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17 Jul 2024 · 1 min read

जबकि मैं लोगों को सिखाता हूँ जीना


जबकि मैं लोगों को सिखाता हूँ जीना,
भरकर उमंग और मस्ती जिंदगी में।
गर्दिश में भी फिजां की भांति,
भरकर बहार- खुशबू जिंदगी में।।

मुफलिसी में भी सितारों की मानिंद,
मैं लोगों को देता हूँ जीने की सीख।
और मैंने लिखी है अपनी रचनाओं में,
गम में भी खुश होकर जीने की विधियाँ।

मैंने बिखेरी है खुशबू और मोहब्बत,
अपने नगमों में जिंदगी के लिए।
ताकि लोग बन्द नहीं करें अपनी नाक,
मंजिल की राहों में दलदल देखकर।

अक्सर सबको सिखाया है मैंने,
कि अगर जीवन में हो तुम अकेले।
या फिर छोड़ दें तुम्हारा साथ कोई,
या फिर तोड़ दें तुम्हारा दिल अपने ही।

तू मत खोना कभी हिम्मत और उम्मीद,
होकर निराश और उदास इन मुसीबतों में।
लेकिन अगर मैं ही कर लूँ जीवनलीला खत्म,
किसी से खाकर धोखा अपने जीवन में।

जबकि मैं लोगों को सिखाता हूँ जीना——-।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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