*लिखते थे लेकर कलम, अपनी-अपनी चाल (कुंडलिया)*

लिखते थे लेकर कलम, अपनी-अपनी चाल (कुंडलिया)
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लिखते थे लेकर कलम, अपनी-अपनी चाल
कुछ की सादी हस्तलिपि, कुछ ने किया कमाल
कुछ ने किया कमाल, कलाकृति-सी दिखलाई
अक्षर करते बात, नाचती मौन लिखाई
कहते रवि कविराय, रंग सौ सबके दिखते
सुंदर था वह काल, पत्र जब सब थे लिखते
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451