Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 May 2023 · 1 min read

मैं जी रहीं हूँ, क्योंकि अभी चंद साँसे शेष है।

मैं जी रहीं हूँ, क्योंकि अभी चंद साँसे शेष है।
मुस्कुराती हूँ, क्योंकि ज़िन्दगी विशेष है।।
-लक्ष्मी सिंह

3 Likes · 2 Comments · 222 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
*रहते परहित जो सदा, सौ-सौ उन्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
*रहते परहित जो सदा, सौ-सौ उन्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
प्रीत की चादर
प्रीत की चादर
Dr.Pratibha Prakash
लोग कहते हैं खास ,क्या बुढों में भी जवानी होता है।
लोग कहते हैं खास ,क्या बुढों में भी जवानी होता है।
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
क्या मिटायेंगे भला हमको वो मिटाने वाले .
क्या मिटायेंगे भला हमको वो मिटाने वाले .
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
सरस्वती वंदना-4
सरस्वती वंदना-4
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
दिल धड़कता नही अब तुम्हारे बिना
दिल धड़कता नही अब तुम्हारे बिना
Ram Krishan Rastogi
कुछ समय पहले तक
कुछ समय पहले तक
*Author प्रणय प्रभात*
💐प्रेम कौतुक-373💐
💐प्रेम कौतुक-373💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ११)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ११)
Kanchan Khanna
ग़ुमनाम जिंदगी
ग़ुमनाम जिंदगी
Awadhesh Kumar Singh
कोशिश
कोशिश
Dr fauzia Naseem shad
बड़ा भोला बड़ा सज्जन हूँ दीवाना मगर ऐसा
बड़ा भोला बड़ा सज्जन हूँ दीवाना मगर ऐसा
आर.एस. 'प्रीतम'
*ये रिश्ते ,रिश्ते न रहे इम्तहान हो गए हैं*
*ये रिश्ते ,रिश्ते न रहे इम्तहान हो गए हैं*
Shashi kala vyas
दहलीज़ पराई हो गई जब से बिदाई हो गई
दहलीज़ पराई हो गई जब से बिदाई हो गई
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
हो गये अब अजनबी, यहाँ सभी क्यों मुझसे
हो गये अब अजनबी, यहाँ सभी क्यों मुझसे
gurudeenverma198
तेरी हर अदा निराली है
तेरी हर अदा निराली है
नूरफातिमा खातून नूरी
ईश्वरीय प्रेरणा के पुरुषार्थ
ईश्वरीय प्रेरणा के पुरुषार्थ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
2316.पूर्णिका
2316.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
आज नए रंगों से तूने घर अपना सजाया है।
आज नए रंगों से तूने घर अपना सजाया है।
Manisha Manjari
* खिल उठती चंपा *
* खिल उठती चंपा *
surenderpal vaidya
बदली है मुफ़लिसी की तिज़ारत अभी यहाँ
बदली है मुफ़लिसी की तिज़ारत अभी यहाँ
Mahendra Narayan
दिन भर जाने कहाँ वो जाता
दिन भर जाने कहाँ वो जाता
डॉ.सीमा अग्रवाल
कई जीत बाकी है कई हार बाकी है, अभी तो जिंदगी का सार बाकी है।
कई जीत बाकी है कई हार बाकी है, अभी तो जिंदगी का सार बाकी है।
Vipin Singh
खुद की तलाश
खुद की तलाश
Madhavi Srivastava
पंचवर्षीय योजनाएँ
पंचवर्षीय योजनाएँ
Dr. Kishan tandon kranti
******
******" दो घड़ी बैठ मेरे पास ******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दस्तक भूली राह दरवाजा
दस्तक भूली राह दरवाजा
Suryakant Dwivedi
चढ़ा हूँ मैं गुमनाम, उन सीढ़ियों तक
चढ़ा हूँ मैं गुमनाम, उन सीढ़ियों तक
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
काम चलता रहता निर्द्वंद्व
काम चलता रहता निर्द्वंद्व
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
दायरों में बँधा जीवन शायद खुल कर साँस भी नहीं ले पाता
दायरों में बँधा जीवन शायद खुल कर साँस भी नहीं ले पाता
Seema Verma
Loading...