महाकुंभ

संस्कृति-परम्परा का,
अद्भुत नजारा है।
स्नेह, श्रद्धा, विश्वास का
शहर ये हमारा है।
आस्था का महाकुंभ,
श्रद्धा का संगम है।
पुण्यस्थली प्रयागराज,
दृश्य विहंगम है।।
प्रेम है, सद्भाव है,
ना कोई दुराव है।
यहाँ आकर देखिये,
रिश्तों में लगाव है।।
शालिनी राय ‘डिम्पल’✍️
कवयित्री आजमगढ़ उत्तर प्रदेश।