मरने से पहले मरना क्या ?

घिर गए यदि बाधाओं में !
या फिर प्रलय घटाओं में !
कैसी हो विपदा डरना क्या ?
मरने से पहले मरना क्या ?
हों पांव तले जब अंगारे !
तो जीत से पहले क्यों हारें ?
आग लगाकर जलना क्या ?
मरने से पहले मरना क्या ?
सुख-दुःख या तूफान मिले !
सम्मान कभी अपमान मिले !
अब पीड़ाओं में पलना क्या ?
मरने से पहले मरना क्या ?
बिन कारण ही मुख मोड़ चले !
जो मध्य मार्ग में छोड़ चले !
कदम मिलाकर चलना क्या ?
मरने से पहले मरना क्या ?
परिलक्षित हैं वो आकर्षक,
हो जाते कभी भी आक्रामक,
तो अरमानों का ढलना क्या?
मरने से पहले मरना क्या ?
काँटों से पूरित जब जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित मन,
पावस बनकर ढलना क्या?
मरने से पहले मरना क्या ?
परहित अर्पित करते तन-मन,
सुवासित विश्व बना उपवन,
तो आत्मग्लानि में जलना क्या ?
मरने से पहले मरना क्या ?
@स्वरचित व मौलिक
कवयित्री शालिनी राय ‘डिम्पल’
आजमगढ़, उत्तर प्रदेश।
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