*काश युद्ध हो क्षण-दो क्षण का, सदियों युद्ध-विराम (गीत)*
काश युद्ध हो क्षण-दो क्षण का, सदियों युद्ध-विराम (गीत)
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काश युद्ध हो क्षण-दो क्षण का, सदियों युद्ध-विराम
1)
कुछ दुष्टों के कारण जग में, खून बहाया जाता
कुछ खूंखार दरिंदों से ही, युद्धों का बस नाता
गहन शोक में विश्व डुबोना, नर-पशुओं का काम
2)
अर्थी उठी द्वार से जब भी, घर-ऑंगन चीखा है
टूटे परिवारों का रूदन, दशकों तक दीखा है
सैनिक का बलिदान अर्थ है, दुख विधवा के नाम
3)
हथियारों के बदले घर में, खेल-खिलौने लाते
सड़क पार्क शिक्षा के ऊपर, ज्यादा खर्च बढ़ाते
युद्ध नहीं हों तो बन जाऍं, सभी देश सुखधाम
काश युद्ध हो क्षण-दो क्षण का, सदियों युद्ध-विराम
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451