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11 Apr 2025 · 2 min read

संत गाडगे महाराज

महाराष्ट्र राज्य के अमरावती जिले के शेडगांव में जन्मे संत गाडगे महाराज एक प्रसिद्ध समाज सुधारक संत हुए हैं। 23 फरवरी 1876 को शेडगांव के साधारण परिवार में पिता जिंगराजी रानो जी जानोरकर के घर मां सखुबाई की कोख से एक बालक का जन्म हुआ जिसका परिजनों ने नाम रखा देबू जी । आगे चलकर यही बालक एक प्रसिद्ध भारतीय संत बाबा गाडगे महाराज के नाम से प्रसिद्ध हुए। अपना संपूर्ण जीवन दलित व असहाय लाचार लोगों के लिए समर्पित कर दिया था बाबा गाडगे ने । शिक्षा और स्वच्छता के लिए विशेष कार्य करने वाले बाबा का कहना था कि मंदिर मत जाओ, मूर्ति पूजा मत करो, साहूकारों से धन मत लो ,चोरी मत करो, व्यसन मत करो फिर देखो तुम्हारा जीवन कैसे अच्छा नहीं होता है । वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले महान संत गाडगे का संपूर्ण जीवन दलित व असहाय लाचार लोगों की सेवा में लगा रहा । बाबा गाडगे महाराज के भजन कीर्तन लोग मे सोचने समझने की शक्ति का संचार करते थे । शिक्षा व स्वच्छता के महत्व पर पूर्ण जोर देने वाले बाबा गाडगे लोगों को नैतिक मूल्यों को अपनाने के हिमायती थे । जातिवाद और छुआछूत के विरुद्ध जीवन पर्यंत संघर्षरत रहे संत गाडगे ने आपसी सदभाव व भाईचारे का संदेश जनता को दिया जिसके कारण उन्हें अनेकों राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए।गाडगे महाराज ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव शेडगांव में प्राप्त की। उन्होंने आगे की शिक्षा के लिए अमरावती जिले के एक स्कूल में प्रवेश लिया, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उन्हें अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़नी पड़ी। वही गाडगे महाराज ने आत्म-शिक्षा के माध्यम से अपने ज्ञान को बढ़ाया। उन्होंने विभिन्न पुस्तकों का अध्ययन किया और अपने अनुभवों से सीखा। उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा के महत्व को समझा और दूसरों को भी शिक्षित करने के लिए काम किया ।
गाडगे महाराज ने शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए लोगों को जागृत किया । उन्होंने लोगों को शिक्षित करने के लिए दिन रात मेहनत की और लोगों को शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही एक ऐसा साधन है जो लोगों को अपने जीवन में आगे बढ़ने में मदद करती है ।।गाडगे महाराज ने शिक्षा के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन लाने का भरसक प्रयास किया। उन्होंने लोगों को शिक्षित करने के लिए काम किया और उन्हें सामाजिक अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही एक ऐसा साधन है जो लोगों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने में मदद कर सकता है। ऐसे महान संत जिसने समाज में शिक्षा की अलख जगायी थी उनका 20 दिसंबर 1956 को 80 वर्ष की आयु में हृदय गति रुक जाने से देहांत हो गया। बाबा गाडगे महाराज के निधन से समाज को अपूरणीय क्षति हुई ।एक प्रमुख संत और समाज सुधारक को समाज ने खो दिया लेकिन उनकी शिक्षा आज भी समाज में प्रेरणा देती है। डॉक्टर राजेंद्र यादव आजाद दौसा राजस्थान मोबाइल 94 14271288

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