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8 Aug 2024 · 1 min read

अगर आपके पास निकृष्ट को अच्छा करने कि सामर्थ्य-सोच नही है,

अगर आपके पास निकृष्ट को अच्छा करने कि सामर्थ्य-सोच नही है,
तो उत्कृष्ट मे होना या रहने दोनो कि ही चेष्टा करना व्यर्थ है।

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