Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jul 2023 · 1 min read

धाराओं में वक़्त की, वक़्त भी बहता जाएगा।

धाराओं में वक़्त की, वक़्त भी बहता जाएगा,
ये आज हीं बीता कल और, आने वाला कल कहलायेगा।
जीवन की इस यात्रा में जो तू, नदी सी सौम्यता अपनाएगा,
पत्थरों से भरी घाटियों को भी, तू सुगमता से पार कर पायेगा।
ना बन सका जो अंधेरों का सूरज, पर दीपक जो जलाएगा,
कितने हीं घरों का अँधेरा, तेरी रौशनी से मिटता जाएगा।
घने बादलों का आवागमन, व्यक्तित्व की ढृढ़ता लाएगा,
जो लड़ेगा तूफानों से, तो इंद्रधनुषी आसमां तुझे अपनाएगा।
सफर में कश्ती के, वो साहिल छूटना तुझे समझायेगा,
ऐसे हीं तो समंदर को पार कर, तू नयी मंजिलें छू पायेगा।
जो इनायतें होंगी ठोकरों की, तू आज गिर तो जाएगा,
और गिरकर हर बार उठना, ये रस्ता तुझे सिखाएगा।
वो टूटता तारा, क्षितिज से मिट तो जाएगा,
और अपनी हस्ती की चमक को, दुआओं में बाँट आएगा।
बंद दरवाजों पर ना बैठ, बस वक़्त हीं गंवाएगा,
खुलेंगे द्वार नए आयामों के, जो तू खुद से लड़ दिखायेगा।

226 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Manisha Manjari
View all
You may also like:
गूंजेगा नारा जय भीम का
गूंजेगा नारा जय भीम का
Shekhar Chandra Mitra
सरस्वती वंदना-5
सरस्वती वंदना-5
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
बहुत गुमाँ है समुंदर को अपनी नमकीन जुबाँ का..!
बहुत गुमाँ है समुंदर को अपनी नमकीन जुबाँ का..!
'अशांत' शेखर
*शाही दरवाजों की उपयोगिता (हास्य व्यंग्य)*
*शाही दरवाजों की उपयोगिता (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
वह ठहर जाएगा ❤️
वह ठहर जाएगा ❤️
Rohit yadav
हर रात की
हर रात की "स्याही"  एक सराय है
Atul "Krishn"
काल भले ही खा गया, तुमको पुष्पा-श्याम
काल भले ही खा गया, तुमको पुष्पा-श्याम
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
कोई जिंदगी भर के लिए यूं ही सफर में रहा
कोई जिंदगी भर के लिए यूं ही सफर में रहा
कवि दीपक बवेजा
जब तलक था मैं अमृत, निचोड़ा गया।
जब तलक था मैं अमृत, निचोड़ा गया।
डॉ. अनिल 'अज्ञात'
नन्हीं परी आई है
नन्हीं परी आई है
Mukesh Kumar Sonkar
💐प्रेम कौतुक-187💐
💐प्रेम कौतुक-187💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
माँ
माँ
Kavita Chouhan
मेरा सुकून
मेरा सुकून
Umesh Kumar Sharma
वेलेंटाइन डे एक व्यवसाय है जिस दिन होटल और बॉटल( शराब) नशा औ
वेलेंटाइन डे एक व्यवसाय है जिस दिन होटल और बॉटल( शराब) नशा औ
Rj Anand Prajapati
राष्ट्रभाषा
राष्ट्रभाषा
Prakash Chandra
"शब्दों का संसार"
Dr. Kishan tandon kranti
Thunderbolt
Thunderbolt
Pooja Singh
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे
पूर्वार्थ
सेवा की महिमा कवियों की वाणी रहती गाती है
सेवा की महिमा कवियों की वाणी रहती गाती है
महेश चन्द्र त्रिपाठी
कोशिश करना छोड़ो मत,
कोशिश करना छोड़ो मत,
Ranjeet kumar patre
नारी
नारी
Dr Parveen Thakur
विश्व जनसंख्या दिवस
विश्व जनसंख्या दिवस
Bodhisatva kastooriya
अनकही दोस्ती
अनकही दोस्ती
राजेश बन्छोर
राष्ट्रप्रेम
राष्ट्रप्रेम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
शब्द ब्रह्म अर्पित करूं
शब्द ब्रह्म अर्पित करूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*** आकांक्षा : एक पल्लवित मन...! ***
*** आकांक्षा : एक पल्लवित मन...! ***
VEDANTA PATEL
राखी रे दिन आज मूं , मांगू यही मारा बीरा
राखी रे दिन आज मूं , मांगू यही मारा बीरा
gurudeenverma198
फोन
फोन
Kanchan Khanna
Loading...