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22 Mar 2025 · 1 min read

पुल

लड़की, औरत, महिला, स्त्री यह सब शब्द शब्दकोशों से निकालकर फेंक देनी चाहिए
जिससे जिसकी परिभाषा में लिखा था सृजन करना वह विवाहिता होने का प्रमाण दे रही है सुहागिन होना।
देह के स्थलाकृतियों में रेगिस्तान होना सिर्फ पुरुषों ने ही जाना है यदि हाँ है तो
ईश्वर का उपमान मासिक धर्म कहो तो
गर्भधारण और गर्भपात पर लिखी हुई कविता जिसका शीर्षक बड़े-बड़े, सुनहरे अक्षरों में ‘औरत’ होना है
जिस पर लिखा है ‘तुम बांझ नहीं हो।’
जिसके योनि से निकल उसके उभार स्तनों के दूध से
देह का खिलना,
उस देह पर बनी सभ्यताओं का होना
वहीं पुरुष तुम हो।
जिसको लक्ष्मण रेखाओं के दायीं छोर पर बलात्कारी होने को परिभाषित करता हुआ वहीं पुरुष दक्षिण छोर का आदमी है।

माँ-बहन की गालियों पर बना यह पुल उस बाजार की ओर जाता है जहाँ स्त्री देह की नीलामी होती है।
शायद तुम वहीं के हो ?
मैं पूछता हूँ तुमसे, तुम ब्रह्मांड के किस कोने से आये हो ?
जिस पर लिखा हुआ है शीघ्रपतन होना। जहाँ तहाँ।

वरुण सिंह गौतम

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष।

#internationalwomensday

Language: Hindi
26 Views
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