********* बुद्धि शुद्धि के दोहे *********
ले चलो तुम हमको भी, सनम अपने साथ में
इजाज़त है तुम्हें दिल मेरा अब तोड़ जाने की ।
हुलिये के तारीफ़ात से क्या फ़ायदा ?
जी करता है , बाबा बन जाऊं - व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अपने सुख के लिए, दूसरों को कष्ट देना,सही मनुष्य पर दोषारोपण
विधा:"चन्द्रकान्ता वर्णवृत्त" मापनी:212-212-2 22-112-122
पुलिस बनाम लोकतंत्र (व्यंग्य) +रमेशराज
एक अच्छी जिंदगी जीने के लिए पढ़ाई के सारे कोर्स करने से अच्छा
जिनके जानें से जाती थी जान भी मैंने उनका जाना भी देखा है अब
💐प्रेम कौतुक-389💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
पैर, चरण, पग, पंजा और जड़
झूठा फिरते बहुत हैं,बिन ढूंढे मिल जाय।
जानना उनको कहाँ है? उनके पते मिलते नहीं ,रहते कहीं वे और है
महोब्बत के नशे मे उन्हें हमने खुदा कह डाला