आज पुराने ख़त का, संदूक में द़ीद़ार होता है,
करो सम्मान पत्नी का खफा संसार हो जाए
खुद में भी एटीट्यूड होना जरूरी है साथियों
अयोध्या धाम पावन प्रिय, जगत में श्रेष्ठ न्यारा है (हिंदी गजल
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर?
महिला दिवस विशेष कविता। खोखली मत कर जय जयकार।। रचनाकार :अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज ARVIND BHARDWAJ
ये अश्क भी बे मौसम बरसात हो गए हैं
कभी भी भावना में बहकर अपनी निजी बातें और कमजोरी किसी के समक्
मुझे हर वो बच्चा अच्छा लगता है जो अपनी मां की फ़िक्र करता है
ये दुनिया भी हमें क्या ख़ूब जानती है,
सर्दी में कोहरा गिरता है बरसात में पानी।