मुक्तक _

मुक्तक _
लबों पर अब किसी के भी, नहीं दिखता तरन्नुम है ,
सभी की फ़िक्र लाज़िम है ,मगर इंसाफ़ अब गुम है ,
रियासत ने, सियासत ने, कहीं बख़्शा किसी को भी,
सभी मज़लूम बंदों का, ठिकाना ही जहन्नुम है ।
✍️नील रूहानी ..
मुक्तक _
लबों पर अब किसी के भी, नहीं दिखता तरन्नुम है ,
सभी की फ़िक्र लाज़िम है ,मगर इंसाफ़ अब गुम है ,
रियासत ने, सियासत ने, कहीं बख़्शा किसी को भी,
सभी मज़लूम बंदों का, ठिकाना ही जहन्नुम है ।
✍️नील रूहानी ..