/•• शिव-शम्भू ••/

/•• शिव-शम्भू ••/
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अरे,
कमर लपेटे मृग छाला
बाज़ू में रुद्रा की माला
डम,डम,डम डमरू वाले हैं
— शिव-शम्भू बड़े निराले हैं
जटा में गंगा की धारा
चरणों में है जग सारा
चम चम चम चंदा वाले हैं
— शिव-शम्भू बड़े निराले हैं
कंठ हलाहल विष भरा
नयनों में है,अमृत भरा
प्रभु,काल को हरने वाले हैं
— शिव-शम्भू बड़े निराले हैं
नाग वासुकी हार गले
मंद-मंद फुफकार चले
गण सभी त्रिशूल सम्हाले हैं
— शिव-शम्भू बड़े निराले हैं
व्याघ्र चर्म का आसन है
हिमालय ही सिंहासन है
“चुन्नू”करुणामय भोले-भाले हैं
— शिव-शम्भू बड़े निराले हैं —
••• कलमकार •••
चुन्नू लाल गुप्ता-मऊ (उ.प्र.)✍️