न कोई अरमान बाकी हैं, न कोई आरज़ू ही जिंदा है।

न कोई अरमान बाकी हैं, न कोई आरज़ू ही जिंदा है।
कैद कर रखा था आईने में, अब मेरा दिल आजाद परिंदा है।
न दूरी का खौफ है मंजिल की, न नील गगन की सीमा है।
सांवरे तूने ही इस दर पे लाया है, दुनिया बस तेरा करिश्मा है।
श्याम सांवरा….