बाल कविता

चार चूहे
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एक घर में थे चूहे चार,
परेशान पूरा परिवार।
दादा जी की टोपी काटी,
फ्रिज में रखी मलाई चाटी।।
कुतरी चाचा जी की कोटी,
खा गये मक्खन सब्जी रोटी।
काटे सब चादर के धागे,
मुन्नी की गुड़िया ले भागे।।
कुतर दयी मम्मी की साड़ी,
राजू की है पुस्तक फाड़ी।
पापा न पी पाते चाय,
सोच रहे क्या करें उपाय।।
सबने मिलकर बिल्ली पाली,
चूहे भागे घर कर खाली।
उथल-पुथल सारा कर डाला,
वह निकली चूहों की खाला।।