बचपन की जिज्ञासा और सुनीता विलयम्स

अमावस की रात में आसमान में चमकते हुए तारों को देखकर माँ की गोदी में सो रही सुनीता ने पूछा, “माँ ये तारे किससे लटके हैं?”
विचारों में खोई माँ ने सुनीता के प्रश्न को सुना और एकाएक बोली, “ये किसी से नहीं बंधे है ये स्वतः ही लटके हुए हैं?”
“ऐसा कैसे हो सकता है माँ, अगर ये किसी से नहीं बंधे तो हमारे ऊपर क्यों नहीं गिर रहे?”
“हाँ ये किसी से नहीं बंधे ये सच है!”
“पर दादी तो बता रही थी कि तारे भगवान के घर के बल्ब होते हैं और जब रात हो जाती है तो भगवान के घर में रोशनी करते हैं!”
“नहीं ऐसा नहीं होता, यह सच नहीं है!”
माँ का उत्तर सुन सुनीता उदास हो गई क्योंकि उसने सोचा था कि तारों की बात छेड़कर माँ भी उसे दादी की तरह परीलोक और भगवान की मन भावन कहानियाँ सुनाएगी। इसलिए उसने तुरंत ही कहा, “सच नहीं है! तो सच क्या है माँ?”
“सच इनके पीछे की विज्ञान है।”
“विज्ञान..! वह क्या है माँ?”
“मुझे भी नहीं पता मगर वह सच विज्ञान की किताबों में लिखा है, जिन्हें पढ़कर ही तू सूरज,चाँद, तारे और आसमान के बारे में जान सकेगी!”
“अच्छा माँ, मुझे यह सब जानने के लिए किताबें पढ़नी होंगी?”
“हाँ बेटी हाँ, उन्हीं में सब सच लिखा है।”
“तो क्या दादी ने झूठ बोला था?”
“हाँ दादी ने झूठ बोला था, पर कोई नहीं उन्होंने तेरा मन बहलाने के लिए यह सब कहा होगा।” माँ के उत्तर को सुन सुनीता की सभी काल्पनिक कहानियाँ जो उसने तारों और भगवान के घर को सोचकर बनाई थी टूटकर मिट्टी में इसतरह मिल गयी जिस तरह मिट्टी का खिलौना टूटकर मिट्टी में मिल जाता है। किंतु उसने मन में ठान लिया कि, “अब वह इनकी सच्चाई जो विज्ञान है, किताबों से खुद ही तलाश करेगी”। अपनी इसी जिज्ञासा में बड़ी होकर वह सुनीता विलियम्स बनी और अपनी बचपन की जिज्ञासा के रहस्य से रूबरू हुई।
यह सच है इस समस्त ब्रह्मांड का रचयिता कोई सर्वशक्तिमान ही हैं किंतु विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है कि बचपन की जिज्ञासाओं को अंतिम उत्तर देकर समाप्त ना किया जाए बल्कि उनको ऐसे उत्तर दिए जाएं जो सर्वशक्तिमान के रहस्य को इंसानों के सामने उजागर करें। आइंस्टाइन ने कहा था कि, “विज्ञान की समस्त खोज का अंत ही ईस्वर है” यह उसने सच कहा किंतु यह उसने तब कहा जब वह बहुत सारी खोज कर चुका था बहुत अनुभव ले चुका था। इसलिए बचपन की जिज्ञासाओं को अंतिम सत्य बताकर समाप्त ना करें बल्कि उन्हें अंतिम सत्य की खोज करने के लिए प्रेरित करें विज्ञान, ज्ञान के द्वारा।
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