मुंह पर शहद और पीठ पर खंजर
विषय _ मुंह पर शहद और पीठ पर खंजर
मुंह पर शहद और पीठ पर खंजर
मैंने देखे हैं इस तरह के भी मंज़र
लोग पूछते हैं हाल और बदलते है अपनी चाल
कभी कभी तो कोई किस्सा बड़ा ही अजीब लगता है
ना जाने क्यों उनका झूठा दिखावा बहुत अखरता है
वो उनकी हंसी दिल को और बैचेन कर देती है
क्या सच और क्या झूठ बस इसी में उलझा देती है
मगर अपने इस दोगले व्यवहार से
हासिल कुछ ना हो पाएगा
मुंह पर शहद और पीठ पर खंजर रखने वाले लोग
दिल से उतरकर ना जाने कहां खो जाएगा
आंखो के सामने होकर भी वो दिखाई नहीं देते
ना जाने लोग अपने मतलब के लिए कितने है परपंच रचते
इस तरह से उतार लेते है दिलों में
वो तो अपनी मीठी बोली से है डसते
अफ़सोस इस बात का होता है
यहां क़दर करने वाला इंसान ही अक्सर तन्हा होता है
फिक्र होती है उसको रिश्तों की
इसलिए सब कुछ पता होने के बाद भी कुछ नहीं कहता है।
रेखा खिंची ✍️✍️