बाईस वर्ष
मेरी हत्या होने के बाद
कवि लिखने लगे, उतरते हुये
चंद्रमा पर दिन का होना, कितना सार्थक है कि
नदियों के किनारे बेलों का फूटना!
इसके समानांतर__
मेरे पुराने घर की ओर
तुम्हारा लौटना।
इस देह का नहीं होना
मेरी हत्या का सुखद परिणाम है
जैसे माघ का लौटना
यह लौटना मतलब मेरा बोझ कम होना
मेरा देह का बहत्तर होना।
इस अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि पर मेरी
लाश पर कविता लिखना
उस पर बने शब्द
मेरा संघर्ष है, उकेरना
{ फूलों के गुच्छे मुरझाने के बाद फेंक दिये है }
वहीं उतार-चढ़ाव जीवन में
जिसका
हत्यारा तुम हो।
मेरी अनुपस्थिति है में तुम
भोर का चांद हो। दुपहरी।
दो दशक, दो वर्ष पहले, बाईस वर्ष
जिस पर लिखी गयी थी एक मरी हुई कविता! मैं!
वरुण सिंह गौतम
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