Meenakshi Bhatnagar Tag: कविता 55 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Meenakshi Bhatnagar 22 May 2024 · 1 min read राम प्रेम का दूसरा नाम- राम 1 राम ही , भक्ति है प्रेम की , शक्ति है जीत की ,साधना प्रीति की, भावना बस एक ,नाम हो मन बसे , राम... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 86 Share Meenakshi Bhatnagar 22 May 2024 · 1 min read कभी जीत कभी हार कभी जीत कभी हार जो हारे रेत के टीलों से जाओगे बिखर हिम्मत से मिलाई आंख जाओगे निखर आओ खेलो हर खेल जीते तो सिरमौर हारे तो कुछ नया सीख... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 53 Share Meenakshi Bhatnagar 20 May 2024 · 1 min read मोबाइल मोबाइल मोबाइल घनचक्कर ने सबकी थामी हुई नकेल है फेसबुक और ट्विटर दिखा रहे है अपनी शान व्हाट्सएप और मैंसंजर की हुई अनोखी आनबान मोबाइल घनचक्कर ने सबकी थामी हुई... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 91 Share Meenakshi Bhatnagar 20 May 2024 · 1 min read तस्वीर हो 2 इंसानियत की बनी ऐसी इक तस्वीर हो काम आ सके किसी के वह तकदीर हो जो बांटता इंसान को बस जात पात में मन मिटा दे जो कही भी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 63 Share Meenakshi Bhatnagar 20 May 2024 · 1 min read बातें ही बातें खुली छतों पर मनकही बतकही कहीं खामोशियों में डूबी खिलखिलाहटो की आहटें आशाओं की डोरी से बंधी खूबसूरत सौगातें यह बातें ,वह बातें ,वह बातें ,हो बाते चाची वो मामी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 63 Share Meenakshi Bhatnagar 20 May 2024 · 1 min read इक कविता इक कविता डूबते सूरज के साथ अंधेरों का साम्राज्य और साथ ही शुरू होता है उजालों का सफर जुगनू चाँद सितारे दिया बाती लाइट्स कोशिशें के सफर में बिखरे अंधेरे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 74 Share Meenakshi Bhatnagar 20 May 2024 · 1 min read स्पेस • स्पेस. मेरी अपनी स्पेस अस्तित्व को परिभाषित करता सिर्फ मेरा है अनचाहा तो निषिद्ध है और चाहतों को भी देते मर्ज़ी का लाइसेंस दोस्ती की बरसती चांदनी कुबूल है... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 120 Share Meenakshi Bhatnagar 20 May 2024 · 1 min read मैं बसंत मैं बसंत ये दूर तलक सफर हो ख्वाहिशों का अनजानी मिलती खुशियों की बारिशों का झिलमिल करती रश्मियों की बरसात मिल जाए तुम्हें जब मिली जुली सौगात इन बातों से... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 97 Share Meenakshi Bhatnagar 20 May 2024 · 1 min read इक नज़्म इक नज़्म जब भी तू नाम उसका गुनगुनाता है तुझमें चाहत का समंदर लहराता है गुम गई हो जैसे चीज तेरी कीमती तू हसरतों का दरिया नजर आता है बातों... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 60 Share Meenakshi Bhatnagar 20 May 2024 · 1 min read मेरे अंतस मे बह गए मेरे अंतस मे बह गए आज इक मुलाकात हुई समझ नहीं पाया देखूँ कि बात करूँ लगा सारे मौसम इक साथ आ गए सावन ,भादो, फागुन सब ही मन मे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 98 Share Meenakshi Bhatnagar 20 May 2024 · 1 min read ज़िंदगी गुलज़ार कर जाती हैं ज़िंदगी गुलज़ार कर जाती हैं तारे सितारे जुगनू चिराग और मुस्कुराहटें अंधेरो से लङने को उजालो का यह सफर जारी रहता है सूरज के ढलने पर जो जल उठती हैं... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 51 Share Meenakshi Bhatnagar 20 May 2024 · 1 min read बोगनविलिया बोगनविलिया मेरे घर और सङक के बीच कच्ची पगडंडी पर अनगढ़ से बेतरतीब उगे बोगनविलिया बेहिसाब लुटाते रंगो की रंगोली न मोल भाव बस ऐसा ही साथ तुम्हारा चाहतों का... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 50 Share Meenakshi Bhatnagar 20 May 2024 · 1 min read खिङकियां खिड़कियाँ मेरी ख्वाहिशों की खिड़कियों पर बयार बासंती दस्तक देती है सुनहरी धूप की स्याही किस्सों की बयानी करती है कुछ सपनो के बीज जो छूटे थे कही किसी पगडंडी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 73 Share Meenakshi Bhatnagar 20 May 2024 · 1 min read प्रेम लौट आता है प्रेम लौट आता है डायरी के बीच सूखे गुलाब कुछ अशआर बस यूँ ही प्रेम लौट आता है दशकों बाद जैसे वन में सुलगते पलाश सा खामोश और घना और... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 89 Share Meenakshi Bhatnagar 20 May 2024 · 1 min read बाते सुनाते हैं जब जागते है ख्वाब और बाते सुनाते है तनहाइयों में बहारों को यूँ आवाज देते हैं फूलों में तितलियों का अक्स दिखता है आसमान गुलाबी जमीं रंगरेज़ लगती है तब... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 96 Share Meenakshi Bhatnagar 20 May 2024 · 1 min read और कितना सताएगी और कितना सताएगी मुद्दतों से बिछुङे ,वो भी सपना बाद मुद्दत के मिले वो भी सपना ज़िंदगी तू कितने रंग दिखाएगी और कितना और कितना सताएगी आँसुओ की स्याही से... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 94 Share Meenakshi Bhatnagar 20 May 2024 · 1 min read तुझको अपनी प्रीत मुबारक तुझको अपनी प्रीत मुबारक आधे और अधूरे रंग हो तेरा हिया रंगूँ रंग अपने यूँ तुझको अपना कर जाऊँ मैं तुझको अपनी प्रीत मुबारक लिए धनक के रंग सभी अपनी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 74 Share Meenakshi Bhatnagar 20 May 2024 · 1 min read गुलाबी स्त्रियां गुलाबी स्त्रियाँ हर रंग में जिंदगी ढूँढतीं लम्हों को त्योहार बनाती न जाने कितने रंग बिखराती ये गुलाबी स्त्रियाँ घर का हर कोना सजाती कभी खुद संवरती कभी आँखों में... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 50 Share Meenakshi Bhatnagar 20 May 2024 · 1 min read प्रेम प्रेम वो क्या था ! वो कौन था ? अंतर्मन के गहरे सागर में सीप मे मोती बनाता वो अनजाना शिल्पकार वो क्या था ! वो कौन था ? पाषाण... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 60 Share Meenakshi Bhatnagar 20 May 2024 · 1 min read धीरे चल ज़िंदगी थोड़ा धीरे चल जिंदगी गमों के फेरे जो थे खुशियों के कुछ घेरे है आँसू उसके इन आँखों में उतर तो जाए जरा सा जी तो लेने दो थोड़ा धीरे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 84 Share Meenakshi Bhatnagar 22 Nov 2022 · 1 min read अंधेरे की पाती उजास ,प्रकाश , रौशनी एक ही शब्द के पर्याय तुम मानते अपने को श्रेष्ठ मुझे कमतर आँकते तुम्हारा अस्तित्व मुझसे ही तो है दीप की जलती वर्तिका मुझसे ही तो... Hindi · कविता 143 Share Meenakshi Bhatnagar 17 Sep 2021 · 1 min read मैं बसंत मैं बसंत मैं बसंत कठिन वक्त की ठोकर हो फिर भी आ जाता कर्तव्य बोध से हर द्वारे दस्तक दे esता हूँ मैं ऋतुराज बसंत जब यौवन की उद्दाम लहर... Hindi · कविता 342 Share Meenakshi Bhatnagar 16 Dec 2020 · 1 min read जश्न जश्न अभी यह दौर कठिन है वक्त का , मानव खड़ा ले कवच हिम्मतका , चल रहा है कोशिशों का सफर , जल्दी ही खत्म होगा यह कहर , जब... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 22 689 Share Meenakshi Bhatnagar 11 Apr 2020 · 1 min read प्रति दिन एक लौ जला रहाहूँ प्रतिदिन एक लौ जला रहा हूं । नव आशाओं के खिले कमल , उन पर गाते भंवरों के दल , सब की आकांक्षाएं प्रबल , गीत प्रीत के रचा रहा... Hindi · कविता 1 2 484 Share Meenakshi Bhatnagar 16 Jan 2020 · 1 min read चौराहा नमन मंच 9/1/2019 छंद मुक्त चौराहा इक चौराहे पर खड़ा हुआ सोच रहा था मानव मन सत्य की पकड़ूं राह या पतली गली से निकल जाऊं अपनी सुख सुविधा में... Hindi · कविता 467 Share Meenakshi Bhatnagar 6 Jan 2020 · 1 min read भीड़ 6/1/2020 भीड़ बस एक भीड़ लिए उन्माद का रूप खिलते खेलते घर को कर गई तबाह एक आह न निकल पाई हुआ सब कुछ बर्बाद । क्या था कसूर यूँ... Hindi · कविता 1 661 Share Meenakshi Bhatnagar 2 Jan 2020 · 1 min read नया साल 2/1/2020 वर्ष नवल तुम यूँ आना सावन की नन्ही बूंदो से कलुष सभी मिटा जाना खिल खिल जाए पात खुशी से निखरी निखरी धूप में वर्ष नवल तुम यूँ आना... Hindi · कविता 1 287 Share Meenakshi Bhatnagar 12 Nov 2019 · 1 min read पहचानो तुम मन की शक्ति सृष्टि की अंधी दौड़ भाग जीवन में लगी हुई आग हो तुम मानव मन की प्रीत रच लो मौन राग का गीत छोड़ो झूठी यह आसक्ति पहचानो तुम मन की... Hindi · कविता 297 Share Meenakshi Bhatnagar 12 May 2019 · 1 min read माँ मां तुम याद बहुत आती हो चूल्हे पर फुलके सेंक सेंक कंगन के खनखन करते गीतों से प्यार परोसा करती थी माँ तुम याद बहुत आती हो भीगी भीगी बरसातों... Hindi · कविता 305 Share Meenakshi Bhatnagar 12 May 2019 · 1 min read रुत भी आ कर बीत गई यह रुत भी आकर बीत गई मन की सब बतिया रीत गई गुलमोहर पर छाई बहार उस पर गर्मी का प्रहार दुल्हन ले जाए धूप कहार मौसम के संग प्रीत... Hindi · कविता 517 Share Meenakshi Bhatnagar 21 Feb 2019 · 1 min read जग सारा बाज़ार हुआ बाहर के आडंबर हैं मन का .सूना अंबर है भावों का. तो मेला है मानव .स्वयं अकेला है भाव सलीका औजार हुए जग सारा बाजार हुआ सच्चे का मुंह काला... Hindi · कविता 281 Share Meenakshi Bhatnagar 24 Jan 2019 · 1 min read माँ माँ तू दृश्य अभिराम जीवन की बहती नदिया कभी रुकी पवन सी कभी चले मन भाती पुरवाई माँ तू ममता की सीपी का मोती है माँ तू घिरती संध्या का... Hindi · कविता 574 Share Meenakshi Bhatnagar 15 Nov 2018 · 1 min read सरदार पटेल सरदार पटेल लहू में उसके देश प्रेम का उठता हुआ तूफान था मन में एक प्रगतिशील देश का सपना साकार था स्वतंत्रता सेनानी एक वीर योद्धा महान था वह देश... Hindi · कविता 1 1 521 Share Meenakshi Bhatnagar 24 Aug 2018 · 1 min read dev ho tum danav bhi tum देव हो तुम दानव भी तुम सृजन की हो आस तुम विनाश का भी भास तुम मरण जीवन चक्र तुम उद्धार का द्वार भी तुम देव भी तुम दानव भी... Hindi · कविता 371 Share Meenakshi Bhatnagar 12 Jul 2018 · 1 min read कविता हर पल की साक्ष्य बनो तुम कविता हर पल की साक्ष्य बनो तुम अनवरत यात्रा सी इक पथिक के गुनगुनाते ख्वाबों की प्यास सी इतिहास के फ़लक पर नेह संस्कृति का धनक सजा दो कविता हर... Hindi · कविता 1 293 Share Meenakshi Bhatnagar 26 Apr 2018 · 1 min read दंगख, फसाद विधा पिरामिड विषय दंगा हां आशा संदेशा परिभाषा जो मन चंगा न फसाद दंगा कठौती में हो गंगा हां दंगा उन्मादी हो फसादी करें बर्बादी रचे अवसाद जै अवसरवाद मीनाक्षी... Hindi · कविता 411 Share Meenakshi Bhatnagar 20 Apr 2018 · 1 min read यात्रा एक यात्रा नमन मानवता चार्ल्स डार्विन के विकास वाद के सिद्धांत और प्रकृति चयन से आए पहले मनुष्य के अस्तित्व की चौपाए से इंसान बनने की उन्नति की ,उत्थान की... Hindi · कविता 518 Share Meenakshi Bhatnagar 4 Apr 2018 · 1 min read यात्रा एक यात्रा नमन मानवता चार्ल्स डार्विन के विकास वाद के सिद्धांत और प्रकृति चयन से आए पहले मनुष्य के अस्तित्व की चौपाए से इंसान बनने की उन्नति की ,उत्थान की... Hindi · कविता 596 Share Meenakshi Bhatnagar 2 Apr 2018 · 1 min read सम्भावनाओ की तलाश ज़ारी है सम्भावनाओं की तलाश ज़ारी है कविता तुम्हें तलाशता हूँ हर इक सम्भावना में ख़ुशनुमा पलों की सरगम अत्याचार अनाचार के विरुद्ध मौन चीख में कविता हर पल की साक्ष्य बनो... Hindi · कविता 416 Share Meenakshi Bhatnagar 14 Mar 2018 · 4 min read हलचलें हलचलें हलचलें होती ज़िंदगी की हरारते सोचो तो जो सब अच्छा अच्छा होता संघर्ष टेंशन दुख का नाम नहीं होता कौन किसे उपदेशों का देता काढ़ा सोचो सोचो जो गम... Hindi · कविता 330 Share Meenakshi Bhatnagar 13 Mar 2018 · 1 min read मन का करघा मन का करघा चला सूत से एक चदरिया बुन डाली रेशे रेशे में रंग केसरिया से मन सन्यासी कर डाला अन्तर्मन में तुझे सजाकर नैनों की ज्योति से कर आरत... Hindi · कविता 1 547 Share Meenakshi Bhatnagar 24 Jan 2018 · 1 min read सफ़र ज़ारी है हर इक मुकाम पर अनजानी मंज़िलों को तलाशती ज़िंदगी की अभिलाषाओं का सफर ज़ारी है हर इक शज़र पे रंग बदलते मौसमों का खिलते झरते पत्तों की सर उठाती उम्मीदों... Hindi · कविता 580 Share Meenakshi Bhatnagar 21 Jan 2018 · 1 min read मुखौटे ही मुखौटे दर्द की चौखट पर विषाद से घिरे भरे भरे नैनों से फिर भी भाव छुपाते मुस्कराते मुखौटे ही मुखौटे धर्म की आढ़ में छलते मानव मन को कलुष ह्रदय ले... Hindi · कविता 480 Share Meenakshi Bhatnagar 19 Jan 2018 · 1 min read इंद्रधनुष इंद्रधनुष - एक संवाद दूर कहीं एक टूटे फूटे घर में जहाँ गरीबी की परिभाषा भी शरमाती थी माँ गोद लिए बैठी थी अपनी इकलौती निधि को बहलाती फुसलाती बेटा... Hindi · कविता 308 Share Meenakshi Bhatnagar 19 Jan 2018 · 1 min read इंद्रधनुष इंद्रधनुष - एक संवाद दूर कहीं एक टूटे फूटे घर में जहाँ गरीबी की परिभाषा भी शरमाती थी माँ गोद लिए बैठी थी अपनी इकलौती निधि को बहलाती फुसलाती बेटा... Hindi · कविता 421 Share Meenakshi Bhatnagar 31 Oct 2017 · 1 min read बेनाम रिश्ते निखरती कृति तराशी जाती लेखनी इक नया आयाम रचती लेखनी का दर्द कृति का निखार कर जाता सार्थक इन दोनों का ये बेनाम रिश्ता सूर्य को अलविदा कहता सुरमई अँधेरा... Hindi · कविता 525 Share Meenakshi Bhatnagar 28 Oct 2017 · 1 min read आसमानी जादूगर ।ये आसमानी जादूगर कितनी कविताएँ जगाता है भोर के सूर्य सी आशाओं की कविता जो पोर पोर में पुलक सी जगाती है भरी दोपहर में खून के हौसले बढाती दिल... Hindi · कविता 301 Share Meenakshi Bhatnagar 27 Oct 2017 · 1 min read अँधेरा उजास ,प्रकाश , रौशनी एक ही शब्द के पर्याय तुम मानते अपने को श्रेष्ठ मुझे कमतर आँकते तुम्हारा अस्तित्व मुझसे ही तो है दीप की जलती वर्तिका मुझसे ही तो... Hindi · कविता 560 Share Meenakshi Bhatnagar 24 Oct 2017 · 1 min read खामोशियाँ गुनगुनाते झरनो के रसीले सुर फूलों के खिलते मासूम रंग तितली भँवरों की ये गुनगुन अनकहे प्रेम की बहती तरंग सितारों की अनगढ़ चमक मौन संवादों की मधुर गूँज अन्तर्मन... Hindi · कविता 612 Share Meenakshi Bhatnagar 1 Oct 2017 · 1 min read दिल्ली दिल्ली कटते जा रहे नगर के सैकड़ों शजर हैं कैसे होगी गुजर कठिन चारों पहर हैं दिल्ली तुम दिल वालों की बस्ती रही हो बाकी सी चितवन कहाँ खो गई... Hindi · कविता 674 Share Page 1 Next