अनुशासित जीवन ,सुंदर जीवन
जैसा बीज बोएगा किसान ,
वैसी ही तो फसल उगेगी ।
फूल खिलाए या कांटे लगाए,
प्रसन्नता या पीड़ा उसे ही मिलेगी ।
यही बात अभिभावकों पर होती है लागू ,
पालन पोषण जैसा करेंगे संतान का ,
वैसी ही संतान उनको मिलेगी ।
प्रेम और दंड की अनुमानित मात्रा,
संतान को सुशील और अनुशासित बनाएगी ,
अन्यथा इसके विपरीत हो आचरण तो ,
बिगड़ी संतान माता पिता एवं समाज पर ,
और फिर देश पर बोझ ही कहलाएगी ।