एक तरफा न होगी

अगर जरूरत हमारी है,
तो जरूरत उनकी भी होगी।
प्रेम की ये कहानी तो,
एक तरफा न होगी।
मै अगर सोंचता हूँ उनके बारे में,
तो वो मुझे भी याद करती होगी।
छिपकर ही सही तन्हाई में,
वो आह भरती होगी।
प्रेम की ये कहानी तो,
एक तरफा न होगी।
जो एक तरफा होता तो
मै मानता इसे दिल का भरम।
पर ये मोहब्बत हम दोनों की,
है उस खुदा का करम।
एक हाँथ से ये ताली,
कभी न बजती होगी।
प्रेम की ये कहानी तो,
एक तरफा न होगी।
उसकी आँखों में प्यार,
पाया है हमने,
उसने भी मेरी आँखों में,
कुछ तो देखा होगा।
धड़कने झूठ नहीं कहती,
दिल की जुबानी,
जो अगर कुछ न हुआ होता,
तो बड़ा धोखा होगा।
प्यार गहरा न होता,
तो बनता न मै यूँ जोगी।
प्रेम की ये कहानी तो,
एक तरफा न होगी।
मुझे ऐतबार है उसका,
की वो मेरी ही है।
उसकी बस हाँ बाकि है,
भले कुछ देरी ही है।
रात बीतेगी और वो,
सुबह आएगी।
मेरे दिलदार को मेरी चाहत,
करीब लाएगी।
फिर ठीक हो जायेगा,
दिलमर्ज का ये रोगी।
प्रेम की ये कहानी तो,
एक तरफा न होगी।
प्रदीप कुमार गुप्ता
१२ /०४ /२०२५