ग़ज़ल

ग़ज़ल
इक मुलाकात का ही इशारा मिले।
ख़ूबसूरत तसव्वुर का तारा मिले।
कुछ भी मुश्किल नहीं आरज़ू है अगर,
गर सहारा हमें जब तुम्हारा मिले।
लौट कर आएगी हर खुशी भी यहीं,
जिंदगी का कोई भी नजारा मिले।
रस्में उल्फत निभाना अगर आ गया,
आरजू को नया फिर सितारा मिले।
कल्ब में आके यूं ही जो तुम आ बसे,
इश्क में फिर नया कुछ ख़सारा मिले।
तुम मिलो हमको है ही नही आरजू,
जुस्तजू है यही इक किनारा मिले।
मोतबर है बहुत सोना ये ज़िन्दगी,
संग तेरे हमें ये दुबारा मिले।
शगुफ्ता रहमान ‘सोना’
ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड