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2 Dec 2017 · 1 min read

बाल कविता (हास्य)

बाल दिवस पर

बाल केंद्रित एक कविता

बाल दिवस पर विद्यालय में,
बोल रहे थे बाबूलाल।
नेहरु जी के सिर के ऊपर,
नहीं जमे थे किंचित बाल;
उसी याद में बाल दिवस का,
पर्व मनाया जाता है।
जिस बालक के बाल बढ़े हों,
आज उन्हें कटवाता है।
बाल दिवस पर ही आते हैं,
याद हमें शायर इकबाल।
बालस्वरूप राही ने इस दिन,
किया लेखनी चला कमाल।
सुन-सुनकर जिनकी कविताएं,
सोई जनता जागी जी,
बाल दिवस पर स्वस्थ मस्त हैं
बालकवि बैरागी जी ।

गुरु सक्सेना नरसिंहपुर( मध्य प्रदेश)

Language: Hindi
1 Like · 1027 Views
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