जंगलराज
जंगल में मांसाहारी जीव जंतुओं का
चिंतन शिविर चल रहा था !
कल तक जो मांस खाते थे दूसरों का
आज उनके तन से खून निकल रहा था !!
एक खूंखार भेड़िया बोला…
आजकल तो जंगल में शिकार ही नहीं मिल रहा है !
कमजोरी के कारण मेरा तो शरीर ही नहीं हिल रहा है !!
महाराज आप ही बताइए ?
ऐसी कंडीशन में हम कैसे जिए ?
क्या रोज खून की जगह सिर्फ पानी पिए !!
यह सुनकर…
कुंडली मारकर बैठा सर्प बोला…
मेरा तो हाल तुमसे भी बुरा है
लोग नाग पंचमी में मेरी फोटो की पूजा कराते हैं !
और दूसरे दिन साक्षात दिख जाऊं
तो मुझे लकड़ी से डराते हैं !!
तभी मित्रों ! आंसू बहते हुए मगरमच्छ बोला…
लोग पानी में रहकर मुझे बैर कर रहे हैं !
पर क्या करें ? पानी के अकाल में हम ही मर रहे हैं !!
इस तरह जब समस्याओं का बारी बारी से
और भी जानवरों ने अपना शिकायती प्रतिवेदन धारा !
तो जंगल के राजा ने भी
अपना शिकायती आवेदन भरा !!
तुम सभी को अपनी अपनी पड़ी है !
अरे राजा होकर मेरी जान पर आ पड़ी है !!
इन इंसानों ने मेरा भी जीना हराम कर दिया है !
जंगल का भी ट्रैफिक जाम कर दिया है !!
शिकार न मिलने से हम मर रहे हैं !
जानवरों की संख्या ये इंसान कम कर रहे हैं !!
सारे जानवर इंसानी दरिंदों
और आतंकवाद का शिकार हो रहे हैं !
इनके कारण हमारे आहार विहार पर प्रहार हो रहे हैं !!
नगर के पशुवध ग्रहों ने
हमारे आहारों को खत्म कर डाला है !
और जो बचे हैं उन पर कुर्बानी बली
और शौक के बहाने इंसानों ने ढाका डाला है !!
सच तो यहां है…
इससे हमारा जीवन दुष्कर हो रहा है !
और इंसान कहता है शेर द्वारा शिकार हो रहा है !!
हमारी संकट की घड़ियां ने
अब हमें नियम बदलने पर मजबूर कर दिया है !
हे मानव हम सब जंगल वासियों ने जंगल छोड़
अब शहर पर आधिपत्य कर लिया है !!
• विशाल शुक्ल