महिला दिवस विशेष कविता। खोखली मत कर जय जयकार।। रचनाकार :अरविंद भारद्वाज
महिला दिवस विशेष
खोखली मत कर जय-जयकार
खोखली, मत कर जय जयकार
बराबर, दे दो उसे अधिकार
लड़ रही अधिकारों को, अकेली
दिया नहीं, अधिकार
जन्म से पहले मारी जाती
रास नहीं नारी को आती
खुद लड़का घर में वो चाहती
दुत्कारे तुझको अपने ही
गृभ में कर प्रहार
खोखली, मत कर जय जयकार
बराबर, दे दो उसे अधिकार
प्रताडित तुझको नर करता
भरी सभा में चीर भी हरता
नहीं किसी से दानव डरता
रोज सताई जाती नारी
कब होगा उद्धार
खोखली, मत कर जय जयकार
बराबर, दे दो उसे अधिकार
भेदभाव वह सहती रहती
चुप रहकर कुछ भी नहीं कहती
कष्ट जुल्मों का वह सहती
रुप तेरे माता बहना के
पत्नी सुता संसार
खोखली, मत कर जय जयकार
बराबर, दे दो उसे अधिकार
तेल छिड़क कर तुझको जलाया
सौतन घर में पति भी लाया
दुष्कर्मों से तुझको सताया
कष्ट सहे जग में नारी ने
मिला कहाँ सत्कार
खोखली, मत कर जय जयकार
बराबर, दे दो उसे अधिकार
महिला दिवस सब लोग मनाते
नारी को पूजनीय बताते
मन के भावों को है जताते
छीन लिया हक नारी का भी
दिया नहीं अधिकार
खोखली, मत कर जय जयकार
बराबर, दे दो उसे अधिकार
आओं कसम हम मिलकर खाए
नारी को हक उसका दिलाए
महिमा हर दिन उसकी गाए
दे दो बराबरी हर नारी को
कर दो जय जयकार
खोखली, मत कर जय जयकार
बराबर, दे दो उसे अधिकार
© अरविंद भारद्वाज