“वन से लगन लगाओ ना..! “

सभी मित्रों, को विश्व वन्य जीव सँरक्षण दिवस 3 मार्च की शुभकामनाएं।
इस परिप्रेक्ष्य मेँ एक लघु गीत प्रस्तुत है जो एक बाल-गीत के रूप में बन पड़ा है जिसका शीर्षक है-
वन से लगन लगाओ ना..!
( बाल-गीत!)
जँगल-जँगल बात चली है,
सबको ज़रा सुनाओ ना।
हम भी तो इस ग्रह के वासी,
पापा को बतलाओ ना।।
चीता, गैंडा शेर, व हाथी,
कभी देख कर जाओ ना।
हरी छाँव मेँ बैठो गुड़िया,
हलुआ-पूड़ी खाओ ना।।
छौना बड़ा हिरन का भी है,
उसको मित्र बनाओ ना।
मन उसका भी बिल्कुल तुम सा,
उसको भी दुलराओ ना।।
चूल्हा-चकिया लेकर आना,
खाना कभी पकाओ ना।
नृत्य करेगा भालू छम-छम,
इतना भी शरमाओ ना।
ब्याह रचाना बड़े प्रेम से,
ले बरात, तुम आओ ना।
नहीं ज़रूरत बिजली की कुछ,
इतना भी घबराओ ना।।
पेड़ घने, हैं शान्त खड़े,
कुछ उनका मान बढ़ाओ ना।
निश्छल, वायु शुद्ध करते,
शुचिता को गले लगाओ ना।
बेर मिलेंगे, जामुन के सँग,
चख कर ज़रा बताओ ना।
चिड़ियाँ चूँ-चूँ करती रहतीं,
दिल से कभी सराहो ना।।
पर्यावरण करें सँरक्षित,
मिल कर प्रकृति बचाओ ना।
“वृक्ष धरा के आभूषण”,
कुछ स्नेहिल मुहिम चलाओ ना।
बेमतलब बन्दूक चले ना,
इतना धरम निभाओ ना।
बुद्धिमान सब जीवों में तुम,
कुछ तो साख बचाओ ना।।
सूखा, बाढ़ सभी दुख देते,
वन से लगन लगाओ ना।
बच्चों तुम से ही है “आशा”,
गीत प्रेम का गाओ ना..!
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