।

मादक खुश्बू से भरा,तेरा बदन गुलाब।
बातों से मोती झड़े,आँखें खुली किताब।।

महक रही हूँ इत्र सी,खुश्बू हो तुम खास।
मिलकर मुझसे दू्र हो,लेकिन लगती पास।।

भीनीं-सी खुश्बू हवा,लेकर आई पास।
तन-मन को छूकर गई, छोड़ गई अहसास।।

-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

Language: Hindi
4 Likes · 343 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
सुशब्द बनाते मित्र बहुत
सुशब्द बनाते मित्र बहुत
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
■ स्वाद के छह रसों में एक रस
■ स्वाद के छह रसों में एक रस "कड़वा" भी है। जिसे सहज स्वीकारा
*Author प्रणय प्रभात*
🥀✍अज्ञानी की 🥀
🥀✍अज्ञानी की 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मैं जी रहीं हूँ, क्योंकि अभी चंद साँसे शेष है।
मैं जी रहीं हूँ, क्योंकि अभी चंद साँसे शेष है।
लक्ष्मी सिंह
कदम पीछे हटाना मत
कदम पीछे हटाना मत
surenderpal vaidya
अपनी जिंदगी मे कुछ इस कदर मदहोश है हम,
अपनी जिंदगी मे कुछ इस कदर मदहोश है हम,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
जिन्दगी हमारी थम जाती है वहां;
जिन्दगी हमारी थम जाती है वहां;
manjula chauhan
आसान नहीं होता...
आसान नहीं होता...
Dr. Seema Varma
कोरे कागज़ पर
कोरे कागज़ पर
हिमांशु Kulshrestha
खाया रसगुल्ला बड़ा , एक जलेबा गर्म (कुंडलिया)
खाया रसगुल्ला बड़ा , एक जलेबा गर्म (कुंडलिया)
Ravi Prakash
फुटपाथ
फुटपाथ
Prakash Chandra
धाराओं में वक़्त की, वक़्त भी बहता जाएगा।
धाराओं में वक़्त की, वक़्त भी बहता जाएगा।
Manisha Manjari
माॅं की कशमकश
माॅं की कशमकश
Harminder Kaur
गुस्सा दिलाकर ,
गुस्सा दिलाकर ,
Umender kumar
हर चढ़ते सूरज की शाम है,
हर चढ़ते सूरज की शाम है,
Lakhan Yadav
वक्त यदि गुजर जाए तो 🧭
वक्त यदि गुजर जाए तो 🧭
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
गाछ सभक लेल
गाछ सभक लेल
DrLakshman Jha Parimal
उस गुरु के प्रति ही श्रद्धानत होना चाहिए जो अंधकार से लड़ना सिखाता है
उस गुरु के प्रति ही श्रद्धानत होना चाहिए जो अंधकार से लड़ना सिखाता है
कवि रमेशराज
अंधेरों रात और चांद का दीदार
अंधेरों रात और चांद का दीदार
Charu Mitra
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।
ओसमणी साहू 'ओश'
2404.पूर्णिका
2404.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कैसे यह अनुबंध हैं, कैसे यह संबंध ।
कैसे यह अनुबंध हैं, कैसे यह संबंध ।
sushil sarna
जाने किस कातिल की नज़र में हूँ
जाने किस कातिल की नज़र में हूँ
Ravi Ghayal
आत्म  चिंतन करो दोस्तों,देश का नेता अच्छा हो
आत्म चिंतन करो दोस्तों,देश का नेता अच्छा हो
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मज़बूत होने में
मज़बूत होने में
Ranjeet kumar patre
मिट्टी का बदन हो गया है
मिट्टी का बदन हो गया है
Surinder blackpen
एक पीर उठी थी मन में, फिर भी मैं चीख ना पाया ।
एक पीर उठी थी मन में, फिर भी मैं चीख ना पाया ।
आचार्य वृन्दान्त
अधूरे सवाल
अधूरे सवाल
Shyam Sundar Subramanian
यश तुम्हारा भी होगा।
यश तुम्हारा भी होगा।
Rj Anand Prajapati
लोग एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त हुए
लोग एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त हुए
ruby kumari
Loading...