-एक गलती की सजा भुगत रहा हु –
– एक गलती की सजा भुगत रहा हु –
तुम्हे न अपनाने की सजा भुगत रहा हु,
तुम्हारा प्रेम अनुरोध अस्वीकार करने का फल पा रहा हु,
तेरे निश्चल ,निर्मल , निस्वार्थ प्रेम को जो मैने ठुकराया,
उसके बाद ऐसा निश्चल निर्मल प्रेम मेने मेरे अपनो से भी नही पाया,
बस इसी बात की वेदना सहा जा रहा हु,
तुम्हारे जैसी अब न तो मिलेगी न ही कभी कोई होगी,
इस बात को में जान गया हु,
अकेलापन बहुत दुख देता है,
अगर तेरा साथ होता तो फिर क्या बात थे,
पर अब तो बस इसी अकेलेपन के साथ जिंदगी गुजारनी है,
सिर्फ तुम्हारी मीठी सी यादों के साथ,
एक गलती की सजा भुगत रहा हु,
तुम्हे न अपनाने की सजा भुगत रहा हु,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान