वीरांगना रामप्यारी गुर्जर

रामप्यारी गुर्जर/गुर्जरी वो वीरांगना थी जिसने इस्लामी आक्रमणकारी हिन्दुओं के हत्यारे तैमूर लंग की विशाल सेना को धूल चटाई थी। इतिहास की महानायिका जिस की वीरता का परिचय भारत के बच्चे बच्चे को होना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्य से जो हो ना सका। मात्र 20 वर्ष की आयु में अपने 40,000 महिला सेनानियों की सहायता से तैमूर की सेना को सब्जी की भांति काट कर रख दिया था।
1398 मॆं हिन्दुओं की सेना ने तैमूर की सेना पर ऐसा कहर बरसाया कि उसे भारत छॊड़कर दुम दबाकर भागना पड़ा था। जाट, गुर्जर, राजपूत, ब्राह्मण, वाल्मीकी, आहीर व अन्य समुदाय के 80,000 लोगों की सैन्य ने तैमूर के सेना को भारत में आगे बढ़ने से और मंदिरों को लूटने और लाखों हिन्दुओं को कटने से बचाया था। इनमें से वीरांगना रामप्यारी का नाम सबसे पहले आता है।
वीरांगना रामप्यारी गुर्जर का जन्म गुर्जरगढ (वर्तमान मे सहारनपुर) क्षेत्र में हुआ था। सहारनपुर की वीर चौहान वंश में उनका जन्म हुआ था तो उनका बचपन से ही वीर होना स्वाभाविक था। बचपन से ही भारत के वीर नर-नारियों की कहानी सुनकर पली बड़ी रामप्यारी खुद एक कुशल यॊद्धा बनीं। वे पुरुषों के जैसे वेष भूषा पहनती थी और रॊज़ कुश्ती और कसरत किया करती थी। जिस प्रकार उन्होंने चालीस हज़ार महिलाऒं की सेना का नेतृत्व किया था उसे देखकर तैमूर की सेना दंग रह गयी थी। उन्होंने एक महिला को इस प्रकार युद्ध लड़ते हुए कभी नहीं देखा था।